Comments - उरिझै कवनेउ मंद - Open Books Online2024-03-28T14:32:57Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1011889&xn_auth=noप्रणाम, डा0 प्राची सिंह जी,मै…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-10:5170231:Comment:10120162020-07-10T08:59:01.804ZUsha Awasthihttp://www.openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>प्रणाम, डा0 प्राची सिंह जी,मैं यह बात पटल पर कई बार कह चुकी हूँ कि मैं किसी विधा का ख्याल रखकर नहीं लिखती। केवल मेरा ध्यान भावों पर रहता है कि वह ठीक से व्यक्त हों। कृपया इसे अतुकान्त ही जानें। टिप्पणी हेतु बहुत आभार आपका</p>
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<p>प्रणाम, डा0 प्राची सिंह जी,मैं यह बात पटल पर कई बार कह चुकी हूँ कि मैं किसी विधा का ख्याल रखकर नहीं लिखती। केवल मेरा ध्यान भावों पर रहता है कि वह ठीक से व्यक्त हों। कृपया इसे अतुकान्त ही जानें। टिप्पणी हेतु बहुत आभार आपका</p>
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<p></p> हार्दिक धन्यवाद डा0 प्राची सि…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-09:5170231:Comment:10119342020-07-09T18:00:29.713ZUsha Awasthihttp://www.openbooksonline.com/profile/UshaAwasthi
<p>हार्दिक धन्यवाद डा0 प्राची सिंह जी, मुझे मालूम है कि मैं इसे बेहतर लिख सकती थी । मैंने इसको केवल पन्द्रह मिनट में लिख कर डाल दिया था । निश्चय ही मुझे रुक कर डालना चाहिए था। पुनः आभार आपका।</p>
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<p>हार्दिक धन्यवाद डा0 प्राची सिंह जी, मुझे मालूम है कि मैं इसे बेहतर लिख सकती थी । मैंने इसको केवल पन्द्रह मिनट में लिख कर डाल दिया था । निश्चय ही मुझे रुक कर डालना चाहिए था। पुनः आभार आपका।</p>
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<p></p> अहा ! आनंदित करता दोहा प्रयास…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-09:5170231:Comment:10119012020-07-09T14:30:56.944ZDr.Prachi Singhhttp://www.openbooksonline.com/profile/DrPrachiSingh376
<p>अहा ! <br/><br/>आनंदित करता दोहा प्रयास <br/>बहुत सुन्दर <br/><br/>शिल्प कहीं कहीं कमज़ोर रह गया,, सतत अभ्यास से जल्दी ही सध जाएगा <br/><br/>सस्नेह </p>
<p>अहा ! <br/><br/>आनंदित करता दोहा प्रयास <br/>बहुत सुन्दर <br/><br/>शिल्प कहीं कहीं कमज़ोर रह गया,, सतत अभ्यास से जल्दी ही सध जाएगा <br/><br/>सस्नेह </p>