Comments - गजल - Open Books Online2024-03-29T08:23:52Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1086103&xn_auth=noबढ़िया आदरणीय गुमनाम जी...आदरण…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-10:5170231:Comment:10862892022-07-10T12:42:47.431Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बढ़िया आदरणीय गुमनाम जी...आदरणीय धामी जी ,और अमीरुद्दीन जी से सहमत हुँ...</p>
<p>बढ़िया आदरणीय गुमनाम जी...आदरणीय धामी जी ,और अमीरुद्दीन जी से सहमत हुँ...</p> आप दोनो का बहुत बहुत शुक्रिया…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-06:5170231:Comment:10862642022-07-06T15:55:06.285Zgumnaam pithoragarhihttp://www.openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>आप दोनो का बहुत बहुत शुक्रिया ....में कुछ सुधार करता हूं ...</p>
<p>धन्यवाद मेरी जानकारी में वृद्धि करने के लिए .....</p>
<p>आप दोनो का बहुत बहुत शुक्रिया ....में कुछ सुधार करता हूं ...</p>
<p>धन्यवाद मेरी जानकारी में वृद्धि करने के लिए .....</p> //सुनहरे की मात्रा गणना 212 ह…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-05:5170231:Comment:10861772022-07-05T13:19:43.196Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>//<span>सुनहरे की मात्रा गणना 212 ही होगी ॥ शायद ॥ 122 नहीं । //</span></p>
<p></p>
<p>सु+नह+रा = 1 2 2 .. <br/>यगणात्मक शब्द है यह. <br/>सुन+हरा नहीं उच्चारित करते. तो मात्रा भार 2 2 की तरह नहीं ले सकते</p>
<p>//<span>सुनहरे की मात्रा गणना 212 ही होगी ॥ शायद ॥ 122 नहीं । //</span></p>
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<p>सु+नह+रा = 1 2 2 .. <br/>यगणात्मक शब्द है यह. <br/>सुन+हरा नहीं उच्चारित करते. तो मात्रा भार 2 2 की तरह नहीं ले सकते</p> धन्यवाद दोस्तो .. आपके सलाह…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-05:5170231:Comment:10863152022-07-05T12:23:54.284Zgumnaam pithoragarhihttp://www.openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>धन्यवाद दोस्तो .. आपके सलाह सुझाव का स्वागत है । सुनहरे की मात्रा गणना 212 ही होगी ॥ शायद ॥ 122 नहीं । </p>
<p>धन्यवाद दोस्तो .. आपके सलाह सुझाव का स्वागत है । सुनहरे की मात्रा गणना 212 ही होगी ॥ शायद ॥ 122 नहीं । </p> आ. भाई गुमनाम जी , सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-05:5170231:Comment:10861752022-07-05T10:45:46.226Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<div align="left"><p dir="ltr">आ. भाई गुमनाम जी , सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक वधाई। हिन्दी में "वहम" बोले जाने के बावजूद इसे गजल में 21 पर लिए जाने का मत प्रचलन में है। इस हिसाब से इसे यू लिखकर आप सबको संतुष्ट कर सकते हैं।<br/> वह्म जैसी लगे वो भरी सी जेब </p>
</div>
<div align="left"><p dir="ltr">//<br/> इस मिसरे के दोष को भी यूँ ठीक किया जा सकता है।</p>
</div>
<div align="left"><p dir="ltr">ख्वाब देखे सुनहरे दिवस के पर</p>
<p dir="ltr">सादर...</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">आ. भाई गुमनाम जी , सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक वधाई। हिन्दी में "वहम" बोले जाने के बावजूद इसे गजल में 21 पर लिए जाने का मत प्रचलन में है। इस हिसाब से इसे यू लिखकर आप सबको संतुष्ट कर सकते हैं।<br/> वह्म जैसी लगे वो भरी सी जेब </p>
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<div align="left"><p dir="ltr">//<br/> इस मिसरे के दोष को भी यूँ ठीक किया जा सकता है।</p>
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<div align="left"><p dir="ltr">ख्वाब देखे सुनहरे दिवस के पर</p>
<p dir="ltr">सादर...</p>
</div> जनाब गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आदा…tag:www.openbooksonline.com,2022-07-04:5170231:Comment:10864082022-07-04T16:44:32.921Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आदाब, एक ग़ैर मानूस (अप्रचलित) बह्र पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, मगर... ग़ज़ल अभी समय चाहती है।</p>
<p>मतला और सभी सानी मिसरों में 'जेब' की तक़्तीअ आपने कैसे की, सही लफ़्ज़ वह्म (वहम) का वज़्न 21 है जिसे मतले में 12 पर लिया गया है, 'सुनहरे' 122 को 212 पर लेना भी मुनासिब नहीं है, देखियेगा। </p>
<p>जनाब गुमनाम पिथौरागढ़ी जी आदाब, एक ग़ैर मानूस (अप्रचलित) बह्र पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, मगर... ग़ज़ल अभी समय चाहती है।</p>
<p>मतला और सभी सानी मिसरों में 'जेब' की तक़्तीअ आपने कैसे की, सही लफ़्ज़ वह्म (वहम) का वज़्न 21 है जिसे मतले में 12 पर लिया गया है, 'सुनहरे' 122 को 212 पर लेना भी मुनासिब नहीं है, देखियेगा। </p>