Comments - ग़ज़ल (मसनदों पर आज बैठे हो नहीं बैठोगे कल) - Open Books Online2024-03-29T09:27:49Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1063535&xn_auth=noजनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़ि…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-12:5170231:Comment:10665372021-08-12T03:42:07.143Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। सादर।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का शुक्रिया। सादर।</p> आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभ…tag:www.openbooksonline.com,2021-08-11:5170231:Comment:10665332021-08-11T01:17:51.320Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई।</p> कैसी बहस आदरणीय, आपसे तो शायद…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-08:5170231:Comment:10636442021-07-08T12:40:27.573Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>कैसी बहस आदरणीय, आपसे तो शायद ही कोई बहस करना चाहेगा। मुझे तो मुआफ़ ही कर दें। सादर। </p>
<p>कैसी बहस आदरणीय, आपसे तो शायद ही कोई बहस करना चाहेगा। मुझे तो मुआफ़ ही कर दें। सादर। </p> आदाब, जनाब, जब जवाब यही होना…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-08:5170231:Comment:10637172021-07-08T11:13:59.587ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, जनाब, जब जवाब यही होना था तो मरहूम शाइर साहब को बेवज़ह बहस में लाये ! </p>
<p>आदाब, जनाब, जब जवाब यही होना था तो मरहूम शाइर साहब को बेवज़ह बहस में लाये ! </p> आपकी मनोहारी समीक्षा 'इसे क्य…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-08:5170231:Comment:10636412021-07-08T05:35:29.935Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आपकी मनोहारी समीक्षा '<strong>इसे क्या कहा जाय, कुछ समझ में नहीं आ रहा' </strong>के लिए आभार। सादर। </p>
<p>आपकी मनोहारी समीक्षा '<strong>इसे क्या कहा जाय, कुछ समझ में नहीं आ रहा' </strong>के लिए आभार। सादर। </p> शुभ प्रभात, प्रस्तुत रचना ओ ब…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-08:5170231:Comment:10637092021-07-08T04:36:01.746ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>शुभ प्रभात, प्रस्तुत रचना ओ बी ओ के पटल पर हुई है, मुख्य सम्पादक महोदय ने</p>
<p>स्वीकृति दी है तो ज़ाहिर है, समीक्षा तो बनतीहै, प्रभु! मैंने वही किया है! लेकिन रचनकार, सर्जक होता है, सो उससेे बेहथर कौन जानता है, वह क्या कर रहा है? </p>
<p>शुभ प्रभात, प्रस्तुत रचना ओ बी ओ के पटल पर हुई है, मुख्य सम्पादक महोदय ने</p>
<p>स्वीकृति दी है तो ज़ाहिर है, समीक्षा तो बनतीहै, प्रभु! मैंने वही किया है! लेकिन रचनकार, सर्जक होता है, सो उससेे बेहथर कौन जानता है, वह क्या कर रहा है? </p> जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, रचन…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-08:5170231:Comment:10634642021-07-08T04:11:20.147Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, रचना बह्र में है और आपको इस लायक़ लगी कि इस पर अपनी हाज़िरी देने से आप ख़ुद को रोक नहीं सके, तो कुछ तो है इस रचना में, आप जैसे काव्य के प्रकाण्ड पंडित को कौन बता सकता है कि ये क्या है, ये तो आप ही बता सकते हैं महाराज!</p>
<p>जैसा कि जिगर मुरादाबादी ने भी कहा है - </p>
<p><strong>"दिल रख दिया है सामने लाकर ख़ुलूस से - अब आगे इसके काम तुम्हारी नज़र का है" </strong> सादर।</p>
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, रचना बह्र में है और आपको इस लायक़ लगी कि इस पर अपनी हाज़िरी देने से आप ख़ुद को रोक नहीं सके, तो कुछ तो है इस रचना में, आप जैसे काव्य के प्रकाण्ड पंडित को कौन बता सकता है कि ये क्या है, ये तो आप ही बता सकते हैं महाराज!</p>
<p>जैसा कि जिगर मुरादाबादी ने भी कहा है - </p>
<p><strong>"दिल रख दिया है सामने लाकर ख़ुलूस से - अब आगे इसके काम तुम्हारी नज़र का है" </strong> सादर।</p> आदाब! रचना, बह्र में है, परन…tag:www.openbooksonline.com,2021-07-08:5170231:Comment:10634042021-07-08T03:38:26.636ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p> आदाब! रचना, बह्र में है, परन्तु इसे क्या कहा जाय, कुछ समझ में नहीं आ रहा, अमीर साहब?! कृपया मार्ग-दर्शन करें! </p>
<p> आदाब! रचना, बह्र में है, परन्तु इसे क्या कहा जाय, कुछ समझ में नहीं आ रहा, अमीर साहब?! कृपया मार्ग-दर्शन करें! </p>