Comments - रस्ते की बात है न ये रहबर की बात है...(ग़ज़ल-सालिक गणवीर) - Open Books Online2024-03-28T22:11:31Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1014710&xn_auth=noभाई आशीष यादव जी.सादर अभिवादन…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-27:5170231:Comment:10157242020-08-27T14:54:16.807Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई आशीष यादव जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.</p>
<p>भाई आशीष यादव जी.<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.</p> एक बढ़िया गजल पर बधाई स्वीकार…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-25:5170231:Comment:10156922020-08-25T20:09:48.953Zआशीष यादवhttp://www.openbooksonline.com/profile/Ashishyadav
<p>एक बढ़िया गजल पर बधाई स्वीकार कीजिए।</p>
<p>एक बढ़िया गजल पर बधाई स्वीकार कीजिए।</p> आदरणीया डिंपल शर्मा जीसादर अभ…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-20:5170231:Comment:10154072020-08-20T12:13:16.986Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीया डिंपल शर्मा जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.</p>
<p>आदरणीया डिंपल शर्मा जी<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी आमद और सराहना के लिए हृदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ. सादर एवं सप्रेम.</p> आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते,…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-19:5170231:Comment:10151362020-08-19T16:44:17.852ZDimple Sharmahttp://www.openbooksonline.com/profile/DimpleSharma
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते, खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें।</p>
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते, खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें।</p> उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहि…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-17:5170231:Comment:10150462020-08-17T14:15:33.260Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब<br/>आदाब<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.आपकी इस्लाह की ज़रूरत थी मुहतरम. बहुत शुक्रिय: नवाज़िशें.</p>
<p>उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब<br/>आदाब<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.आपकी इस्लाह की ज़रूरत थी मुहतरम. बहुत शुक्रिय: नवाज़िशें.</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-17:5170231:Comment:10149662020-08-17T11:02:31.711ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'उस वाक़िये का ज़िक्र मुनासिब नहीं यहाँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'वाक़िये' को "वाक़िआ" कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'बरसात मॉनसून की उसको थी ले उड़ी<br/>छत आपकी नहीं मेरे छप्पर की बात है'</span></p>
<p><span>इस शैर के सानी का शिल्प कमज़ोर है, यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'बरसात मानसून की जिसको उड़ा गई</span></p>
<p><span>वो तेरी छत नहीं मेरे छप्पर की बात है'</span></p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'उस वाक़िये का ज़िक्र मुनासिब नहीं यहाँ'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'वाक़िये' को "वाक़िआ" कर लें ।</span></p>
<p></p>
<p><span>'बरसात मॉनसून की उसको थी ले उड़ी<br/>छत आपकी नहीं मेरे छप्पर की बात है'</span></p>
<p><span>इस शैर के सानी का शिल्प कमज़ोर है, यूँ कर लें:-</span></p>
<p><span>'बरसात मानसून की जिसको उड़ा गई</span></p>
<p><span>वो तेरी छत नहीं मेरे छप्पर की बात है'</span></p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुस…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-12:5170231:Comment:10147512020-08-12T03:00:32.478Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसाफिर '<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसाफिर '<br/>सादर अभिवादन<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.</p> आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-12:5170231:Comment:10147502020-08-12T02:58:44.773Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब<br/>आदाब<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.</p>
<p>आदरणीय अमीरूद्दीन 'अमीर'साहिब<br/>आदाब<br/>ग़ज़ल पर आपकी मौजूदगी और हौसला अफजाई के लिए आपका तह-ए-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-12:5170231:Comment:10146832020-08-12T01:01:11.976Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, शान…tag:www.openbooksonline.com,2020-08-11:5170231:Comment:10147412020-08-11T15:00:01.760Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, शानदार ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। मक़्ता लाजवाब है। सादर। </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, शानदार ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। मक़्ता लाजवाब है। सादर। </p>
<p></p>
<p></p>
<p></p>