Comments - ग़ज़ल-ज़माने को बताना चाहे - Open Books Online2024-03-29T11:23:54Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1072114&xn_auth=noआदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-30:5170231:Comment:10724722021-10-30T09:52:51.863ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल तक दुबारा आने के लिए आभार।</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी ग़ज़ल तक दुबारा आने के लिए आभार।</p> आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।स…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-30:5170231:Comment:10726552021-10-30T09:51:59.492ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।सर् ,जी,आपके कहे अनुसार सुधार कर लेती हूँ। दुबारा ग़ज़ल तक आने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।सर् ,जी,आपके कहे अनुसार सुधार कर लेती हूँ। दुबारा ग़ज़ल तक आने के लिए बेहद शुक्रिय:।</p> मुहतरम मुआफ़ी चाहूँगा क़रीं क…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-30:5170231:Comment:10725642021-10-30T04:59:58.134Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरम मुआफ़ी चाहूँगा क़रीं के मआनी पर मुझे ग़लत-फ़हमी हुई। आप सहीह हैं। 'क़रीं' के मआनी भी वही हैं जो 'क़रीब' के हैं। सादर। </p>
<p>मुहतरम मुआफ़ी चाहूँगा क़रीं के मआनी पर मुझे ग़लत-फ़हमी हुई। आप सहीह हैं। 'क़रीं' के मआनी भी वही हैं जो 'क़रीब' के हैं। सादर। </p> //-इस मिसरे को यूँ कर सकती है…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-30:5170231:Comment:10724712021-10-30T02:40:57.653Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>//-इस मिसरे को यूँ कर सकती हैं :-</p>
<p>"दिल क़रीं और क़रीं यार के आना चाहे "//</p>
<p>मुहतरम आदाब, क्या ये मिसरा शिल्प और भाव की दृष्टि से उचित होगा ? क्योंकि क़रीं के मआनी क़रीब या नज़दीकी तो नहीं है। सादर। </p>
<p>//-इस मिसरे को यूँ कर सकती हैं :-</p>
<p>"दिल क़रीं और क़रीं यार के आना चाहे "//</p>
<p>मुहतरम आदाब, क्या ये मिसरा शिल्प और भाव की दृष्टि से उचित होगा ? क्योंकि क़रीं के मआनी क़रीब या नज़दीकी तो नहीं है। सादर। </p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब ,…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-30:5170231:Comment:10725612021-10-30T01:34:41.647ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ,बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p>'दिल करीब और करीब यार के आना चाहे'---इस मिसरे को यूँ कर सकती हैं :-</p>
<p>"दिल क़रीं और क़रीं यार के आना चाहे "</p>
<p>2</p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है ,बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p>'दिल करीब और करीब यार के आना चाहे'---इस मिसरे को यूँ कर सकती हैं :-</p>
<p>"दिल क़रीं और क़रीं यार के आना चाहे "</p>
<p>2</p> नमस्ते जी, बहुत ही उम्दा प्रस…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-29:5170231:Comment:10724412021-10-29T11:37:31.938ZShyam Narain Vermahttp://www.openbooksonline.com/profile/ShyamNarainVerma
नमस्ते जी, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
नमस्ते जी, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी, ग़…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-29:5170231:Comment:10722912021-10-29T04:23:42.705ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी, ग़ज़ल तक आने तथा अपनी राय रखने के लिए आभार । आपके सुझाव अच्छे हैं। बस, सर् एक बार देख लें तो फेयर में सुधार करती हूँ। सादर।</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर जी, ग़ज़ल तक आने तथा अपनी राय रखने के लिए आभार । आपके सुझाव अच्छे हैं। बस, सर् एक बार देख लें तो फेयर में सुधार करती हूँ। सादर।</p> आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-29:5170231:Comment:10722902021-10-29T04:21:47.936ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर्, फेसबुक पर ग़ज़ल पढ़ी थी,उसकी तक्तीअ करने पर यही समझ आया था।डाउट क्लीयर करने के लिए आभार ।</p>
<p>सर् , कृपया बाक़ी ग़ज़ल पर भी इस्लाह दे दें।</p>
<p>सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर्, फेसबुक पर ग़ज़ल पढ़ी थी,उसकी तक्तीअ करने पर यही समझ आया था।डाउट क्लीयर करने के लिए आभार ।</p>
<p>सर् , कृपया बाक़ी ग़ज़ल पर भी इस्लाह दे दें।</p>
<p>सादर।</p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-28:5170231:Comment:10722772021-10-28T15:13:58.434Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>'दिल करीब और करीब यार के आना चाहे' मिसरा चाहें तो यूँ कर सकते हैं :</p>
<p><span>'दिल करीब और करीब आप के आना चाहे' (अलिफ़ वस्ल के साथ) </span></p>
<p><span>'बात कड़वी है मगर बात है सच्ची "निर्मल" मिसरे में 'बात' की पुनरावृत्ति है इसे यूंँ कह सकते हैं :</span></p>
<p><span>'बात कड़वी है मगर है बड़ी सच्ची "निर्मल" सादर।</span></p>
<p></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>'दिल करीब और करीब यार के आना चाहे' मिसरा चाहें तो यूँ कर सकते हैं :</p>
<p><span>'दिल करीब और करीब आप के आना चाहे' (अलिफ़ वस्ल के साथ) </span></p>
<p><span>'बात कड़वी है मगर बात है सच्ची "निर्मल" मिसरे में 'बात' की पुनरावृत्ति है इसे यूंँ कह सकते हैं :</span></p>
<p><span>'बात कड़वी है मगर है बड़ी सच्ची "निर्मल" सादर।</span></p>
<p></p> //क़रीब यार में वस्ल करने की…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-28:5170231:Comment:10723692021-10-28T14:36:02.098ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//क़रीब यार में वस्ल करने की कोशिश की है//</span></p>
<p>'क़रीब यार' में अलिफ़ वस्ल कैसे होगा, अलिफ़ कहाँ है? :-)))</p>
<p><span>//क़रीब यार में वस्ल करने की कोशिश की है//</span></p>
<p>'क़रीब यार' में अलिफ़ वस्ल कैसे होगा, अलिफ़ कहाँ है? :-)))</p>