Comments - अगर हक़ीक़त में प्यार था तो सनम हमारे मज़ार जाएँ (137) - Open Books Online2024-03-29T07:30:03Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1094225&xn_auth=noलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहेब ,…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-01:5170231:Comment:10947722022-12-01T16:49:06.560Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> <span>साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |</span></p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर</a> <span>साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |</span></p> आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर…tag:www.openbooksonline.com,2022-12-01:5170231:Comment:10948792022-12-01T15:57:56.136Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p> आदरणीय , समर कबीर साहेब , आपक…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-27:5170231:Comment:10947272022-11-27T12:53:24.545Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय , समर कबीर साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |</p>
<p>आदरणीय , समर कबीर साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ |</p> जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी आद…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-27:5170231:Comment:10945842022-11-27T08:56:32.795ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'यही है अच्छा कि भूलकर सब हयात में नौ क़दम बढ़ाएँ' --- इस मिसरे में 'नौ क़दम' की तरकीब पर ग़ौर करें I </span></p>
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<p><span>''तुरंत' अब तक की नज़्म हमने हज़ारों ग़ज़लें उन्ही के दम परग'--- इस मिसरे में 'की' की जगह "कीं" होना चाहिए, देखें I </span></p>
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<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'यही है अच्छा कि भूलकर सब हयात में नौ क़दम बढ़ाएँ' --- इस मिसरे में 'नौ क़दम' की तरकीब पर ग़ौर करें I </span></p>
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<p><span>''तुरंत' अब तक की नज़्म हमने हज़ारों ग़ज़लें उन्ही के दम परग'--- इस मिसरे में 'की' की जगह "कीं" होना चाहिए, देखें I </span></p>
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