Comments - छत पे आने की कहो- ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-29T09:09:10Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1011903&xn_auth=noआदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी स…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-13:5170231:Comment:10121832020-07-13T12:07:02.126Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz" class="fn url">आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'</a><span> जी सादर नमस्कार , आपने बहुत बारीक़ नजर से मेरी ग़ज़ल को देखा और तरमीम की, दिल से शुक्रगुजार हूँ आपका, नुक्ते की गलतियां मुझसे कस्र हो जाती हैं, मैं सीखने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ, इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिये यही इल्तिजा है। </span></p>
<p><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz" class="fn url">आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'</a><span> जी सादर नमस्कार , आपने बहुत बारीक़ नजर से मेरी ग़ज़ल को देखा और तरमीम की, दिल से शुक्रगुजार हूँ आपका, नुक्ते की गलतियां मुझसे कस्र हो जाती हैं, मैं सीखने का पूरा प्रयास कर रहा हूँ, इसी तरह मार्गदर्शन करते रहिये यही इल्तिजा है। </span></p> आदरणीय सालिक गणवीर जी सादर न…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-13:5170231:Comment:10121822020-07-13T12:03:31.059Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p><span>आदरणीय </span> <span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir" class="fn url">सालिक गणवीर</a> </span><span>जी सादर नमस्कार - आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया </span></p>
<p><span>आदरणीय </span> <span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir" class="fn url">सालिक गणवीर</a> </span><span>जी सादर नमस्कार - आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया </span></p> आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' जी स…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-13:5170231:Comment:10122532020-07-13T12:03:05.706Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p><span>आदरणीय </span> <span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin" class="fn url">रवि भसीन 'शाहिद'</a> </span><span>जी सादर नमस्कार - आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया </span></p>
<p><span>आदरणीय </span> <span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin" class="fn url">रवि भसीन 'शाहिद'</a> </span><span>जी सादर नमस्कार - आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया </span></p> आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-13:5170231:Comment:10122512020-07-13T12:02:44.798Zबसंत कुमार शर्माhttp://www.openbooksonline.com/profile/37vrpfxgzfdi8
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> जी सादर नमस्कार - आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया </span></p>
<p>आदरणीय <span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> जी सादर नमस्कार - आपकी हौसलाफजाई के लिए दिल से शुक्रिया </span></p> जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-12:5170231:Comment:10122152020-07-12T08:52:33.900Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आपने दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>//है मधुर आवाज़ उसकी और चेहरा खूबसूरत,// ये मिसरा बह्र में नहीं है, चाहें तो इसे यूँ कर सकते हैं :</p>
<p>"है मधुर आवाज़ उसकी और चेहरा आफ़रीं,, इसके इलावा चन्द टंकण त्रुटियों की ओर आपका ध्यानाकर्षण कराना चाहूँगा :</p>
<p>मतले के मिसरा ए ऊला में लफ़्ज़ 'जिगर' से नुक़्ता हटा लें और लफ़्ज़ बाकी में क के नीचे नुक़्ता लगा लें।</p>
<p>दूसरे शैर के मिसरा ए ऊला में लफ़्ज़ 'खूबसूरत' में ख के नीचे…</p>
<p>जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब, बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आपने दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>//है मधुर आवाज़ उसकी और चेहरा खूबसूरत,// ये मिसरा बह्र में नहीं है, चाहें तो इसे यूँ कर सकते हैं :</p>
<p>"है मधुर आवाज़ उसकी और चेहरा आफ़रीं,, इसके इलावा चन्द टंकण त्रुटियों की ओर आपका ध्यानाकर्षण कराना चाहूँगा :</p>
<p>मतले के मिसरा ए ऊला में लफ़्ज़ 'जिगर' से नुक़्ता हटा लें और लफ़्ज़ बाकी में क के नीचे नुक़्ता लगा लें।</p>
<p>दूसरे शैर के मिसरा ए ऊला में लफ़्ज़ 'खूबसूरत' में ख के नीचे नुक़्ता लगा लें।</p>
<p>पाँचवें और छटे शैर में लफ़्ज़ 'कीमत' में क के नीचे नुक़्ता लगा लें, छटे शैर में लफ़्ज़ 'कर्ज' को 'क़र्ज़' कर लें। </p>
<p>मक़ते के ऊला में आये लफ़्ज़ 'इल्तज़ा' से नुक़्ता हटा कर 'इल्तिजा' कर लें। </p>
<p>बसंत कुमार शर्मा जी, जनाब ये सब मेरी पाठकीय राय मात्र हैं मैं भी सीख ही रहा हूंँ। अगर आप को उक्त सुझाव उचित न लगें तो आप उक्त टिप्पणी नज़र अन्दाज़ कर दीजिएगा। सादर।</p>
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<p></p> भाई बसंत कुमार शर्मा जी
बेहद…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-11:5170231:Comment:10120282020-07-11T04:17:33.092Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>भाई बसंत कुमार शर्मा जी</p>
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँँ स्वीकार करें.</p>
<p>भाई बसंत कुमार शर्मा जी</p>
<p>बेहद खूबसूरत ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँँ स्वीकार करें.</p> आदरणीय बसंत कुमार शर्मा साहिब…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-10:5170231:Comment:10119412020-07-10T12:21:11.206Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय बसंत कुमार शर्मा साहिब, इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर आपको दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p>
<p>आदरणीय बसंत कुमार शर्मा साहिब, इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर आपको दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ।</p> आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभ…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-10:5170231:Comment:10120112020-07-10T04:41:36.017Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभिवादन । वर्षा रितु के हिसाब से उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई बसंत कुमार जी, सादर अभिवादन । वर्षा रितु के हिसाब से उत्तम गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>