Comments - दोहा त्रयी. . . मैं क्या जानूं - Open Books Online2024-03-28T16:04:13Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1093804&xn_auth=noआदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आ…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-29:5170231:Comment:10946662022-11-29T09:41:49.122ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-29:5170231:Comment:10948252022-11-29T09:41:26.756ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।सहमत एवं संशोधित । हार्दिक आभार सर
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।सहमत एवं संशोधित । हार्दिक आभार सर आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-28:5170231:Comment:10946512022-11-28T01:41:00.451Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई। आ. भाई समर जी की बात से सहमत हूँ देखिएगा। </p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई। आ. भाई समर जी की बात से सहमत हूँ देखिएगा। </p> जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छ…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-27:5170231:Comment:10947232022-11-27T09:12:25.993ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे हुए हैं, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'मैं क्या जानूं भोर की, होगा क्या अंजाम' इस पंक्ति में 'की' की जगह "का" होना चाहिए ,क्यों कि 'अंजाम' शब्द पुल्लिंग है I </span></p>
<p><span>कुछ टंकण त्रुटियाँ देख लें I </span></p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे हुए हैं, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'मैं क्या जानूं भोर की, होगा क्या अंजाम' इस पंक्ति में 'की' की जगह "का" होना चाहिए ,क्यों कि 'अंजाम' शब्द पुल्लिंग है I </span></p>
<p><span>कुछ टंकण त्रुटियाँ देख लें I </span></p> आदरणीया डा. प्राची सिंह जी सृ…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-24:5170231:Comment:10941852022-11-24T11:56:13.138ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीया डा. प्राची सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार
आदरणीया डा. प्राची सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार मैं क्या जानूं आज का, कल क्या…tag:www.openbooksonline.com,2022-11-21:5170231:Comment:10939852022-11-21T12:27:30.065ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>मैं क्या जानूं आज का, कल क्या होगा रूप ।<br></br>सुख की होगी छाँव या , दुख की होगी धूप ।।</p>
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<p>"गत आगत में प्रेम का, है अद्भुत सम्बन्ध <br></br>मन में रोंपे पुष्प जो, होगी वह ही गंध"</p>
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<p>मैं क्या जानूं भोर की, होगा क्या अंजाम।<br></br>दिन बीतेगा किस तरह , कैसी होगी शाम ।।</p>
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<p>"क्या होगा किस पल घटित, छोड़े इसका ध्यान <br></br>इस पल में जो व्याप्त है, रहे उसी का भान"</p>
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<p>मैं क्या जानूं जिन्दगी, क्या खेलेगी खेल ।<br></br>उड़ जाए कब तोड़ कर , पंछी तन की जेल…</p>
<p>मैं क्या जानूं आज का, कल क्या होगा रूप ।<br/>सुख की होगी छाँव या , दुख की होगी धूप ।।</p>
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<p>"गत आगत में प्रेम का, है अद्भुत सम्बन्ध <br/>मन में रोंपे पुष्प जो, होगी वह ही गंध"</p>
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<p>मैं क्या जानूं भोर की, होगा क्या अंजाम।<br/>दिन बीतेगा किस तरह , कैसी होगी शाम ।।</p>
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<p>"क्या होगा किस पल घटित, छोड़े इसका ध्यान <br/>इस पल में जो व्याप्त है, रहे उसी का भान"</p>
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<p>मैं क्या जानूं जिन्दगी, क्या खेलेगी खेल ।<br/>उड़ जाए कब तोड़ कर , पंछी तन की जेल ।।</p>
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<p>"उड़ जाएगा हंस जब, रह जाएगा खोल <br/>मोल हंस का जान लें, बाकी सब बेमोल"<br/><br/>बहुत सुन्दर विचार प्रधान दोहे हुए हैं आदरणीय सुशील सरना जी <br/>बहुत बहुत बधाई स्वीकारें </p>
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