Comments - जाने क्यूँ आज है औरत की ये औरत दुश्मन - Open Books Online2024-03-28T17:52:25Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1017083&xn_auth=noआदरणीय भाई लक्षमण धामी जी आपक…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-13:5170231:Comment:10174532020-09-13T03:48:57.023ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी आपकी स्नेहिल होंसिला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।</p>
<p>सादर ।</p>
<p>आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी आपकी स्नेहिल होंसिला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।</p>
<p>सादर ।</p> आ. भाई हर्ष महाजन जी, सादर अभ…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-13:5170231:Comment:10175292020-09-13T00:23:16.250Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई हर्ष महाजन जी, सादर अभिवादन । सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई हर्ष महाजन जी, सादर अभिवादन । सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय जनाब अमीरुद्दीन जी मेर…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-11:5170231:Comment:10172612020-09-11T16:43:45.960ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय जनाब अमीरुद्दीन जी मेरी पेशकरदा रचना पर आपकी आमद और तनक़ीद का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ । आपके दिए गए सुझाव सच में बहुत ही बेहतरीन हैं जो कृति की शौभा बढ़ाती है । आपने कृति पर अपना कीमती समय दिया इसके लिए मैं तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।</p>
<p>सादर ।</p>
<p>आदरणीय जनाब अमीरुद्दीन जी मेरी पेशकरदा रचना पर आपकी आमद और तनक़ीद का बेहद शुक्रगुज़ार हूँ । आपके दिए गए सुझाव सच में बहुत ही बेहतरीन हैं जो कृति की शौभा बढ़ाती है । आपने कृति पर अपना कीमती समय दिया इसके लिए मैं तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।</p>
<p>सादर ।</p> आदरणीय हर्ष महाजन जी आदाब, अच…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-11:5170231:Comment:10172542020-09-11T13:06:49.890Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>आदरणीय हर्ष महाजन जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। </p>
<p>"यूँ न होती जो अगर मेरी मसर्रत दुश्मन" जनाब इस मिसरे में <b>अगर</b> के साथ <strong>जो </strong>शब्द खटक रहा है, जो के बदले <strong>वो </strong>कर के देख सकते हैं। </p>
<p>"ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर अगर,</p>
<p>इल्म हो जाए मुहब्बत की हकीकत दुश्मन" अच्छा शे'र है लेकिन आप इस शे'र को ग़ज़ल का मक़्ता भी बना सकते हैं :</p>
<p><strong>"ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर जहाँ,</strong></p>
<p><strong>'हर्ष' हो जाए…</strong></p>
<p>आदरणीय हर्ष महाजन जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। </p>
<p>"यूँ न होती जो अगर मेरी मसर्रत दुश्मन" जनाब इस मिसरे में <b>अगर</b> के साथ <strong>जो </strong>शब्द खटक रहा है, जो के बदले <strong>वो </strong>कर के देख सकते हैं। </p>
<p>"ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर अगर,</p>
<p>इल्म हो जाए मुहब्बत की हकीकत दुश्मन" अच्छा शे'र है लेकिन आप इस शे'र को ग़ज़ल का मक़्ता भी बना सकते हैं :</p>
<p><strong>"ऐसे इंसानों की बस्ती से रहो दूर जहाँ,</strong></p>
<p><strong>'हर्ष' हो जाए मुहब्बत की मुहब्बत दुश्मन"</strong> सादर। </p>
<p> </p>
<p></p> आदरणीय आशीष यादव जी मुहब्बतों…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-11:5170231:Comment:10172302020-09-11T07:00:41.838ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय आशीष यादव जी मुहब्बतों के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।</p>
<p>सादर ।</p>
<p>आदरणीय आशीष यादव जी मुहब्बतों के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।</p>
<p>सादर ।</p> आदरणीय साध्वी सैनी जी रचना पर…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-11:5170231:Comment:10172292020-09-11T06:59:02.246ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय साध्वी सैनी जी रचना पर आपकी आमद और उस पर आपके स्नेहिल शब्दों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।</p>
<p>आदरणीय साध्वी सैनी जी रचना पर आपकी आमद और उस पर आपके स्नेहिल शब्दों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।</p> आदरणीय श्री हरष् महाजन जी अच्…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-10:5170231:Comment:10173092020-09-10T17:44:56.872Zआशीष यादवhttp://www.openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
<p>आदरणीय श्री हरष् महाजन जी अच्छी गजल पर मुबारकबाद कुबूल फरमायें। </p>
<p>आदरणीय श्री हरष् महाजन जी अच्छी गजल पर मुबारकबाद कुबूल फरमायें। </p> आदरणीय सर समर कबीर जी आदाब, ग…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-10:5170231:Comment:10170992020-09-10T14:45:45.502ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p><span>आदरणीय सर समर कबीर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति केके लिए कोटि कोटि धन्यवाद । सृजन के भावों को इतना मान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । </span></p>
<p><span>सादर ।</span></p>
<p><span>आदरणीय सर समर कबीर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति केके लिए कोटि कोटि धन्यवाद । सृजन के भावों को इतना मान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया । </span></p>
<p><span>सादर ।</span></p> जनाब हर्ष महाजन जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-10:5170231:Comment:10170952020-09-10T10:32:53.242ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब हर्ष महाजन जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब हर्ष महाजन जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय डिंपल जी मेरी रचना पर…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-09:5170231:Comment:10170882020-09-09T13:47:58.122ZHarash Mahajanhttp://www.openbooksonline.com/profile/HarashMahajan
<p>आदरणीय डिंपल जी मेरी रचना पर आपकी आमद और उस पर आपकी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत शुक्रिया ।</p>
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<p>आदरणीय डिंपल जी मेरी रचना पर आपकी आमद और उस पर आपकी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत शुक्रिया ।</p>
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