Comments - अहसास - Open Books Online2024-03-29T15:27:27Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1065683&xn_auth=noरोहित डोबरियाल साहब, काव्य र…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10660992021-08-05T21:49:40.425ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>रोहित डोबरियाल साहब, काव्य रचना है तो काव्यानुशासन अनिवार्य है, बंधुवर !</p>
<p>रोहित डोबरियाल साहब, काव्य रचना है तो काव्यानुशासन अनिवार्य है, बंधुवर !</p> Chetan prakash ji मैं आपका क…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10662452021-08-05T17:18:33.124Zरोहित डोबरियाल "मल्हार"http://www.openbooksonline.com/profile/Rk78
<p>Chetan prakash ji मैं आपका कहना समझ रहा हूँ किंतु ये बस भावनाएं हैं जो लिखी है ....अन्यथा न लें</p>
<p>Chetan prakash ji मैं आपका कहना समझ रहा हूँ किंतु ये बस भावनाएं हैं जो लिखी है ....अन्यथा न लें</p> Chetan prakash साहब भावनाएं व…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10664112021-08-05T17:17:11.986Zरोहित डोबरियाल "मल्हार"http://www.openbooksonline.com/profile/Rk78
<p>Chetan prakash साहब भावनाएं विधा में ही लिखी जाएं ये जरूरी तो नही है</p>
<p>Chetan prakash साहब भावनाएं विधा में ही लिखी जाएं ये जरूरी तो नही है</p> जी, आदाब, आदरणीय, आप बेहतर स…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10660982021-08-05T17:05:58.249ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>जी, आदाब, आदरणीय, आप बेहतर समझते हैं, नज़्म कहन में निरन्तरता के होते ही बोधगम्य होती है , शुभ रात्रि !</p>
<p>जी, आदाब, आदरणीय, आप बेहतर समझते हैं, नज़्म कहन में निरन्तरता के होते ही बोधगम्य होती है , शुभ रात्रि !</p> //यूँ तो अपना था वो कहने को"…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10663442021-08-05T16:36:32.560ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//यूँ तो अपना था वो कहने को" पहली पंक्ति से शुरू होकर तीसरी पंक्ति " उनके दिल में उतर कर देखा जो खुद को//</span></p>
<p><span>भाई चेतन जी, आप शायद ये कहना चाहते हैं कि या तो पहली पंक्ति यूँ होना चाहिये--'यूँ तो अपने थे वो कहने को'</span></p>
<p><span>या पहली ज्यूँ की त्यूँ रहने दें तो तीसरी पंक्ति यूँ होना चाहिये 'उसके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को'?</span></p>
<p><span>//यूँ तो अपना था वो कहने को" पहली पंक्ति से शुरू होकर तीसरी पंक्ति " उनके दिल में उतर कर देखा जो खुद को//</span></p>
<p><span>भाई चेतन जी, आप शायद ये कहना चाहते हैं कि या तो पहली पंक्ति यूँ होना चाहिये--'यूँ तो अपने थे वो कहने को'</span></p>
<p><span>या पहली ज्यूँ की त्यूँ रहने दें तो तीसरी पंक्ति यूँ होना चाहिये 'उसके दिल में उतर कर देखा जो ख़ुद को'?</span></p> मैंने पंक्तियां उद्धृत की हैं…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10662432021-08-05T16:17:05.485ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>मैंने पंक्तियां उद्धृत की हैं, जनाब, फिर समझने को क्या रह जाता है, सिवाय आपके विधा को समने के! </p>
<p>मैंने पंक्तियां उद्धृत की हैं, जनाब, फिर समझने को क्या रह जाता है, सिवाय आपके विधा को समने के! </p> Chetan prakash ji आप एक बार प…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10660892021-08-05T03:48:26.077Zरोहित डोबरियाल "मल्हार"http://www.openbooksonline.com/profile/Rk78
<p>Chetan prakash ji आप एक बार पंक्तियों को समझें, वैसे सुझाव के लिए शुक्रिया</p>
<p>Chetan prakash ji आप एक बार पंक्तियों को समझें, वैसे सुझाव के लिए शुक्रिया</p> अमीरुद्दीन अमीर साहब शुक्रियाtag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10660882021-08-05T03:47:12.861Zरोहित डोबरियाल "मल्हार"http://www.openbooksonline.com/profile/Rk78
<p style="text-align: left;">अमीरुद्दीन अमीर साहब शुक्रिया</p>
<p style="text-align: left;">अमीरुद्दीन अमीर साहब शुक्रिया</p> आदाब, रोहित डोबरियाल साहब, …tag:www.openbooksonline.com,2021-08-05:5170231:Comment:10662382021-08-05T02:07:38.814ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, रोहित डोबरियाल साहब, कविता, और वो भी, मुक्त छंद में अभिव्यक्त अन्तर सम्बन्धों पर , चाहे संक्षिप्त ही क्यों न हो, सावधानी चाहिए! " यूँ तो अपना था वो कहने को" पहली पंक्ति से शुरू होकर तीसरी पंक्ति " उनके दिल में उतर कर देखा जो खुद को" मे स्वयं देखें भटकाव की शिकार है ! सादर </p>
<p>आदाब, रोहित डोबरियाल साहब, कविता, और वो भी, मुक्त छंद में अभिव्यक्त अन्तर सम्बन्धों पर , चाहे संक्षिप्त ही क्यों न हो, सावधानी चाहिए! " यूँ तो अपना था वो कहने को" पहली पंक्ति से शुरू होकर तीसरी पंक्ति " उनके दिल में उतर कर देखा जो खुद को" मे स्वयं देखें भटकाव की शिकार है ! सादर </p> जनाब रोहित डोबरियाल 'मल्हार'…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-04:5170231:Comment:10661972021-08-04T03:18:09.389Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब रोहित डोबरियाल 'मल्हार' जी आदाब, अच्छी रचना हुई बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>'उनके दिल में <strong>उतर</strong> कर देखा जो ख़ुद को' इस पंक्ति में टंकण त्रुटि हो गई है 'उतर' को '<strong>उता</strong><strong>र' </strong>कर लें। सादर। </p>
<p>जनाब रोहित डोबरियाल 'मल्हार' जी आदाब, अच्छी रचना हुई बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>'उनके दिल में <strong>उतर</strong> कर देखा जो ख़ुद को' इस पंक्ति में टंकण त्रुटि हो गई है 'उतर' को '<strong>उता</strong><strong>र' </strong>कर लें। सादर। </p>