Comments - ग़ज़ल-सफलता के शिखर पर वे खड़े हैं -रामबली गुप्ता - Open Books Online2024-03-28T21:51:22Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1011812&xn_auth=noजनाब रामबली गुप्ता जी आदाब, ख…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-11:5170231:Comment:10119992020-07-11T15:43:46.825Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें। सादर। </p>
<p>जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें। सादर। </p> धन्यवाद सुरेन्द्र नाथ जी। कर…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-11:5170231:Comment:10120562020-07-11T07:26:59.276Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>धन्यवाद सुरेन्द्र नाथ जी। कर लिया है गौर।</p>
<p>धन्यवाद सुरेन्द्र नाथ जी। कर लिया है गौर।</p> आद0 रामबली जी सादर अभिवादन। ह…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-11:5170231:Comment:10120532020-07-11T07:24:20.353Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 रामबली जी सादर अभिवादन। हिंदी उर्दू शब्दो से मिश्रित शब्दों से उम्दा ग़ज़ल कही है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये। आद0 भसीन साहब की टिप्पणियों पर भी गौर कीजिए।</p>
<p>आद0 रामबली जी सादर अभिवादन। हिंदी उर्दू शब्दो से मिश्रित शब्दों से उम्दा ग़ज़ल कही है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये। आद0 भसीन साहब की टिप्पणियों पर भी गौर कीजिए।</p> आदरणीय रामबली गुप्ता साहिब, न…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-08:5170231:Comment:10118832020-07-08T10:32:35.038Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय रामबली गुप्ता साहिब, नमस्कार। जनाब, मुझे आपकी पहली टिप्पणी से लगा आप नाराज़ हो गए हैं। लेकिन दूसरी टिप्पणी से लगा कि आप वाक़ई चर्चा करना चाहते हैं, इसलिए दोबारा उपस्थित हुआ हूँ। जी 'मधु' शब्द मुझे इसलिए खटका था क्यूँकि उस मिसरे को बोलने में अटकाव महसूस हुआ ('मधु' बहुत फ़ुर्ती से बोलना पड़ा, एक double-take करना पड़ा) जो कि ग़ज़ल के बाक़ी मिसरों में नहीं है। मेरी जानकारी के अनुसार जिस शब्द के उच्चारण में दो लघु अक्षर अलग-अलग उच्चारित होते हों उसे 11 के वज़्न पर ही लेना चाहिए, 2 के वज़्न पर नहीं।…</p>
<p>आदरणीय रामबली गुप्ता साहिब, नमस्कार। जनाब, मुझे आपकी पहली टिप्पणी से लगा आप नाराज़ हो गए हैं। लेकिन दूसरी टिप्पणी से लगा कि आप वाक़ई चर्चा करना चाहते हैं, इसलिए दोबारा उपस्थित हुआ हूँ। जी 'मधु' शब्द मुझे इसलिए खटका था क्यूँकि उस मिसरे को बोलने में अटकाव महसूस हुआ ('मधु' बहुत फ़ुर्ती से बोलना पड़ा, एक double-take करना पड़ा) जो कि ग़ज़ल के बाक़ी मिसरों में नहीं है। मेरी जानकारी के अनुसार जिस शब्द के उच्चारण में दो लघु अक्षर अलग-अलग उच्चारित होते हों उसे 11 के वज़्न पर ही लेना चाहिए, 2 के वज़्न पर नहीं। हुज़ूर, 'मधुशाला' पर ग़ज़ल विधा के नियम लागू नहीं होते हैं। और आपका ये शे'र ज़रूर हिंदी और संस्कृतनिष्ठ शब्दों से युक्त है, लेकिन ऐसा तो नहीं है कि ग़ज़ल में कहीं उर्दू का कोई शब्द प्रयोग ही न हुआ हो, उदाहरण के तौर पर हौसला (अरबी), यक़ीनन (अरबी), रुख़ (फ़ारसी)। बाक़ी मैं न तो कोई expert हूँ और न ही purist, इसलिए अगर आप मेरी बातों से असहमत हैं तो कोई बात नहीं।</p> ऐसी कोई बात नहीं है आदरणीय रव…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-07:5170231:Comment:10118722020-07-07T19:59:02.332Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>ऐसी कोई बात नहीं है आदरणीय रवि भसीन जी। आपने कोई दखल नहीं दिया है बल्कि ओ बी ओ की परंपरा का ही निर्वहन किया है और न ही मैंने आपकी टिप्पणी का कोई बुरा नहीं माना है। आप बेबाक टिप्पणी लिखें मैं किंचित विचलित न होऊँगा बल्कि आपकी बातों को गुनूँगा। वास्तव में उस मिसरे में आप 'मधु' से संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं और मैं 'लब' से जबकि पूरा शे'र हिंदी के संस्कृतनिष्ठ शब्द युक्त है। मैं यह भी नहीं समझ पाया कि आपको मधु शब्द में आपको क्या आपत्ति है जबकि पूरी मधुशाला ही मधु से मधुमय है।</p>
<p>ऐसी कोई बात नहीं है आदरणीय रवि भसीन जी। आपने कोई दखल नहीं दिया है बल्कि ओ बी ओ की परंपरा का ही निर्वहन किया है और न ही मैंने आपकी टिप्पणी का कोई बुरा नहीं माना है। आप बेबाक टिप्पणी लिखें मैं किंचित विचलित न होऊँगा बल्कि आपकी बातों को गुनूँगा। वास्तव में उस मिसरे में आप 'मधु' से संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं और मैं 'लब' से जबकि पूरा शे'र हिंदी के संस्कृतनिष्ठ शब्द युक्त है। मैं यह भी नहीं समझ पाया कि आपको मधु शब्द में आपको क्या आपत्ति है जबकि पूरी मधुशाला ही मधु से मधुमय है।</p> आदरणीय रामबली गुप्ता जी, मैं…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-07:5170231:Comment:10118712020-07-07T19:10:41.485Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय रामबली गुप्ता जी, मैं दरअस्ल मिस्रा ये तजवीज़ करना चाहता था:</p>
<p><span>1222 1222 122</span></p>
<p><span>नहीं हैं लब शहद के वो घड़े हैं</span></p>
<p><span>ग़लती से मूल शेर से लिया हुआ 'मधु' लिखा गया।</span></p>
<p><span>ठीक है जनाब, आप अपना शे'र वैसे ही रखिये जैसे आपको अच्छा लगता है। दख़ल देने के लिए माज़रत। सादर</span></p>
<p>आदरणीय रामबली गुप्ता जी, मैं दरअस्ल मिस्रा ये तजवीज़ करना चाहता था:</p>
<p><span>1222 1222 122</span></p>
<p><span>नहीं हैं लब शहद के वो घड़े हैं</span></p>
<p><span>ग़लती से मूल शेर से लिया हुआ 'मधु' लिखा गया।</span></p>
<p><span>ठीक है जनाब, आप अपना शे'र वैसे ही रखिये जैसे आपको अच्छा लगता है। दख़ल देने के लिए माज़रत। सादर</span></p> आदरणीय दयाराम भाई जी हार्दिक…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-07:5170231:Comment:10118702020-07-07T16:38:11.814Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>आदरणीय दयाराम भाई जी हार्दिक आभार</p>
<p>आदरणीय दयाराम भाई जी हार्दिक आभार</p> सफलता के शिखर पर वे खड़े हैंसद…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-07:5170231:Comment:10118642020-07-07T14:57:15.274ZDayaram Methanihttp://www.openbooksonline.com/profile/DayaramMethani
<p>सफलता के शिखर पर वे खड़े हैं<br/>सदा कठिनाइयों से जो लड़े हैं......अति सुुंदर मुखड़ा।</p>
<p></p>
<p>जो प्यासी आत्मा को तृप्त कर दें<br/>नहीं हैं होंठ, वे मधु के घड़े हैं........लाजवाब।</p>
<p></p>
<p>ये सच है कर्मशीलों के लिए तो<br/>सितारे भूमि पर बिखरे पड़े हैं........शाशवत सत्य।</p>
<p></p>
<p>आदरणीय रामबली गुप्ता जी, अति सुंदर गज़ल के लिए बधाई।</p>
<p>सफलता के शिखर पर वे खड़े हैं<br/>सदा कठिनाइयों से जो लड़े हैं......अति सुुंदर मुखड़ा।</p>
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<p>जो प्यासी आत्मा को तृप्त कर दें<br/>नहीं हैं होंठ, वे मधु के घड़े हैं........लाजवाब।</p>
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<p>ये सच है कर्मशीलों के लिए तो<br/>सितारे भूमि पर बिखरे पड़े हैं........शाशवत सत्य।</p>
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<p>आदरणीय रामबली गुप्ता जी, अति सुंदर गज़ल के लिए बधाई।</p> भाई लक्ष्मण धामी जी हार्दिक आ…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-07:5170231:Comment:10117732020-07-07T12:28:39.868Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>भाई लक्ष्मण धामी जी हार्दिक आभार</p>
<p>भाई लक्ष्मण धामी जी हार्दिक आभार</p> आदरणीय रवि भसीन जी प्रशंसा के…tag:www.openbooksonline.com,2020-07-07:5170231:Comment:10117712020-07-07T12:25:54.414Zरामबली गुप्ताhttp://www.openbooksonline.com/profile/RAMBALIGUPTA
<p>आदरणीय रवि भसीन जी प्रशंसा के लिएसादर धन्यवाद।आपने जो मिसरा सुझाया है वो बह्र में नहीं है। मेरा मिसरा पूरी तरह बह्र में है तथा वाक्य विन्यास सौंदर्य एवं कथ्य के दृष्टिकोण से भी दुरुस्त है। मधु आपको क्यों खटक रहा है? स्पष्ट करें तो आगे चर्चा हो।</p>
<p>आदरणीय रवि भसीन जी प्रशंसा के लिएसादर धन्यवाद।आपने जो मिसरा सुझाया है वो बह्र में नहीं है। मेरा मिसरा पूरी तरह बह्र में है तथा वाक्य विन्यास सौंदर्य एवं कथ्य के दृष्टिकोण से भी दुरुस्त है। मधु आपको क्यों खटक रहा है? स्पष्ट करें तो आगे चर्चा हो।</p>