Comments - गीत (सोचना क्या, छोड़ना क्या, कुछ नहीं बस में हमारे) - Open Books Online2024-03-28T16:10:11Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1085535&xn_auth=noआद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-15:5170231:Comment:10854042022-06-15T02:18:07.666Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। रचना को पोस्ट करने के बाद आपकी उपस्थिति का मुझे सदैव इतंजार रहता है। आपकी टिप्पणी मेरे लिए आशीष है। हृदयतल से आभार आपका</p>
<p>आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। रचना को पोस्ट करने के बाद आपकी उपस्थिति का मुझे सदैव इतंजार रहता है। आपकी टिप्पणी मेरे लिए आशीष है। हृदयतल से आभार आपका</p> जनाब नाथ सोनांच्ली जी आदाब, अ…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-15:5170231:Comment:10856462022-06-15T02:10:05.139ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नाथ सोनांच्ली जी आदाब, अच्छा गीत लिखा है आपने , इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I </p>
<p>जनाब नाथ सोनांच्ली जी आदाब, अच्छा गीत लिखा है आपने , इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I </p> आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर" साहब सा…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-13:5170231:Comment:10853922022-06-13T21:47:26.105Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर" साहब सादर अभिवादन। गीत आपने पसन्द किया, लिखना सार्थक हो गया हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ।</p>
<p>आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर" साहब सादर अभिवादन। गीत आपने पसन्द किया, लिखना सार्थक हो गया हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ।</p> आद0 देवेश जी सादर अभिवादन सँग…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-13:5170231:Comment:10855462022-06-13T21:46:06.471Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 देवेश जी सादर अभिवादन सँग आभार आपका</p>
<p>आद0 देवेश जी सादर अभिवादन सँग आभार आपका</p> आदरणीय नाथ सोनांचली जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2022-06-13:5170231:Comment:10854862022-06-13T17:02:20.296Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p style="text-align: left;">आदरणीय नाथ सोनांचली जी आदाब, शानदार गीत की रचना पर बधाई स्वीकारें। गीत की हर-एक पंक्ति आभामय हुई है।</p>
<p style="text-align: left;"><strong>"हर पतन के बाद ही होता जगत उत्थान भी है</strong></p>
<p style="text-align: left;"><strong>शांति की ही गोद में पलता बड़ा तूफान भी है</strong></p>
<p style="text-align: left;"><strong>पर्वतों के बीच से ही धार सरिता की बही है</strong></p>
<p style="text-align: left;"><strong>मुश्किलों के पार जाकर ज़िन्दगी</strong> <strong>चलती रही…</strong></p>
<p style="text-align: left;">आदरणीय नाथ सोनांचली जी आदाब, शानदार गीत की रचना पर बधाई स्वीकारें। गीत की हर-एक पंक्ति आभामय हुई है।</p>
<p style="text-align: left;"><strong>"हर पतन के बाद ही होता जगत उत्थान भी है</strong></p>
<p style="text-align: left;"><strong>शांति की ही गोद में पलता बड़ा तूफान भी है</strong></p>
<p style="text-align: left;"><strong>पर्वतों के बीच से ही धार सरिता की बही है</strong></p>
<p style="text-align: left;"><strong>मुश्किलों के पार जाकर ज़िन्दगी</strong> <strong>चलती रही है" - </strong>'अद्भुत'</p> बहुत ख़ूब, बेहतरीन।tag:www.openbooksonline.com,2022-06-13:5170231:Comment:10855372022-06-13T07:03:49.925ZDevesh Kumarhttp://www.openbooksonline.com/profile/DeveshKumar
<p>बहुत ख़ूब, बेहतरीन।</p>
<p>बहुत ख़ूब, बेहतरीन।</p>