Comments - ग़ज़ल-इश्क़ महब्बत धोखा था - Open Books Online2024-03-29T07:07:32Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1068509&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार।…tag:www.openbooksonline.com,2021-09-15:5170231:Comment:10685332021-09-15T03:11:52.691ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार। सर्</p>
<p>तुझसे मिलने से पहले मैं'</p>
<p>इस मिसरे में एक फ़ा अधिक है 'मैं', हटा दें ।</p>
<p>सर् शे'र में "मैं" की कमी लग रही थी। इसलिए पहले और मैं की मात्रा गिराने का सोचा था।पर,अब "मैं" हटा देती हूँ।</p>
<p></p>
<p>'कल वो भी हरियाला था'</p>
<p>इस मिसरे में 'हरियाला' की जगह दूसरा शब्द रखें ।</p>
<p></p>
<p>सर् नहीं ठीक हो रहा।सादर।</p>
<p></p>
<p>6शे'र सर् इस तरह कर दूँ क्या</p>
<p>रूह भटकने पर "निर्मल"</p>
<p>सारा आलम रोया था</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर् नमस्कार। सर्</p>
<p>तुझसे मिलने से पहले मैं'</p>
<p>इस मिसरे में एक फ़ा अधिक है 'मैं', हटा दें ।</p>
<p>सर् शे'र में "मैं" की कमी लग रही थी। इसलिए पहले और मैं की मात्रा गिराने का सोचा था।पर,अब "मैं" हटा देती हूँ।</p>
<p></p>
<p>'कल वो भी हरियाला था'</p>
<p>इस मिसरे में 'हरियाला' की जगह दूसरा शब्द रखें ।</p>
<p></p>
<p>सर् नहीं ठीक हो रहा।सादर।</p>
<p></p>
<p>6शे'र सर् इस तरह कर दूँ क्या</p>
<p>रूह भटकने पर "निर्मल"</p>
<p>सारा आलम रोया था</p>
<p></p>
<p>सादर</p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2021-09-14:5170231:Comment:10684382021-09-14T14:33:58.672ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'तुझसे मिलने से पहले मैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में एक फ़ा अधिक है 'मैं', हटा दें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'कल वो भी हरियाला था'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'हरियाला' की जगह दूसरा शब्द रखें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'जब भटकी रूह मेरी "निर्मल"</span></p>
<p><span>रोया दिल का कोना था'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में एक फ़ा अधिक है, सानी भी बदलें ।</span></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'तुझसे मिलने से पहले मैं'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में एक फ़ा अधिक है 'मैं', हटा दें ।</span></p>
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<p><span>'कल वो भी हरियाला था'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'हरियाला' की जगह दूसरा शब्द रखें ।</span></p>
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<p><span>'जब भटकी रूह मेरी "निर्मल"</span></p>
<p><span>रोया दिल का कोना था'</span></p>
<p><span>इस शैर के ऊला में एक फ़ा अधिक है, सानी भी बदलें ।</span></p> आ. बबीता बहन , सादर अभिवादन।स…tag:www.openbooksonline.com,2021-09-13:5170231:Comment:10683362021-09-13T14:21:54.722Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. बबीता बहन , सादर अभिवादन।सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. बबीता बहन , सादर अभिवादन।सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p>