Comments - गर तबीयत जाननी है देश की -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T05:00:01Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1058127&xn_auth=noआ. भाई ब्रिजेश जी, गजल की सरा…tag:www.openbooksonline.com,2021-04-09:5170231:Comment:10578912021-04-09T17:15:38.196Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई ब्रिजेश जी, गजल की सराहना के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई ब्रिजेश जी, गजल की सराहना के लिए धन्यवाद।</p> बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई आदरणीय.…tag:www.openbooksonline.com,2021-04-09:5170231:Comment:10579972021-04-09T16:12:21.368Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई आदरणीय...</p>
<p>बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई आदरणीय...</p> आ. भाई आज़ी तमाम जी, अभिवादन।…tag:www.openbooksonline.com,2021-04-07:5170231:Comment:10581392021-04-07T06:34:17.076Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई आज़ी तमाम जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति सराहना व टंकण त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।</p>
<p>लेकिन "की" सही है ।</p>
<p></p>
<p>आ. भाई आज़ी तमाम जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति सराहना व टंकण त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।</p>
<p>लेकिन "की" सही है ।</p>
<p></p> सादर प्रणाम आदरणीय धामी सर
बे…tag:www.openbooksonline.com,2021-04-07:5170231:Comment:10578692021-04-07T02:30:16.334ZAazi Tamaamhttp://www.openbooksonline.com/profile/AaziTamaa
<p>सादर प्रणाम आदरणीय धामी सर</p>
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है</p>
<p></p>
<p>जब नया देने कि कुव्वत ही नहीं...... गौर कीजियेगा शायद</p>
<p></p>
<p>गलती से कि को की व कुव्वत को कुब्बत लिख गया है</p>
<p></p>
<p>सादर</p>
<p>सादर प्रणाम आदरणीय धामी सर</p>
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है</p>
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<p>जब नया देने कि कुव्वत ही नहीं...... गौर कीजियेगा शायद</p>
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<p>गलती से कि को की व कुव्वत को कुब्बत लिख गया है</p>
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<p>सादर</p>