Comments - सितारे लौंग से कमतर नयन मृग से भी अच्छे हैं -गजल - Open Books Online2024-03-28T18:17:26Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1017173&xn_auth=noआ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-12:5170231:Comment:10174462020-09-12T23:54:36.467Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर अपकी उपस्थिति से लेखन सफल हुआ । मार्गदर्शन के लिए आभार । </p>
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<p>"के जैसा" के स्थान पर "जैसा ही" करना क्या उचित रहेगा , मार्गदर्शन करें । सादर आभार..</p>
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<p>आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर अपकी उपस्थिति से लेखन सफल हुआ । मार्गदर्शन के लिए आभार । </p>
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<p>"के जैसा" के स्थान पर "जैसा ही" करना क्या उचित रहेगा , मार्गदर्शन करें । सादर आभार..</p>
<p></p> जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' ज…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-12:5170231:Comment:10173042020-09-12T09:56:35.332ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>रदीफ़ "के जैसा" में 'के' शब्द भर्ती का है ग़ौर करें ।</p>
<p>जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>रदीफ़ "के जैसा" में 'के' शब्द भर्ती का है ग़ौर करें ।</p>