Comments - ग़ज़ल- दर्द हरने लगते हैं - Open Books Online2024-03-29T11:52:09Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1085745&xn_auth=noआदरणीय सुशील सरना जी हौसला बढ…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-24:5170231:Comment:10860142022-06-24T06:13:12.170ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
आदरणीय सुशील सरना जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आदरणीय सुशील सरना जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। वाह आदरणीया जी बहुत खूबसूरत स…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-23:5170231:Comment:10857062022-06-23T11:01:56.190ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
वाह आदरणीया जी बहुत खूबसूरत सृजन है । हार्दिक बधाई आदरणीया जी
वाह आदरणीया जी बहुत खूबसूरत सृजन है । हार्दिक बधाई आदरणीया जी आदरणीय चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-22:5170231:Comment:10856052022-06-22T14:37:09.272ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
आदरणीय चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आदरणीय समर कबीर सर् की इस्लाह आने के बाद आवश्यक सुधार कर लेती हूँ। सादर।
आदरणीय चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आदरणीय समर कबीर सर् की इस्लाह आने के बाद आवश्यक सुधार कर लेती हूँ। सादर। आदरणीय चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-22:5170231:Comment:10857502022-06-22T14:37:08.110ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
आदरणीय चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आदरणीय समर कबीर सर् की इस्लाह आने के बाद आवश्यक सुधार कर लेती हूँ। सादर।
आदरणीय चेतन प्रकाश जी, ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आदरणीय समर कबीर सर् की इस्लाह आने के बाद आवश्यक सुधार कर लेती हूँ। सादर। आदरणीय लक्ष्मण धामी"भाई हौस…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-22:5170231:Comment:10856032022-06-22T14:34:00.113ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
आदरणीय लक्ष्मण धामी"भाई हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आदरणीय लक्ष्मण धामी"भाई हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आ. रचना बहन सादर अभिवादन। अच्…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-22:5170231:Comment:10856952022-06-22T12:47:16.539Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. रचना बहन सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. रचना बहन सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p> मुहतरमा, रचना भाटिया निर्मल,…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-22:5170231:Comment:10856932022-06-22T11:25:51.840ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>मुहतरमा, रचना भाटिया निर्मल, आदाब, अच्छी गज़ल कही, आपने ! किचिंत तीसरे शे'र के ऊला मे, मेरी नज़र में, सुधार की गुंजाइश है ! "तेरे बस एक इशारे पे ही ए जान ए जाँ " बेहतर होता ।</p>
<p>मुहतरमा, रचना भाटिया निर्मल, आदाब, अच्छी गज़ल कही, आपने ! किचिंत तीसरे शे'र के ऊला मे, मेरी नज़र में, सुधार की गुंजाइश है ! "तेरे बस एक इशारे पे ही ए जान ए जाँ " बेहतर होता ।</p>