Comments - दोहा पंचक. . . - Open Books Online2024-03-28T10:46:50Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1085748&xn_auth=noवाह वाह ! आदरणीय सुशील सरनाजी…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-27:5170231:Comment:10859822022-06-27T12:49:40.584ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह वाह ! <br/><br/>आदरणीय सुशील सरनाजी, छंदों के सांगोपांग रूप तो हमने बहुरे देखे-सुने हैं. लेकिन इस दोहा-पंचक ने तो सचमुच ही चकित कर दिया है जो आपकी दोहा पर लगातार सशक्त होती पकड़ का परिचायक है. </p>
<p>हार्दिक बधाई.. बार-बार बधाई.. </p>
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<p>वाह वाह ! <br/><br/>आदरणीय सुशील सरनाजी, छंदों के सांगोपांग रूप तो हमने बहुरे देखे-सुने हैं. लेकिन इस दोहा-पंचक ने तो सचमुच ही चकित कर दिया है जो आपकी दोहा पर लगातार सशक्त होती पकड़ का परिचायक है. </p>
<p>हार्दिक बधाई.. बार-बार बधाई.. </p>
<p></p> //परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी म…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-27:5170231:Comment:10861332022-06-27T10:10:20.205Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>//परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरी अक्षम्य त्रुटियों को नजरअंदाज करते हुए जिस विशालता का परिचय दिया है उसके लिए हृदय की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार । सुझाव पर थोड़ा और मार्गदर्शन करेंगे तो बन्दा आभारी होगा।//</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी, आप की उक्त टिप्पणी किस संदर्भ में की गई है, स्पष्ट नहीं है, आ. चेतन प्रकाश जी ने कौन से सुझाव दिये हैं? उनकी ऐसी तो कोई टिप्पणी दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। </p>
<p>//परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरी अक्षम्य त्रुटियों को नजरअंदाज करते हुए जिस विशालता का परिचय दिया है उसके लिए हृदय की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार । सुझाव पर थोड़ा और मार्गदर्शन करेंगे तो बन्दा आभारी होगा।//</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी, आप की उक्त टिप्पणी किस संदर्भ में की गई है, स्पष्ट नहीं है, आ. चेतन प्रकाश जी ने कौन से सुझाव दिये हैं? उनकी ऐसी तो कोई टिप्पणी दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। </p> परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेर…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-27:5170231:Comment:10858032022-06-27T07:52:26.238ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरी अक्षम्य त्रुटियों को नजरअंदाज करते हुए जिस विशालता का परिचय दिया है उसके लिए हृदय की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार । सुझाव पर थोड़ा और मार्गदर्शन करेंगे तो बन्दा आभारी होगा ।
परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरी अक्षम्य त्रुटियों को नजरअंदाज करते हुए जिस विशालता का परिचय दिया है उसके लिए हृदय की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार । सुझाव पर थोड़ा और मार्गदर्शन करेंगे तो बन्दा आभारी होगा । आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, शा…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-26:5170231:Comment:10861302022-06-26T12:15:34.386Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, शानदार अंदाज़ में 'दोहा पंचक' के रूप में प्रस्तुत की गयी आपकी यह रचना बेशक कोई नई विधा नहीं है जैसा कि आपने इसका कोई दावा भी नहीं किया है, लेकिन फिर भी आपकी पाँच दोहों की यह रचना जिस रोचक ढंग से सृजित की गयी है अपने आप में अनूठी है जो काव्य के प्रति आपके वैराग्य और विद्वता का पता देती है। </p>
<p>अपनी विनम्रता और शिष्टता (सुशीलता) का परिचय तो आप अपने नाम के अर्थों को सार्थक सिद्ध करते हुए आदरणीय चेतन प्रकाश जी को दिये गये प्रत्युत्तर से दे ही चुके हैं।</p>
<p>वैसे…</p>
<p>आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, शानदार अंदाज़ में 'दोहा पंचक' के रूप में प्रस्तुत की गयी आपकी यह रचना बेशक कोई नई विधा नहीं है जैसा कि आपने इसका कोई दावा भी नहीं किया है, लेकिन फिर भी आपकी पाँच दोहों की यह रचना जिस रोचक ढंग से सृजित की गयी है अपने आप में अनूठी है जो काव्य के प्रति आपके वैराग्य और विद्वता का पता देती है। </p>
<p>अपनी विनम्रता और शिष्टता (सुशीलता) का परिचय तो आप अपने नाम के अर्थों को सार्थक सिद्ध करते हुए आदरणीय चेतन प्रकाश जी को दिये गये प्रत्युत्तर से दे ही चुके हैं।</p>
<p>वैसे भी ओ बी ओ के मंच पर दोहा पंचक के रूप में दोहे पहली बार नहीं रचे गये हैं पूर्व में भी ऐसा हो चुका है, दोहा पंचक ही क्यों इस मंच पर दोहा ग़ज़ल के रूप में भी हम सृजना देख चुके हैं, जो ओ बी ओ जैसे मंच की महानता का परिचायक है। </p>
<p>यदि आप शोध करें, कुछ और प्रयोग करें और नियम-विधान तय करें तो मेरे विचार में इस प्रकार की सृजना को एक नयी विधा के रूप में विकसित कर पहचान दिला सकते हैं, मेरा भरपूर समर्थन और बधाईयाँ आपको। </p> परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सा…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-23:5170231:Comment:10857522022-06-23T08:02:29.988ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी प्रतिक्रिया के संदर्भ में निवेदन है कि प्रथम मैंने पाँच दोहों को पंचक का नाम दिया ये किसी विधा विशेष का नाम नहीं ।दूसरी बात हर दोहा अपने आप में अलग है बस एक प्रयोग किया इसमें मैंने इस मंच पर कहाँ अराजकता की है । न तो मैंने विधा का अनुशासन तोड़ा है और न ही कोई खिलवाड़ किया है ।<br />
आपके दिल को मेरे सृजन से ठेस पहुंची, इसके लिए क्षमा चाहूँगा । यदि इस सृजन से मंच की गरिमा को ठेस पहुंची है और यदि मंच प्रबंधन मण्डल कहता है तो मैं इस सृजन को बिना…
परम आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सादर प्रणाम - सर सृजन पर आपकी प्रतिक्रिया के संदर्भ में निवेदन है कि प्रथम मैंने पाँच दोहों को पंचक का नाम दिया ये किसी विधा विशेष का नाम नहीं ।दूसरी बात हर दोहा अपने आप में अलग है बस एक प्रयोग किया इसमें मैंने इस मंच पर कहाँ अराजकता की है । न तो मैंने विधा का अनुशासन तोड़ा है और न ही कोई खिलवाड़ किया है ।<br />
आपके दिल को मेरे सृजन से ठेस पहुंची, इसके लिए क्षमा चाहूँगा । यदि इस सृजन से मंच की गरिमा को ठेस पहुंची है और यदि मंच प्रबंधन मण्डल कहता है तो मैं इस सृजन को बिना किसी तर्क के हटाने को तैयार हूँ । सच कहूँ तो इस प्रतिक्रिया से मेरा सृजन भी आहत हुआ है । आप वरिष्ठ हैं अगर इस अनुज से कोई गलती हो गई हो तो क्षमा करें । सादर नमन सर आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन क…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-23:5170231:Comment:10858472022-06-23T07:45:09.328ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय नमन, आ. सुशील सरना साहब, दोहा…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-22:5170231:Comment:10857032022-06-22T18:33:59.274ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>नमन, आ. सुशील सरना साहब, दोहा पंचक जैसी कोई विधा, पहली बार मैंने देखी जिसके पहले दोहे के दूसरे पद को आप, दूसरे दोहे के प्रथम पद केरूप मे, दूसरे दोहे के अन्तिम पद को तीसरे दोहे के पहले पद की तरह, तीसरे दोहे के दूसरे पद को चौथे दोहे के प्रथम पद जैसा और, चौथे दोहे के दूसरे पद को आप अपने पाँचवे दोहे का प्रथम पद बनाकर, साहित्यिक अराजकता का परिचय, ओ बी. ओ जैसे विशुद्ध काव्यात्मक मंच पर दे रहे हैं, आश्चर्य का विषय है । <br/> वर्तनी में, वीचियाँ, शब्द पहली बार मैंने पढ़ा ।</p>
<p>नमन, आ. सुशील सरना साहब, दोहा पंचक जैसी कोई विधा, पहली बार मैंने देखी जिसके पहले दोहे के दूसरे पद को आप, दूसरे दोहे के प्रथम पद केरूप मे, दूसरे दोहे के अन्तिम पद को तीसरे दोहे के पहले पद की तरह, तीसरे दोहे के दूसरे पद को चौथे दोहे के प्रथम पद जैसा और, चौथे दोहे के दूसरे पद को आप अपने पाँचवे दोहे का प्रथम पद बनाकर, साहित्यिक अराजकता का परिचय, ओ बी. ओ जैसे विशुद्ध काव्यात्मक मंच पर दे रहे हैं, आश्चर्य का विषय है । <br/> वर्तनी में, वीचियाँ, शब्द पहली बार मैंने पढ़ा ।</p> आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-22:5170231:Comment:10856012022-06-22T13:02:57.287Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों को नये अंदाज में प्रस्तुतीकरण बहुत मनोहारी हुआ है । बहुत बहुत हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों को नये अंदाज में प्रस्तुतीकरण बहुत मनोहारी हुआ है । बहुत बहुत हार्दिक बधाई।</p>