Comments - रक्त से भीगा है आगन आज तक भी -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" - Open Books Online2024-03-28T21:56:21Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1083042&xn_auth=noक्या खूब कहा है आपने बधाईयां।।tag:www.openbooksonline.com,2022-08-10:5170231:Comment:10876522022-08-10T00:46:10.072ZAwanish Dhar Dvivedihttp://www.openbooksonline.com/profile/AwanishDharDvivedi
<p>क्या खूब कहा है आपने बधाईयां।।</p>
<p>क्या खूब कहा है आपने बधाईयां।।</p> आ. भाई गुमनाम जी सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-15:5170231:Comment:10840102022-05-15T03:17:14.467Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गुमनाम जी सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद मंच पर आपकी उपस्थिति से हर्ष हुआ। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>निरंतर उपस्थिति बनाये रखने और रचनाएँ प्रस्तुत करने का अनुरोध है। आपका सानिध्य मिलता रहे यही कामना है। </p>
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<p>आ. भाई गुमनाम जी सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद मंच पर आपकी उपस्थिति से हर्ष हुआ। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।</p>
<p>निरंतर उपस्थिति बनाये रखने और रचनाएँ प्रस्तुत करने का अनुरोध है। आपका सानिध्य मिलता रहे यही कामना है। </p>
<p></p> आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। ग…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-15:5170231:Comment:10837422022-05-15T03:13:16.150Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह व उत्साह वर्धन के लिए आभार। त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए भी आभार।</p>
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<p><span> - "भीड़ से लगने लगा अब डर बहुत यूँ "</span></p>
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<p>आ. भाई समर जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह व उत्साह वर्धन के लिए आभार। त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए भी आभार।</p>
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<p><span> - "भीड़ से लगने लगा अब डर बहुत यूँ "</span></p>
<p></p> वाह मुसाफिर साहब शानदार गजल ह…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-14:5170231:Comment:10837402022-05-14T11:11:15.068Zgumnaam pithoragarhihttp://www.openbooksonline.com/profile/gumnaampithoragarhi
वाह मुसाफिर साहब शानदार गजल हुई है । बधाई
वाह मुसाफिर साहब शानदार गजल हुई है । बधाई जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-09:5170231:Comment:10837092022-05-09T12:54:10.332ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करेंI </p>
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<p><span>'भीड़ से लगने लगा अब डर बहुत'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की बह्र देखेंI I </span></p>
<p><span>'रक्त से भीगा है आगन आज तक भी'---'आगन' --"आँगन"</span></p>
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<p>जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करेंI </p>
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<p><span>'भीड़ से लगने लगा अब डर बहुत'</span></p>
<p><span>इस मिसरे की बह्र देखेंI I </span></p>
<p><span>'रक्त से भीगा है आगन आज तक भी'---'आगन' --"आँगन"</span></p>
<p></p> आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभ…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-07:5170231:Comment:10834922022-05-07T00:22:16.547Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।</p> आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-06:5170231:Comment:10835702022-05-06T15:50:04.226Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p><span style="font-size: 8pt;">आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति। </span></p>
<p><span style="font-size: 8pt;">"देह को पतवार करके आदमी अब</span></p>
<p><span style="font-size: 8pt;">हर नदी को पार करना चाहता है।३। इस शे'र के लिए विशेष बधाई स्वीकार करें। </span></p>
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<p><span style="font-size: 8pt;">आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति। </span></p>
<p><span style="font-size: 8pt;">"देह को पतवार करके आदमी अब</span></p>
<p><span style="font-size: 8pt;">हर नदी को पार करना चाहता है।३। इस शे'र के लिए विशेष बधाई स्वीकार करें। </span></p>
<p></p> आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-06:5170231:Comment:10833982022-05-06T15:47:17.325Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी खू…tag:www.openbooksonline.com,2022-05-06:5170231:Comment:10836632022-05-06T15:02:46.527ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी खूबसूरत प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर
वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी खूबसूरत प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर