Comments - ग़ज़ल- लाऊँ कहाँ से - Open Books Online2024-03-28T22:27:22Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1041447&xn_auth=noआदीणीया रचना भाटिया जी अच्छी…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-12:5170231:Comment:10422262021-01-12T10:12:15.051ZRavi Shuklahttp://www.openbooksonline.com/profile/RaviShukla
<p>आदीणीया रचना भाटिया जी अच्छी गजल कही आपने मुबारक बाद पेश करता हूँ। आदरणीय समर साहब की बातों कास्ंज्ञान लीजियेगा</p>
<p>आदीणीया रचना भाटिया जी अच्छी गजल कही आपने मुबारक बाद पेश करता हूँ। आदरणीय समर साहब की बातों कास्ंज्ञान लीजियेगा</p> आदरणीय समर कबीर सर्,सादर नमस्…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-09:5170231:Comment:10418342021-01-09T16:11:42.144ZRachna Bhatiahttp://www.openbooksonline.com/profile/RachnaBhatia
<p>आदरणीय समर कबीर सर्,सादर नमस्कार।सर हौसला बढ़ाने के लिए तथा ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए आपकी बहुत आभारी हूँ। आदरणीय आपके द्वारा बताए सुझाव नोट कर लेती हूँ तथा अस्पष्ट शे'र ठीक करके फिर से दिखाती हूँ।सादर।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर सर्,सादर नमस्कार।सर हौसला बढ़ाने के लिए तथा ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए आपकी बहुत आभारी हूँ। आदरणीय आपके द्वारा बताए सुझाव नोट कर लेती हूँ तथा अस्पष्ट शे'र ठीक करके फिर से दिखाती हूँ।सादर।</p> मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब,…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-08:5170231:Comment:10415802021-01-08T15:11:24.860ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'न चल पाए क़दम इक भी वहाँ से'</p>
<p>इस मिसरे को यूँ कहें:-</p>
<p>'क़दम हिल भी नहीं पाए वहाँ से'</p>
<p></p>
<p>'सँभलने के लिए कुछ वक़्त तो दो</p>
<p>अभी उतरा ही है वो आसमाँ से'</p>
<p>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं, कौन उतरी है?</p>
<p></p>
<p><span>'दिया वो लाऊँ मैं यारो कहाँ से'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कहें:-</span></p>
<p><span>'मैं ऐसी रोशनी लाऊँ कहाँ से'</span></p>
<p></p>
<p><span>'मिले…</span></p>
<p>मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p>'न चल पाए क़दम इक भी वहाँ से'</p>
<p>इस मिसरे को यूँ कहें:-</p>
<p>'क़दम हिल भी नहीं पाए वहाँ से'</p>
<p></p>
<p>'सँभलने के लिए कुछ वक़्त तो दो</p>
<p>अभी उतरा ही है वो आसमाँ से'</p>
<p>इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं, कौन उतरी है?</p>
<p></p>
<p><span>'दिया वो लाऊँ मैं यारो कहाँ से'</span></p>
<p><span>इस मिसरे को यूँ कहें:-</span></p>
<p><span>'मैं ऐसी रोशनी लाऊँ कहाँ से'</span></p>
<p></p>
<p><span>'मिले 'निर्मल' को तुहफ़े मेह्रबाँ से'</span></p>
<p><span>"मह्रबाँ" ऐसे लिखें ।</span></p>
<p></p>