Comments - विदाई के वक़्त बेटी के उद्गार - Open Books Online2024-03-29T08:10:37Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1070979&xn_auth=noआदरणीय सोनंचली जी, भावपूर्ण र…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-19:5170231:Comment:10712562021-10-19T15:52:12.796ZJAWAHAR LAL SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/JAWAHARLALSINGH
<p><span>आदरणीय सोनंचली जी, भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। वास्तव मे हर लड़की की विदाई के समय ऐसे ही भाव उठते हैं। </span></p>
<p><span>आदरणीय सोनंचली जी, भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। वास्तव मे हर लड़की की विदाई के समय ऐसे ही भाव उठते हैं। </span></p> वाह आदरणीय क्या ही शानदार भाव…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-17:5170231:Comment:10711762021-10-17T11:20:11.673Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>वाह आदरणीय क्या ही शानदार भावपूर्ण रचना है...बधाई</p>
<p>वाह आदरणीय क्या ही शानदार भावपूर्ण रचना है...बधाई</p> आदरणीय सोनांचली जी इस आकर्षक…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-17:5170231:Comment:10713192021-10-17T05:38:25.770Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
आदरणीय सोनांचली जी इस आकर्षक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई, शेष परमादरणीय गुरुदेव समर साहब की बातों पर अमल करें।
आदरणीय सोनांचली जी इस आकर्षक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई, शेष परमादरणीय गुरुदेव समर साहब की बातों पर अमल करें। आद0 समर कबीर साहब आपको सादर प…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-17:5170231:Comment:10714092021-10-17T03:43:17.274Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 समर कबीर साहब आपको सादर प्रणाम करता हूँ।आपकी रचना पर उपस्थिति ही मेरे लिए आशीर्वाद से कम नहीं है। आपकी बातों को गम्भीरता से लेते हुए रचना को पुनः देखता हूँ। सादर</p>
<p>आद0 समर कबीर साहब आपको सादर प्रणाम करता हूँ।आपकी रचना पर उपस्थिति ही मेरे लिए आशीर्वाद से कम नहीं है। आपकी बातों को गम्भीरता से लेते हुए रचना को पुनः देखता हूँ। सादर</p> जनाब नाथ सोनांच्ली जी आदाब ,…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-15:5170231:Comment:10710052021-10-15T02:02:36.774ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब नाथ सोनांच्ली जी आदाब , बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I </p>
<p></p>
<p>`कल तक तेरी ही गोदी में, पापा मैं तो सोती थी<br></br>तुम्हे न पाती थी जब घर में, मार दहाड़े रोती थी`</p>
<p>इसके पहले मिसरे में `तेरी` और दूसरे मिसरे में `तुम्हारी ?---`तुम्हे`--"तुम्हें"--`दहाड़े`--"दहाड़ें "</p>
<p></p>
<p><span>`मैं ढूँढूँगी तुमको पापा, सारे रस्म - रिवाजों में</span><br></br><span>ढूँढूँगी तेरी आवाजें, मैं सबकी आवाजों में`---इन मिसरों में भी `तुमको ` और…</span></p>
<p>जनाब नाथ सोनांच्ली जी आदाब , बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I </p>
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<p>`कल तक तेरी ही गोदी में, पापा मैं तो सोती थी<br/>तुम्हे न पाती थी जब घर में, मार दहाड़े रोती थी`</p>
<p>इसके पहले मिसरे में `तेरी` और दूसरे मिसरे में `तुम्हारी ?---`तुम्हे`--"तुम्हें"--`दहाड़े`--"दहाड़ें "</p>
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<p><span>`मैं ढूँढूँगी तुमको पापा, सारे रस्म - रिवाजों में</span><br/><span>ढूँढूँगी तेरी आवाजें, मैं सबकी आवाजों में`---इन मिसरों में भी `तुमको ` और `तेरी`?</span></p>
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<p><span>कहीं पापा को तू से और कहीं तुम से सम्बोधित किया गया है ये बात रचना को कमज़ोर करती है ,दूसरी बात ये कि कुछ मिसरों में वाक्य विन्यास भी ठीक नहीं है, इस पर ध्यान देने की ज़रूरत है I </span></p> आद0 नीलेश भाई जी
सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-14:5170231:Comment:10711502021-10-14T09:12:55.922Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 नीलेश भाई जी</p>
<p>सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और प्रशंसा हेतु बहुत बहुत आभार आपका</p>
<p>आद0 नीलेश भाई जी</p>
<p>सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और प्रशंसा हेतु बहुत बहुत आभार आपका</p> आ. सुरेन्द्र भाई,भावपूर्ण रचन…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-14:5170231:Comment:10711462021-10-14T04:18:57.010ZNilesh Shevgaonkarhttp://www.openbooksonline.com/profile/NileshShevgaonkar
<p>आ. सुरेन्द्र भाई,<br/>भावपूर्ण रचना के लिए बधाई </p>
<p>आ. सुरेन्द्र भाई,<br/>भावपूर्ण रचना के लिए बधाई </p> आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर' साहब सा…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-14:5170231:Comment:10709872021-10-14T01:36:20.982Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर' साहब सादर अभिवादन।</p>
<p>मेरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया से गदगद हूँ। बहुत बहुत आभार आपका</p>
<p>आद0 अमीरुद्दीन 'अमीर' साहब सादर अभिवादन।</p>
<p>मेरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया से गदगद हूँ। बहुत बहुत आभार आपका</p> जनाब नाथ सोनांचली जी आदाब, मा…tag:www.openbooksonline.com,2021-10-13:5170231:Comment:10708832021-10-13T16:24:30.493Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब नाथ सोनांचली जी आदाब, मार्मिक रचना के माध्यम से विदाई के समय बेटी के उद्गार बख़ूबी पेश किए हैं आपने, बधाई स्वीकार करें। सादर। </p>
<p>जनाब नाथ सोनांचली जी आदाब, मार्मिक रचना के माध्यम से विदाई के समय बेटी के उद्गार बख़ूबी पेश किए हैं आपने, बधाई स्वीकार करें। सादर। </p>