Comments - ग़ज़ल- एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी - Open Books Online2024-03-29T09:37:46Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1075076&xn_auth=noरचना पटल पे आपकी उपस्थित उत्स…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-23:5170231:Comment:10752762021-12-23T07:46:19.283Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>रचना पटल पे आपकी उपस्थित उत्साहवर्धक है आदरणीय समर कबीर जी...सादर</p>
<p>रचना पटल पे आपकी उपस्थित उत्साहवर्धक है आदरणीय समर कबीर जी...सादर</p> आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपके और…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-23:5170231:Comment:10754342021-12-23T07:45:10.917Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपके और आदरणीय धामी जी के भाव बहुत ही खूबसूरत हैं...आपसे पूर्णतया सहमत हूँ...आप लोगों के सुझाव को समेटते हुए कुछ सुधार की कोशिश करता हूँ...सादर</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपके और आदरणीय धामी जी के भाव बहुत ही खूबसूरत हैं...आपसे पूर्णतया सहमत हूँ...आप लोगों के सुझाव को समेटते हुए कुछ सुधार की कोशिश करता हूँ...सादर</p> आदरणीय धामी जी उत्साहवर्धन और…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-23:5170231:Comment:10752752021-12-23T07:41:57.811Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय धामी जी उत्साहवर्धन और आपके खूबसूरत सुझाव के लिए आपका हार्दिक आभार...सादर</p>
<p>आदरणीय धामी जी उत्साहवर्धन और आपके खूबसूरत सुझाव के लिए आपका हार्दिक आभार...सादर</p> जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आद…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-22:5170231:Comment:10753512021-12-22T09:13:11.924ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p> //एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी
…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-21:5170231:Comment:10753422021-12-21T16:18:46.976Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p><strong>//एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</strong></p>
<p><strong> और पत्थर से दिल लगा बैठा.</strong>..पर आपकी राय दीजिएगा...//</p>
<p>जनाब बृजेश जी, इस शे'र को सानी मिसरे के संदर्भ में देखें तो पहले मिसरे से ये आभास होता है कि मेरी (ख़ुद की) ज़िन्दगी पत्थर जैसी नीरस है </p>
<p>और सानी तो स्पष्ट कह ही रहा है कि... मुझे प्यार भी किसी अपने जैसे पत्थर दिल से हो गया है। जबकि...</p>
<p><strong>'एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</strong></p>
<p><strong>उसी पत्थर से दिल लगा बैठा'</strong> इस शे'र को सानी मिसरे…</p>
<p><strong>//एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</strong></p>
<p><strong> और पत्थर से दिल लगा बैठा.</strong>..पर आपकी राय दीजिएगा...//</p>
<p>जनाब बृजेश जी, इस शे'र को सानी मिसरे के संदर्भ में देखें तो पहले मिसरे से ये आभास होता है कि मेरी (ख़ुद की) ज़िन्दगी पत्थर जैसी नीरस है </p>
<p>और सानी तो स्पष्ट कह ही रहा है कि... मुझे प्यार भी किसी अपने जैसे पत्थर दिल से हो गया है। जबकि...</p>
<p><strong>'एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</strong></p>
<p><strong>उसी पत्थर से दिल लगा बैठा'</strong> इस शे'र को सानी मिसरे के संदर्भ में देखें तो पहले मिसरे से ये आभास होता है कि एक पत्थर जैसा जड़ और नीरस इन्सान मुझे इतना पसंद है जैसे वो मेरी ज़िन्दगी हो... और शायद इसी कारण मैं उस से दिल लगा बैठा हूँ। </p>
<p>आप इस बह्र में शुरूअ के 21 को 11 पर ले सकते हैं। वैसे ग़ज़ल आपकी है भाव भी आप के ही रहेंगे, आपके भाव क्या हैं ये तो आपको ही पता होगा, जो उचित समझें। वैसे... आ. धामी जी का सुझाव भी उत्तम है अगर ये आपके भावानुकूल हो तो।. सादर।</p> आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-21:5170231:Comment:10752502021-12-21T15:21:42.813Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई। </p>
<p>मेरे खयाल से ऐसा करना अधिक उचित रहेगा. </p>
<p></p>
<p>फूल जैसी है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>और पत्थर से दिल लगा बैठा</p>
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई। </p>
<p>मेरे खयाल से ऐसा करना अधिक उचित रहेगा. </p>
<p></p>
<p>फूल जैसी है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>और पत्थर से दिल लगा बैठा</p> स्वागत संग आभार आदरणीय अमीरुद…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-21:5170231:Comment:10753412021-12-21T15:04:30.676Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>स्वागत संग आभार आदरणीय अमीरुद्दीन जी...बिल्कुल आपसे सहमत हूँ..</p>
<p>एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>और पत्थर से दिल लगा बैठा...पर आपकी राय दीजिएगा...</p>
<p>स्वागत संग आभार आदरणीय अमीरुद्दीन जी...बिल्कुल आपसे सहमत हूँ..</p>
<p>एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>और पत्थर से दिल लगा बैठा...पर आपकी राय दीजिएगा...</p> बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नीले…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-21:5170231:Comment:10752482021-12-21T15:02:39.248Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नीलेश जी...आपके बताए अनुसार कुछ सुधार करता हूँ...</p>
<p>एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>और पत्थर से दिल लगा बैठा ...ये कैसा रहेगा ?</p>
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<p>बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नीलेश जी...आपके बताए अनुसार कुछ सुधार करता हूँ...</p>
<p>एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>और पत्थर से दिल लगा बैठा ...ये कैसा रहेगा ?</p>
<p></p> जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-20:5170231:Comment:10753242021-12-20T16:04:19.773Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं। दूसरे शे'र पर निलेश जी से सहमत हूँ, एक विकल्प और देखें - </p>
<p>'एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>उसी पत्थर से दिल लगा बैठा' सादर।</p>
<p></p>
<p></p>
<p>जनाब बृजेश कुमार ब्रज जी आदाब, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएं। दूसरे शे'र पर निलेश जी से सहमत हूँ, एक विकल्प और देखें - </p>
<p>'एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</p>
<p>उसी पत्थर से दिल लगा बैठा' सादर।</p>
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<p></p> आ. बृजेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है…tag:www.openbooksonline.com,2021-12-20:5170231:Comment:10751912021-12-20T12:10:00.002ZNilesh Shevgaonkarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. बृजेश जी <br/><br/>अच्छी ग़ज़ल हुई है .. बधाई <br/><span>एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</span><br/><span>एक पत्थर से दिल लगा बैठा इसे यूँ देखें ...<br/></span>.<br/>ज़िन्दगी मेरी हो गयी पत्थर <br/>जब से पत्थर से दिल गला बैठा <br/>.<br/>सादर </p>
<p>आ. बृजेश जी <br/><br/>अच्छी ग़ज़ल हुई है .. बधाई <br/><span>एक पत्थर है ज़िन्दगी मेरी</span><br/><span>एक पत्थर से दिल लगा बैठा इसे यूँ देखें ...<br/></span>.<br/>ज़िन्दगी मेरी हो गयी पत्थर <br/>जब से पत्थर से दिल गला बैठा <br/>.<br/>सादर </p>