Comments - सोचती हूँ उन नरपशुओं की माताओं से मिला जाये - Open Books Online2024-03-28T17:53:55Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1039325&xn_auth=no आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी
आप…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-30:5170231:Comment:10400352020-12-30T21:39:56.661Zamita tiwarihttp://www.openbooksonline.com/profile/amitatiwari
<p> आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी </p>
<p>आपकी टिप्पणी के लिए आभारी हूँ ।</p>
<p>आपके मंतव्य से सहमत हूँ कि माताएँ कभी बच्चों को गलत रास्ते पर नहीं धकेलती ।लेकिन मेरा आशय यह है कि यदि बच्चे पारिवारिक मौहौल मे रह कर भी सम्बन्धों को आदर नहीं देते हैं तो कमी कहाँ रह जाती है वह देखना ज़रूरी है ।अपराधी जो भी अपराध करते हैं उसके व्यक्तिगत और सामाजिक कारण होते हैं कोई अपराधी पैदा नहीं होता ।हमें उन परिस्थितियों को समझ कर उन्हे सुधारणा है वरना फाँसी के बाद ,एंकौंटर के बाद भी ये सिलसिले रुके तो नहीं…</p>
<p> आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी </p>
<p>आपकी टिप्पणी के लिए आभारी हूँ ।</p>
<p>आपके मंतव्य से सहमत हूँ कि माताएँ कभी बच्चों को गलत रास्ते पर नहीं धकेलती ।लेकिन मेरा आशय यह है कि यदि बच्चे पारिवारिक मौहौल मे रह कर भी सम्बन्धों को आदर नहीं देते हैं तो कमी कहाँ रह जाती है वह देखना ज़रूरी है ।अपराधी जो भी अपराध करते हैं उसके व्यक्तिगत और सामाजिक कारण होते हैं कोई अपराधी पैदा नहीं होता ।हमें उन परिस्थितियों को समझ कर उन्हे सुधारणा है वरना फाँसी के बाद ,एंकौंटर के बाद भी ये सिलसिले रुके तो नहीं ...ज़रूरत उस कारण को दूर करने की है जो उन्हें यह शह देते हैं ...जहां तक 'अंधेरे ' शब्द का प्रयोग है ।स्पष्ट रूप से यह अज्ञानता का रूपक है ॥गाली देने का तो सोचा भी नहीं जा सकता </p> आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-30:5170231:Comment:10399632020-12-30T14:58:36.811Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिवादन</p>
<p>जहाँ तक मैं समझता हूँ माँ, माँ होती है और एक माँ कभी बच्चे को ग़लत वो भी इस तरह का, के रास्ते पर नहीं ढकेलती। इसलिए माता को दोषी ठहराना मेरे हिसाब से उचित नहीं। और माँ से पूछना कि ये औलादें किस अँधेरी की है, परोक्ष रूप से माँ को गाली देना है जो मेरी समझ से साहित्यिक नहीं है। शेष आप स्वयं निर्णय लीजिये। सादर</p>
<p>आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिवादन</p>
<p>जहाँ तक मैं समझता हूँ माँ, माँ होती है और एक माँ कभी बच्चे को ग़लत वो भी इस तरह का, के रास्ते पर नहीं ढकेलती। इसलिए माता को दोषी ठहराना मेरे हिसाब से उचित नहीं। और माँ से पूछना कि ये औलादें किस अँधेरी की है, परोक्ष रूप से माँ को गाली देना है जो मेरी समझ से साहित्यिक नहीं है। शेष आप स्वयं निर्णय लीजिये। सादर</p>