Comments - पंख था कतरा हुआ : ग़ज़ल (मिथिलेश वामनकर) - Open Books Online2024-03-28T20:58:32Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1081865&xn_auth=noबड़ी ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय म…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-11:5170231:Comment:10825002022-04-11T13:23:10.066Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बड़ी ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय मिथिलेस जी...हार्दिक बधाई</p>
<p>बड़ी ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय मिथिलेस जी...हार्दिक बधाई</p> आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-08:5170231:Comment:10823922022-04-08T01:20:12.112Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन । बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन । बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।</p> आदाब। विभिन्न पहलुओं पर बढ़िया…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-02:5170231:Comment:10821482022-04-02T17:20:04.475ZSheikh Shahzad Usmanihttp://www.openbooksonline.com/profile/SheikhShahzadUsmani
<p>आदाब। विभिन्न पहलुओं पर बढ़िया प्रतिक्रिया सहित बढ़िया ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आदरणीय वामनकर साहब।</p>
<p>आदाब। विभिन्न पहलुओं पर बढ़िया प्रतिक्रिया सहित बढ़िया ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आदरणीय वामनकर साहब।</p> खत्म सारे भेदभावों की मुनादी…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-01:5170231:Comment:10821402022-04-01T16:08:16.443ZPankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"http://www.openbooksonline.com/profile/PankajKumarMishraVatsyayan
खत्म सारे भेदभावों की मुनादी कर रहे<br />
और भीतर श्रेष्ठता का दम्भ है पसरा हुआ........सटीक....सत्य<br />
<br />
एक बेहद उम्दा ग़ज़ल के साधुवाद<br />
<br />
<br />
सादर
खत्म सारे भेदभावों की मुनादी कर रहे<br />
और भीतर श्रेष्ठता का दम्भ है पसरा हुआ........सटीक....सत्य<br />
<br />
एक बेहद उम्दा ग़ज़ल के साधुवाद<br />
<br />
<br />
सादर क्या बात है ! क्या बात है !
आ…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-01:5170231:Comment:10822142022-04-01T15:29:46.771ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>क्या बात है ! क्या बात है !</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी, गजल की स्पष्ट दशा मुग्ध कर रही है.</p>
<p></p>
<p><em>देखिए विज्ञापनों का दौर ऐसा आ गया</em><br></br><em>काम होने से जरूरी है दिखे होता हुआ।</em></p>
<p>क्या ही सामयिकता उभर आयी है. इस शेर पर बार-बार बधाइयाँ.</p>
<p></p>
<p><em>कुछ हुआ हो ना हुआ हो आंकड़ा अच्छा हुआ</em></p>
<p>कुछ हुआ हो या न हो कुछ आँकड़ा अच्छा हुआ .. :-)) </p>
<p>बस यों ही मजा-मजा माँ ! </p>
<p> </p>
<p><em>चूर कर दी शख्सियत यूं जख्म भी दिखता नहीं</em><br></br><span><em>ये तरीका…</em></span></p>
<p>क्या बात है ! क्या बात है !</p>
<p>आदरणीय मिथिलेश जी, गजल की स्पष्ट दशा मुग्ध कर रही है.</p>
<p></p>
<p><em>देखिए विज्ञापनों का दौर ऐसा आ गया</em><br/><em>काम होने से जरूरी है दिखे होता हुआ।</em></p>
<p>क्या ही सामयिकता उभर आयी है. इस शेर पर बार-बार बधाइयाँ.</p>
<p></p>
<p><em>कुछ हुआ हो ना हुआ हो आंकड़ा अच्छा हुआ</em></p>
<p>कुछ हुआ हो या न हो कुछ आँकड़ा अच्छा हुआ .. :-)) </p>
<p>बस यों ही मजा-मजा माँ ! </p>
<p> </p>
<p><em>चूर कर दी शख्सियत यूं जख्म भी दिखता नहीं</em><br/><span><em>ये तरीका चोट करने का बहुत संभला हुआ।</em> .. </span></p>
<p>भाई मेरे, आपने किस महीनी से शेर की बुनावट की है ! कथ्य को पूरी सशक्तता से अभिव्यक्ति मिली है. </p>
<p></p>
<p>इस प्रस्तुति पर पुन: हार्दिक बधाइयाँ. </p>
<p>शुभ-शुभ</p> आदरणीया कल्पना जी, आपको यह प्…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-01:5170231:Comment:10822132022-04-01T12:09:00.141Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीया कल्पना जी, आपको यह प्रयास पसंद आया जानकार ख़ुशी हुई. सराहना और आत्मीय प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर </p>
<p>आदरणीया कल्पना जी, आपको यह प्रयास पसंद आया जानकार ख़ुशी हुई. सराहना और आत्मीय प्रशंसा हेतु हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. सादर </p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी, मेरे प…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-01:5170231:Comment:10822122022-04-01T12:05:55.711Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. आपने सही कहा कि मतला के उला और सानी का क्रम बदल गया है. विचार का क्रमिक विकास उसी क्रम में है जैसा आपने सुझाया है. इसे ठीक करता हूँ. सादर </p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत बहुत धन्यवाद. आपने सही कहा कि मतला के उला और सानी का क्रम बदल गया है. विचार का क्रमिक विकास उसी क्रम में है जैसा आपने सुझाया है. इसे ठीक करता हूँ. सादर </p> आदरणीय समर कबीर जी, मेरा प्रय…tag:www.openbooksonline.com,2022-04-01:5170231:Comment:10821352022-04-01T12:01:56.665Zमिथिलेश वामनकरhttp://www.openbooksonline.com/profile/mw
<p>आदरणीय समर कबीर जी, मेरा प्रयास आपको पसंद आया जानकार ख़ुशी हुई. हार्दिक आभार. बहुत समय बाद (लगभग 3 साल बाद) ग़ज़ल कही है. आपकी इस्लाह पर विचार कर रहा हूँ. कुछ सूझते ही सुधार कर लूँगा. सादर </p>
<p>आदरणीय समर कबीर जी, मेरा प्रयास आपको पसंद आया जानकार ख़ुशी हुई. हार्दिक आभार. बहुत समय बाद (लगभग 3 साल बाद) ग़ज़ल कही है. आपकी इस्लाह पर विचार कर रहा हूँ. कुछ सूझते ही सुधार कर लूँगा. सादर </p> बहुत दिनों के बाद आपकी ग़ज़ल पढ…tag:www.openbooksonline.com,2022-03-31:5170231:Comment:10820912022-03-31T17:53:50.128ZKALPANA BHATT ('रौनक़')http://www.openbooksonline.com/profile/KALPANABHATT832
<p>बहुत दिनों के बाद आपकी ग़ज़ल पढने का मौक़ा मिला है | अच्छी ग़ज़ल कही है आपने | बधाई स्वीकारें </p>
<p>बहुत दिनों के बाद आपकी ग़ज़ल पढने का मौक़ा मिला है | अच्छी ग़ज़ल कही है आपने | बधाई स्वीकारें </p> आदाब, आ. मिथिलेश वामनकर साहब,…tag:www.openbooksonline.com,2022-03-31:5170231:Comment:10819802022-03-31T11:06:27.362ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
आदाब, आ. मिथिलेश वामनकर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, लेकिन मतला ऊला और सानी में सामन्जस्य के अभाव को रेखांकित करता, क़म से कम मुझे लगा ! कैसा, शब्द मिसरे में यदि प्रश्न की ओर इंगित करता है, तो सानी से इसके जुड़ाव पर प्रश्न उठता है! अगर ऐसा नहीं है तो मेरी समझ से आपको मिसरों को आपस में बदल देना चाहिए, फिर, कदाचित मिसरों की युति अपेक्षाकृत बेहतर हो जाएगी !
आदाब, आ. मिथिलेश वामनकर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, लेकिन मतला ऊला और सानी में सामन्जस्य के अभाव को रेखांकित करता, क़म से कम मुझे लगा ! कैसा, शब्द मिसरे में यदि प्रश्न की ओर इंगित करता है, तो सानी से इसके जुड़ाव पर प्रश्न उठता है! अगर ऐसा नहीं है तो मेरी समझ से आपको मिसरों को आपस में बदल देना चाहिए, फिर, कदाचित मिसरों की युति अपेक्षाकृत बेहतर हो जाएगी !