Comments - ग़ज़ल-अपना है कहाँ - Open Books Online2024-03-29T14:19:20Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1083476&xn_auth=noवाह बहुत खूब गजल हुई है है .।…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-21:5170231:Comment:10840402022-05-21T03:00:01.176Zgumnaam pithoragarhihttp://www.openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>वाह बहुत खूब गजल हुई है है .। बहुत खूब .. </p>
<p>वाह बहुत खूब गजल हुई है है .। बहुत खूब .. </p> वाह बहुत खूब गजल हुई है है .।…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-21:5170231:Comment:10837732022-05-21T02:58:08.899Zgumnaam pithoragarhihttp://www.openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
<p>वाह बहुत खूब गजल हुई है है .। बहुत खूब .. </p>
<p>वाह बहुत खूब गजल हुई है है .। बहुत खूब .. </p> आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-13:5170231:Comment:10836032022-05-13T22:25:59.794ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर् आपके कहे अनुसार सुधार कर दिए हैं।</p>
<p>ग़ज़ल सहीह करने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर् आपके कहे अनुसार सुधार कर दिए हैं।</p>
<p>ग़ज़ल सहीह करने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p> ''अपने दिल का जोर उसके दिल प…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-12:5170231:Comment:10838272022-05-12T12:39:09.560ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>''अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ"</span></p>
<p><span>अब मिसरा ठीक है ।</span></p>
<p><span>''अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ"</span></p>
<p><span>अब मिसरा ठीक है ।</span></p> आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-12:5170231:Comment:10837352022-05-12T12:15:01.377ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल तक आने तथा अपनी राय रखने के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आपने सही कहा लेकिन मुझे लगता है कि ख़्वाब नींद आने पर ही आते हैं और ख़्वाब ज़रूरी नहीं कि मनपसंद आएँ। </p>
<p>फिर भी आदरणीय समर कबीर सर् से बात कर लेती हूँ। </p>
<p>सादर।</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल तक आने तथा अपनी राय रखने के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आपने सही कहा लेकिन मुझे लगता है कि ख़्वाब नींद आने पर ही आते हैं और ख़्वाब ज़रूरी नहीं कि मनपसंद आएँ। </p>
<p>फिर भी आदरणीय समर कबीर सर् से बात कर लेती हूँ। </p>
<p>सादर।</p> आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-12:5170231:Comment:10837022022-05-12T12:10:48.354ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। उत्तर देरी से देने के लिए क्षमा चाहती हूँ।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय सर्, आपने सही कहा कि मिसरअ बह्र में नहीं है।</p>
<p>क्या पर को प कर दूँ।</p>
<p></p>
<p>"अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ"</p>
<p>बाक़ी सही कर देती हूँ।</p>
<p>सर् आपका ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। उत्तर देरी से देने के लिए क्षमा चाहती हूँ।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय सर्, आपने सही कहा कि मिसरअ बह्र में नहीं है।</p>
<p>क्या पर को प कर दूँ।</p>
<p></p>
<p>"अपने दिल का जोर उसके दिल प चलता है कहाँ"</p>
<p>बाक़ी सही कर देती हूँ।</p>
<p>सर् आपका ग़ज़ल तक आने तथा इस्लाह देने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p>
<p></p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-10:5170231:Comment:10837182022-05-10T13:04:19.534Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ, मुहतरम समर कबीर साहिब ने बहतरीन इस्लाह फ़रमाई है, </p>
<p>"किस तरह भर लूँ <strong>उनींदी आँखों</strong> में ख़्वाबों के रंग" इस मिसरे के शिल्प पर ग़ौर कीजियेगा, 'उनींदी आँखें' मतलब नींद से भरी हुई आँखें यानि ख़्वाब आ सकते हैं :-)) मुनासिब समझें तो इस मिसरे को यूँ कर लें -</p>
<p>"जागती आँखों में भर लूँ किस तरह ख़्वाबों के रंग" </p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ, मुहतरम समर कबीर साहिब ने बहतरीन इस्लाह फ़रमाई है, </p>
<p>"किस तरह भर लूँ <strong>उनींदी आँखों</strong> में ख़्वाबों के रंग" इस मिसरे के शिल्प पर ग़ौर कीजियेगा, 'उनींदी आँखें' मतलब नींद से भरी हुई आँखें यानि ख़्वाब आ सकते हैं :-)) मुनासिब समझें तो इस मिसरे को यूँ कर लें -</p>
<p>"जागती आँखों में भर लूँ किस तरह ख़्वाबों के रंग" </p> मुहतरमा रचना भाटिया जी अआदाब…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-10:5170231:Comment:10837162022-05-10T09:47:55.353ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी अआदाब , ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p><span>'अपने दिल का जोर उसके दिल पर चलता है कहाँ'--ये मिसरा बह्र में नहीं देखें I </span></p>
<p></p>
<p><span>'मन मुआफ़िक ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ'--मुआफ़िक--"मुआफ़िक़"</span></p>
<p></p>
<p><span>'आदमी पर सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'--इस मिसरे को यूँ कहें :-</span></p>
<p><span>'आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'</span></p>
<p></p>
<p><span>'रूह को"निर्मल" मयस्सर कुर्ब हो भी किस तरह'--कुर्ब…</span></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी अआदाब , ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p><span>'अपने दिल का जोर उसके दिल पर चलता है कहाँ'--ये मिसरा बह्र में नहीं देखें I </span></p>
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<p><span>'मन मुआफ़िक ज़िन्दगी में जीना मरना है कहाँ'--मुआफ़िक--"मुआफ़िक़"</span></p>
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<p><span>'आदमी पर सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'--इस मिसरे को यूँ कहें :-</span></p>
<p><span>'आदमी ये सब्र तब तक यार रखता है कहाँ'</span></p>
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<p><span>'रूह को"निर्मल" मयस्सर कुर्ब हो भी किस तरह'--कुर्ब --"क़ुर्ब" </span></p>