Comments - गीत -नवीन वर्ष में नवीन गीत रंग रास हो (पञ्चचामर छ्न्द) - Open Books Online2024-03-29T09:55:53Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1039757&xn_auth=noआद0 सौरभ पांडेय जी सादर प्रणा…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-09:5170231:Comment:10418332021-01-09T14:50:23.926Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 सौरभ पांडेय जी सादर प्रणाम</p>
<p>रचना पर आपकी उपस्थिति मुझे नई ऊर्जा दे रही है। आपकी बातों को गहराई से आत्मसात कर रहा हूँ। कोशिश होगी कि आगे से आधुनिकता का पुट भी रखूँ। हृदयतल से आभार आपका</p>
<p>आद0 सौरभ पांडेय जी सादर प्रणाम</p>
<p>रचना पर आपकी उपस्थिति मुझे नई ऊर्जा दे रही है। आपकी बातों को गहराई से आत्मसात कर रहा हूँ। कोशिश होगी कि आगे से आधुनिकता का पुट भी रखूँ। हृदयतल से आभार आपका</p> आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-09:5170231:Comment:10416492021-01-09T14:48:18.165Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। पञ्चचामर छ्न्द पर आपकी उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार</p>
<p>आद0 तेजवीर सिंह जी सादर अभिवादन। पञ्चचामर छ्न्द पर आपकी उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार</p> इस छंद का विन्यास भले ही क्ल…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-08:5170231:Comment:10416332021-01-08T10:59:47.328ZSaurabh Pandeyhttp://www.openbooksonline.com/profile/SaurabhPandey
<p></p>
<p>इस छंद का विन्यास भले ही क्लिष्ट हो इसकी गति अत्यंत प्रवाहमय होती है. छांदसिक रचना-कर्म के अलावे कवि वाचिक विन्यास में इस छंद में रचनाक्र्म करते हैं जिसका अभ्यास तुलनात्मक रूप से सरल है. </p>
<p></p>
<p>आदरणीय कुशक्षत्रप जी, आपने नववर्ष का आवाहन करते हुए एक समर्थ प्रयास किया है. यह अवश्य है कि आपने प्रस्तुति में सनातन भावों को प्रश्रय दिया है, किन्तु साथ ही आज के संदर्भ को भी विकसित करना श्रेयस्कर होता. </p>
<p>बहुत खूब तथा बधाइयाँ </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p>इस छंद का विन्यास भले ही क्लिष्ट हो इसकी गति अत्यंत प्रवाहमय होती है. छांदसिक रचना-कर्म के अलावे कवि वाचिक विन्यास में इस छंद में रचनाक्र्म करते हैं जिसका अभ्यास तुलनात्मक रूप से सरल है. </p>
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<p>आदरणीय कुशक्षत्रप जी, आपने नववर्ष का आवाहन करते हुए एक समर्थ प्रयास किया है. यह अवश्य है कि आपने प्रस्तुति में सनातन भावों को प्रश्रय दिया है, किन्तु साथ ही आज के संदर्भ को भी विकसित करना श्रेयस्कर होता. </p>
<p>बहुत खूब तथा बधाइयाँ </p>
<p>शुभातिशुभ</p>
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<p> </p> हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेन्द्र…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-05:5170231:Comment:10412392021-01-05T13:05:11.257ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी।बेहतरीन छंद।</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय<span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी।बेहतरीन छंद।</p> आद0 अमीरुद्दीन अमीर जी सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-03:5170231:Comment:10408842021-01-03T17:36:12.165Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अमीरुद्दीन अमीर जी सादर अभिवादन</p>
<p>पञ्चचामर छ्न्द आधारित इस गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार</p>
<p>आद0 अमीरुद्दीन अमीर जी सादर अभिवादन</p>
<p>पञ्चचामर छ्न्द आधारित इस गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार</p> आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी स…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-03:5170231:Comment:10411092021-01-03T17:35:33.457Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन</p>
<p>पञ्चचामर छ्न्द आधारित इस गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार</p>
<p>आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी सादर अभिवादन</p>
<p>पञ्चचामर छ्न्द आधारित इस गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार</p> आद0 दण्डपाणि नाहक जी सादर अभि…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-03:5170231:Comment:10409692021-01-03T17:34:43.480Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 दण्डपाणि नाहक जी सादर अभिवादन। पञ्चचामर छ्न्द आधारित गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार</p>
<p>आद0 दण्डपाणि नाहक जी सादर अभिवादन। पञ्चचामर छ्न्द आधारित गीत पर आपकी उपस्थिति और सराहना का हृदयतल से आभार</p> जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आद…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-02:5170231:Comment:10409162021-01-02T05:43:46.651Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, सुंदर गीत की रचना की गई है, बधाई स्वीकार करें। सादर। </p>
<p>जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, सुंदर गीत की रचना की गई है, बधाई स्वीकार करें। सादर। </p> आ. भाई सुरेंद्रनाथ जी, सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2021-01-01:5170231:Comment:10406592021-01-01T15:58:14.389Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुरेंद्रनाथ जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है । हार्दिक बधाई।</p>
<p>आ. भाई सुरेंद्रनाथ जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है । हार्दिक बधाई।</p> आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-31:5170231:Comment:10400532020-12-31T09:53:46.382Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम।</p>
<p>रचना पर आपकी गरिमामयी उपस्थिति और आशीर्वाद के लिए कोटि कोटि आभार। </p>
<p>आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम।</p>
<p>रचना पर आपकी गरिमामयी उपस्थिति और आशीर्वाद के लिए कोटि कोटि आभार। </p>