Comments - क्या जाने किस जनम का सिला दे गया मुझे..( ग़ज़ल : सालिक गणवीर) - Open Books Online2024-03-29T07:55:41Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1017026&xn_auth=noआदरणीय भाई बसंत कुमार शर्मा ज…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-13:5170231:Comment:10174812020-09-13T12:56:17.457Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई बसंत कुमार शर्मा जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p>
<p>आदरणीय भाई बसंत कुमार शर्मा जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर न…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-11:5170231:Comment:10173342020-09-11T13:25:45.066Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p><span>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर नमस्कार ।</span></p>
<p><span>अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</span></p>
<p><span>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर नमस्कार ।</span></p>
<p><span>अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</span></p> भाई लक्षण धामी 'मुसाफ़िर' जीसा…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-11:5170231:Comment:10172502020-09-11T12:06:53.904Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई लक्षण धामी <em>'मुसाफ़िर'</em> जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p>
<p>भाई लक्षण धामी <em>'मुसाफ़िर'</em> जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-11:5170231:Comment:10172472020-09-11T11:57:02.289Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> भाई आशीष यादव जीसादर अभिवादनग़…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-10:5170231:Comment:10172172020-09-10T17:24:36.453Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p style="text-align: center;"><em>भाई आशीष यादव जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</em></p>
<p style="text-align: center;"><em>भाई आशीष यादव जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए ह्रदय तल से आपका आभारी हूँ.</em></p> आदरणीय श्री सालिक गणवीर साहब…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-10:5170231:Comment:10171952020-09-10T17:16:31.476Zआशीष यादवhttp://www.openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
<p>आदरणीय श्री सालिक गणवीर साहब अच्छी गजल बनी है। बधाई स्वीकार कीजिये। </p>
<p>आदरणीय श्री सालिक गणवीर साहब अच्छी गजल बनी है। बधाई स्वीकार कीजिये। </p> उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहि…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-08:5170231:Comment:10171442020-09-08T15:50:44.237Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>करेक्शन कर दिया और आपके सौजन्य से नया शैर भी जोड़ दिया मुहतरम. बहुत शुक्रिय:,नवाज़िशें.</p>
<p>उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>करेक्शन कर दिया और आपके सौजन्य से नया शैर भी जोड़ दिया मुहतरम. बहुत शुक्रिय:,नवाज़िशें.</p> 'मैं उसके इशारों को समझ ही नह…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-08:5170231:Comment:10170782020-09-08T14:37:16.252ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>'मैं उसके इशारों को समझ ही नहीं सका'</span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र में नहीं है, मेरी टिप्पणी ध्यान से पढ़ें ।</span></p>
<p><span>'मैं उसके इशारों को समझ ही नहीं सका'</span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र में नहीं है, मेरी टिप्पणी ध्यान से पढ़ें ।</span></p> आमीन !
बहुत बहुत धन्यवाद प्रि…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-08:5170231:Comment:10170612020-09-08T06:19:41.999ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>आमीन !</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय ।</p>
<p>आमीन !</p>
<p>बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय ।</p> आदरणीय समर कबीर साहिबआदाबग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-09-08:5170231:Comment:10170602020-09-08T06:09:40.161Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब<br/>आदाब<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.इस्लाह पर अमल करने के बाद ग़ज़ल पुनः पोस्ट करता हूँ,मुहतरम. साथ ही साथ आपको जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएंँ.ईश्वर आपको लंबी उम्र और अच्छी सेहत अताा करेंं.</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहिब<br/>आदाब<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.इस्लाह पर अमल करने के बाद ग़ज़ल पुनः पोस्ट करता हूँ,मुहतरम. साथ ही साथ आपको जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएंँ.ईश्वर आपको लंबी उम्र और अच्छी सेहत अताा करेंं.</p>