Comments - शठ लोग अब पहनकर चोला ये गेरुआ सा - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T15:15:10Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1072311&xn_auth=noआ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-08:5170231:Comment:10730402021-11-08T16:12:08.612Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आदरणीय धामी जी अच्छी ग़ज़ल के ल…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-08:5170231:Comment:10731262021-11-08T05:41:13.128Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>आदरणीय धामी जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई...</p>
<p>आदरणीय धामी जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई...</p> आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभ…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-05:5170231:Comment:10726982021-11-05T23:26:48.809Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। गुणीजनो के सुझावानुसार मतले व मक्ते दोनों में बदलाव किया है देखिएगा।<br/>//हँसना सिखाओ यारो सब के ही आँसुओं को<br/>सम्बल सदा ही देना कमजोर बाजुओं को।१।<br/>//सम्मुख न आने देना अनजान पहलुओं को।७।</p>
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<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। गुणीजनो के सुझावानुसार मतले व मक्ते दोनों में बदलाव किया है देखिएगा।<br/>//हँसना सिखाओ यारो सब के ही आँसुओं को<br/>सम्बल सदा ही देना कमजोर बाजुओं को।१।<br/>//सम्मुख न आने देना अनजान पहलुओं को।७।</p>
<p></p> आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवाद…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-05:5170231:Comment:10727932021-11-05T23:23:25.805Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-05:5170231:Comment:10727922021-11-05T23:22:51.182Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई आज़ी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-05:5170231:Comment:10726972021-11-05T23:21:29.355Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। इंगित मिसरे में बदलाव किया है देखियेगा।<br/>//सम्मुख न आने देना अनजान पहलुओं को।७।</p>
<p>मतले में भी कुछ बदलाव किया है इसे भी देखिएगा।</p>
<p><br/>हँसना सिखाओ यारो सब के ही आँसुओं को<br/>सम्बल सदा ही देना कमजोर बाजुओं को।१।</p>
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<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/>उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। इंगित मिसरे में बदलाव किया है देखियेगा।<br/>//सम्मुख न आने देना अनजान पहलुओं को।७।</p>
<p>मतले में भी कुछ बदलाव किया है इसे भी देखिएगा।</p>
<p><br/>हँसना सिखाओ यारो सब के ही आँसुओं को<br/>सम्बल सदा ही देना कमजोर बाजुओं को।१।</p>
<p></p> आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-05:5170231:Comment:10726962021-11-05T23:17:56.495Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/> उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर<br/> उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।</p> आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-05:5170231:Comment:10728252021-11-05T23:16:23.013Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। मतले में कुछ बदलाव किया है देखिएगा।</p>
<p>हँसना सिखाओ यारो सब के ही आँसुओं को<br/>सम्बल सदा ही देना कमजोर बाजुओं को।१।</p>
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<p>आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक धन्यवाद। मतले में कुछ बदलाव किया है देखिएगा।</p>
<p>हँसना सिखाओ यारो सब के ही आँसुओं को<br/>सम्बल सदा ही देना कमजोर बाजुओं को।१।</p>
<p></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ…tag:www.openbooksonline.com,2021-11-05:5170231:Comment:10727862021-11-05T15:33:21.342Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, मतले और मक़्ते पर गुणीजनों से सहमत हूँ। सादर। </p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, मतले और मक़्ते पर गुणीजनों से सहमत हूँ। सादर। </p> हार्दिक बधाई आदरणीय मुसाफ़िर…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-31:5170231:Comment:10724932021-10-31T13:43:25.065ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मुसाफ़िर जी। बेहतरीन ग़ज़ल।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय मुसाफ़िर जी। बेहतरीन ग़ज़ल।</p>