Comments - ग़ज़ल (न यूँ दर-दर भटकते हम...) - Open Books Online2024-03-28T11:47:43Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1024860&xn_auth=noजनाब रूपम कुमार 'मीत' जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2020-10-20:5170231:Comment:10345982020-10-20T14:32:16.425Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब रूपम कुमार 'मीत' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से मशकूर हूँ ।</p>
<p>शाद-ओ-आबाद रहें। </p>
<p>जनाब रूपम कुमार 'मीत' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से मशकूर हूँ ।</p>
<p>शाद-ओ-आबाद रहें। </p> आदरणीय चेतन प्रकाश जी आदाब, ग…tag:www.openbooksonline.com,2020-10-05:5170231:Comment:10249822020-10-05T03:06:50.791Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ऐजाज़ बख़्शने और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p>
<p>आदरणीय चेतन प्रकाश जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ऐजाज़ बख़्शने और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे-दिल से शुक्रिया। सादर।</p> बह्रे हज़ज मुसम्मन सालिम में…tag:www.openbooksonline.com,2020-10-05:5170231:Comment:10249782020-10-05T02:59:54.611ZChetan Prakashhttp://www.openbooksonline.com/profile/ChetanPrakash68
<p>बह्रे हज़ज मुसम्मन सालिम में कही गयी साफ-सुथरी बढ़िया ग़ज़ल, वाह क्या कहने, बधाई शायर 'अमीर' साहब को !</p>
<p>बह्रे हज़ज मुसम्मन सालिम में कही गयी साफ-सुथरी बढ़िया ग़ज़ल, वाह क्या कहने, बधाई शायर 'अमीर' साहब को !</p>