Comments - ग़ज़ल (इक है ज़मीं हमारी इक आसमाँ हमारा) - Open Books Online2024-03-29T06:32:08Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1043338&xn_auth=noजनाब आज़ी 'तमाम' साहिब आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2021-02-12:5170231:Comment:10490362021-02-12T13:59:33.800Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब आज़ी 'तमाम' साहिब आदाब, मुहतरम ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर। </p>
<p>जनाब आज़ी 'तमाम' साहिब आदाब, मुहतरम ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर। </p> बेहतरीन ग़ज़ल है बधाई हो आ० अ…tag:www.openbooksonline.com,2021-02-11:5170231:Comment:10484402021-02-11T18:15:36.865ZAazi Tamaamhttp://www.openbooksonline.com/profile/AaziTamaa
<p>बेहतरीन ग़ज़ल है बधाई हो आ० अमीर जी आदाब</p>
<p>बेहतरीन ग़ज़ल है बधाई हो आ० अमीर जी आदाब</p> जनाब मुख्य संपादक महोदय आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2021-02-09:5170231:Comment:10470522021-02-09T15:05:01.097Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब मुख्य संपादक महोदय आदाब, मुहतरम ग़ज़ल को फीचर ब्लॉग में शामिल करने के लिए ख़ाक़सार आपका मशकूर ओ ममनून है। सादर। </p>
<p>जनाब मुख्य संपादक महोदय आदाब, मुहतरम ग़ज़ल को फीचर ब्लॉग में शामिल करने के लिए ख़ाक़सार आपका मशकूर ओ ममनून है। सादर। </p> जनाब कृष मिश्रा, 'जान' गोरखपु…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-29:5170231:Comment:10434462021-01-29T16:44:22.665Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब कृष मिश्रा, 'जान' गोरखपुरी साहिब आदाब, मुहतरम आपने अपना क़ीमती वक़्त निकाल कर इस ख़ाक़सार की ग़ज़ल को दिया और हौसला अफ़ज़ाई की इसके लिये मैं आपका मशकूर ओ ममनून हूँ। आपको मेरा लेखन अच्छा लगा और आप न सिर्फ ग़ज़ल तक आए बल्कि अपनी पसन्दगी का इज़हार भी किया, ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। </p>
<p>जनाब कृष मिश्रा, 'जान' गोरखपुरी साहिब आदाब, मुहतरम आपने अपना क़ीमती वक़्त निकाल कर इस ख़ाक़सार की ग़ज़ल को दिया और हौसला अफ़ज़ाई की इसके लिये मैं आपका मशकूर ओ ममनून हूँ। आपको मेरा लेखन अच्छा लगा और आप न सिर्फ ग़ज़ल तक आए बल्कि अपनी पसन्दगी का इज़हार भी किया, ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। </p> अद्भुत, जिंदाबाद जिंदाबाद!! ल…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-29:5170231:Comment:10431862021-01-29T13:10:51.043ZKrish mishra 'jaan' gorakhpurihttp://www.openbooksonline.com/profile/krishnamishrajaangorakhpuri
<p>अद्भुत, जिंदाबाद जिंदाबाद!! लाज़वाब कौमी तराने की ग़ज़ल,</p>
<p>बार बार लगातार गुनगुनाया, गजब की रवानी लिए हुए है पूरी ग़ज़ल।</p>
<p>इस बेहतरीन, मुकम्मल ग़ज़ल के लिए हृदयगत से बधाई आदरणीय। </p>
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<p>अद्भुत, जिंदाबाद जिंदाबाद!! लाज़वाब कौमी तराने की ग़ज़ल,</p>
<p>बार बार लगातार गुनगुनाया, गजब की रवानी लिए हुए है पूरी ग़ज़ल।</p>
<p>इस बेहतरीन, मुकम्मल ग़ज़ल के लिए हृदयगत से बधाई आदरणीय। </p>
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