Comments - मुफलिसी में ही जिसका गुजारा हुआ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल) - Open Books Online2024-03-29T14:26:22Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1037080&xn_auth=noआ. भाई बृजेश कुमार जी, सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-03:5170231:Comment:10380312020-12-03T06:44:06.810Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बृजेश कुमार जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति व उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद।</p>
<p>आ. भाई बृजेश कुमार जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति व उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद।</p> आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन ।…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-03:5170231:Comment:10378642020-12-03T06:40:02.206Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार।</p>
<p>आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर पुनः उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार।</p> अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जीtag:www.openbooksonline.com,2020-12-02:5170231:Comment:10377622020-12-02T07:07:45.872Zबृजेश कुमार 'ब्रज'http://www.openbooksonline.com/profile/brijeshkumar
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय धामी जी</p> 'ऐसा हलधर न शासन को प्यारा हु…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-01:5170231:Comment:10380202020-12-01T09:12:23.299ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>'ऐसा हलधर न शासन को प्यारा हुआ'</span></p>
<p><span>अब ठीक है ।</span></p>
<p><span>'ऐसा हलधर न शासन को प्यारा हुआ'</span></p>
<p><span>अब ठीक है ।</span></p> आ भाई समर जी, सादर अभिवादन ।…tag:www.openbooksonline.com,2020-12-01:5170231:Comment:10378452020-12-01T07:44:09.363Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार ।</p>
<p>मतले का शानी बदलने का प्रयास किया है । मार्गदर्शन करें। सादर</p>
<p></p>
<p>ऐसा हलधर न शासन को प्यारा हुआ।.</p>
<p></p>
<p>आ भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार ।</p>
<p>मतले का शानी बदलने का प्रयास किया है । मार्गदर्शन करें। सादर</p>
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<p>ऐसा हलधर न शासन को प्यारा हुआ।.</p>
<p></p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:www.openbooksonline.com,2020-11-25:5170231:Comment:10373412020-11-25T13:11:35.367ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मुफलिसी में ही जिसका गुजारा हुआ</span><br/><span>कौन शासन जो उस का सहारा हुआ'</span></p>
<p><span>मतले का सानी बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p><span>कुछ टंकण त्रुटियाँ हैं,दुरुस्त कर लें ।</span></p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'मुफलिसी में ही जिसका गुजारा हुआ</span><br/><span>कौन शासन जो उस का सहारा हुआ'</span></p>
<p><span>मतले का सानी बदलने का प्रयास करें ।</span></p>
<p><span>कुछ टंकण त्रुटियाँ हैं,दुरुस्त कर लें ।</span></p> आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवाद…tag:www.openbooksonline.com,2020-11-22:5170231:Comment:10371822020-11-22T14:09:13.899Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p>
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।</p> हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण ध…tag:www.openbooksonline.com,2020-11-21:5170231:Comment:10372712020-11-21T13:38:44.609ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</span> जी।लाज़वाब गज़ल।</p>
<p><span>उसको जूठन का मतलब न समझाइए</span><br/><span>जिस ने पहना हो सब का उतारा हुआ।२</span></p>
<p><span>कौन ले थाह उस की सघन पीर की</span><br/><span>वोट जिस को दिया वो नकारा हुआ।६।</span></p>
<p><span>*</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</span> जी।लाज़वाब गज़ल।</p>
<p><span>उसको जूठन का मतलब न समझाइए</span><br/><span>जिस ने पहना हो सब का उतारा हुआ।२</span></p>
<p><span>कौन ले थाह उस की सघन पीर की</span><br/><span>वोट जिस को दिया वो नकारा हुआ।६।</span></p>
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