Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T08:18:31Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1037869&xn_auth=noआ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-05:5170231:Comment:10380472020-12-05T02:06:55.975Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । गजल का प्रयास अच्छा हुआ है । शेष आ. समर जी कह ही चुके हैं । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । गजल का प्रयास अच्छा हुआ है । शेष आ. समर जी कह ही चुके हैं । हार्दिक बधाई ।</p> आदाब, आदरणीय, आप सही कह रहै ह…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-04:5170231:Comment:10377912020-12-04T15:41:30.930ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब, आदरणीय, आप सही कह रहै है अवकाश मिलते ही आपके संकेतानुसार पुनः सही स्वरूप में ग़ज़ल</p>
<p> पोस्ट करूँगा ।</p>
<p>आदाब, आदरणीय, आप सही कह रहै है अवकाश मिलते ही आपके संकेतानुसार पुनः सही स्वरूप में ग़ज़ल</p>
<p> पोस्ट करूँगा ।</p> 'हलचल भी नहीं है' तो रदीफ़ है,…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-04:5170231:Comment:10377902020-12-04T14:27:15.104ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>'हलचल भी नहीं है' तो रदीफ़ है, क़वाफ़ी मतले में 'वो' और 'तो' हैं, बाक़ी अशआर बिना क़ाफ़िये के हैं, ग़ौर करें ।</p>
<p>'हलचल भी नहीं है' तो रदीफ़ है, क़वाफ़ी मतले में 'वो' और 'तो' हैं, बाक़ी अशआर बिना क़ाफ़िये के हैं, ग़ौर करें ।</p> आदाब आदरणीय, समर कबीर साहब , …tag:www.openbooksonline.com,2020-12-04:5170231:Comment:10379752020-12-04T13:44:43.122ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>आदाब आदरणीय, समर कबीर साहब , उक्त ग़ज़ल के मतले के दोनों मिसरों में चूँकि एक ही काफिया ( हलचल ) है, अतः उसे अंत तक निभाने <span>प्रयास</span> मैंने किया है। साभार</p>
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<p>आदाब आदरणीय, समर कबीर साहब , उक्त ग़ज़ल के मतले के दोनों मिसरों में चूँकि एक ही काफिया ( हलचल ) है, अतः उसे अंत तक निभाने <span>प्रयास</span> मैंने किया है। साभार</p>
<p> </p> जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, क़ाफ़…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-04:5170231:Comment:10377802020-12-04T11:50:23.602ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, क़ाफ़िये क्या हैं इस ग़ज़ल के?</p>
<p>जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, क़ाफ़िये क्या हैं इस ग़ज़ल के?</p>