Comments - दोहा त्रयी. . . . - Open Books Online2024-03-28T21:15:27Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1063875&xn_auth=noआदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-06:5170231:Comment:10661002021-08-06T08:40:48.141ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम सर सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार सर । सर जिस त्रुटि की ओर आपने बताया है मैं भी शंकित था किन्तु जब शब्दकोश खंगाला तो द्वन्द्व और द्वन्द दोनों ही सही थे तो छन्द के तुकांत के रूप में मैंने द्वन्द को चुना । आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार आदरणीय । आपका हर सुझाव मेरी इस यात्रा का अमूल्य मील का पत्थर है ।सादर नमन सर
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम सर सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार सर । सर जिस त्रुटि की ओर आपने बताया है मैं भी शंकित था किन्तु जब शब्दकोश खंगाला तो द्वन्द्व और द्वन्द दोनों ही सही थे तो छन्द के तुकांत के रूप में मैंने द्वन्द को चुना । आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार आदरणीय । आपका हर सुझाव मेरी इस यात्रा का अमूल्य मील का पत्थर है ।सादर नमन सर आ० सुशील सरना जी, आपकी रचना-य…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-31:5170231:Comment:10655552021-07-31T18:15:16.290ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>आ० सुशील सरना जी, आपकी रचना-यात्रा वस्तुत: अभिभूत कर रही है. आपके छंद जिस ढंग से निरापद हैं, वह अत्यंत तोषदायी है. </p>
<p>अलबत्ता, सुधार के जो बिंदु हैं, उनके प्रति सचेत करना, आपकी रचनात्मकता के प्रति सार्थक अनुमोदन होगा. </p>
<p></p>
<p>आदरणीय, शुद्ध शब्द द्वंद्व है, न कि द्वंद.</p>
<p>ऐसे में तुकान्तता पर एक बार और एकाग्र होने की आवश्यकता है. </p>
<p></p>
<p>बाकी, तीनों दोहों की महीनी रोचक तो है ही, आपकी रचनात्मकता के आयाम भी दर्शाती है. </p>
<p>पुन:, वाह-वाह !! </p>
<p>जय-जय </p>
<p>आ० सुशील सरना जी, आपकी रचना-यात्रा वस्तुत: अभिभूत कर रही है. आपके छंद जिस ढंग से निरापद हैं, वह अत्यंत तोषदायी है. </p>
<p>अलबत्ता, सुधार के जो बिंदु हैं, उनके प्रति सचेत करना, आपकी रचनात्मकता के प्रति सार्थक अनुमोदन होगा. </p>
<p></p>
<p>आदरणीय, शुद्ध शब्द द्वंद्व है, न कि द्वंद.</p>
<p>ऐसे में तुकान्तता पर एक बार और एकाग्र होने की आवश्यकता है. </p>
<p></p>
<p>बाकी, तीनों दोहों की महीनी रोचक तो है ही, आपकी रचनात्मकता के आयाम भी दर्शाती है. </p>
<p>पुन:, वाह-वाह !! </p>
<p>जय-जय </p> आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-25:5170231:Comment:10645292021-07-25T07:41:33.197ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम ।सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम ।सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी वाह .. आपकी छांदसिक यात्रा के…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-23:5170231:Comment:10643342021-07-23T18:29:15.163ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p>वाह .. आपकी छांदसिक यात्रा के प्रति साधुवाद </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p>
<p>वाह .. आपकी छांदसिक यात्रा के प्रति साधुवाद </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
<p></p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी मन…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-22:5170231:Comment:10643192021-07-22T10:09:36.670ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार । सर तीसरा दोहा एडिट से रह गया । अभी संशोधित करता हूँ सर । हार्दिक आभार सर ।
आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार । सर तीसरा दोहा एडिट से रह गया । अभी संशोधित करता हूँ सर । हार्दिक आभार सर । आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब -…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-22:5170231:Comment:10643182021-07-22T10:07:20.667ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब - सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा एवं सुझाव का दिल से आभारी है ।
आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब - सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा एवं सुझाव का दिल से आभारी है । आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन क…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-22:5170231:Comment:10644142021-07-22T10:05:59.859ZSushil Sarnahttp://www.openbooksonline.com/profile/SushilSarna
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदाब, सुशील सरना जी, प्रथम दो…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-21:5170231:Comment:10644102021-07-21T14:39:05.952ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, सुशील सरना जी, प्रथम दोनों दोहे अच्छे लगे ! किन्तु आदरणीय त्रयी का अन्तिम दोहे का तीसरा चरण, " अच्छी लगी संघर्ष में" दोष पूर्ण है, चौदह मात्राएं हैं, सादर !</p>
<p>आदाब, सुशील सरना जी, प्रथम दोनों दोहे अच्छे लगे ! किन्तु आदरणीय त्रयी का अन्तिम दोहे का तीसरा चरण, " अच्छी लगी संघर्ष में" दोष पूर्ण है, चौदह मात्राएं हैं, सादर !</p> जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छ…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-21:5170231:Comment:10643072021-07-21T09:50:14.533ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे कहे आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'नैनों से नैना करे'--'करे' को "करें" कर लें ।</span></p>
<p>जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छे दोहे कहे आपने, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'नैनों से नैना करे'--'करे' को "करें" कर लें ।</span></p> आ. भाई सुशील जी, अच्छे दोहे ह…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-21:5170231:Comment:10639752021-07-21T07:38:48.409Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुशील जी, अच्छे दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सुशील जी, अच्छे दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई ।</p>