Comments - ग़ज़ल ( कितनी सियाह रातों में.....) - Open Books Online2024-03-19T01:15:10Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1009829&xn_auth=noआदरणीया डिंपल शर्मा जीआदाब ग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-11:5170231:Comment:10097652020-06-11T15:27:28.898Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीया डिंपल शर्मा जी<br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हार्दिक आभार. </p>
<p>आदरणीया डिंपल शर्मा जी<br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हार्दिक आभार. </p> आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहि…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-11:5170231:Comment:10096542020-06-11T15:25:45.414Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय की गहराईयों से आभार. उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. सादर</p>
<p>आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' साहिब</p>
<p>आदाब</p>
<p>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय की गहराईयों से आभार. उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. सादर</p> जनाब सालिक गणवीर जी, आदाब।
अच…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-11:5170231:Comment:10099332020-06-11T06:12:22.171Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p>जनाब सालिक गणवीर जी, आदाब।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही है आपने, बधाई स्वीकार करें। </p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी, आदाब।</p>
<p>अच्छी ग़ज़ल कही है आपने, बधाई स्वीकार करें। </p> आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-11:5170231:Comment:10099312020-06-11T05:50:13.729ZDimple Sharmahttp://www.openbooksonline.com/profile/DimpleSharma
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते इस खुबसूरत ग़ज़ल पर ढ़ेर सारी बधाइयां आपको , आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' जी नमस्ते,आपने ग़ज़ल पर जो जानकारियां दि हैं वो बहुत कुछ मददगार होगी मेरे लिए भी , पढ़कर अच्छा लगा , अपनी ग़ज़लों पर भी आपकी उपस्थिति और आपके मार्गदर्शन के लिए गुज़ारिश करुंगी, कृप्या वक्त निकाल मेरी ग़ज़लों पर भी अपनी इनायत बरपें , आभार।</p>
<p>आदरणीय सालिक गणवीर जी नमस्ते इस खुबसूरत ग़ज़ल पर ढ़ेर सारी बधाइयां आपको , आदरणीय रवि भसीन 'शाहिद' जी नमस्ते,आपने ग़ज़ल पर जो जानकारियां दि हैं वो बहुत कुछ मददगार होगी मेरे लिए भी , पढ़कर अच्छा लगा , अपनी ग़ज़लों पर भी आपकी उपस्थिति और आपके मार्गदर्शन के लिए गुज़ारिश करुंगी, कृप्या वक्त निकाल मेरी ग़ज़लों पर भी अपनी इनायत बरपें , आभार।</p> आदरणीय रवि भसीन ' शाहिद' साहि…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-11:5170231:Comment:10096472020-06-11T01:52:17.249Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
आदरणीय रवि भसीन ' शाहिद' साहिब<br />
सादर अभिवादन<br />
ग़ज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिए ह्दय से आभार. इतनी महत्वपूर्ण जानकारियाँँ एवं मार्गदर्शन के लिए विशेष आभार. टंकन त्रुटियाँँ दुरुस्त कर पुनः प्रेषित करता हूँ. ंं और ँँ के प्रयोग पर मुझे हर बार संदेह होता था ,परंतु अब नहीं होगा. पुनः धन्यवाद. आदरणीय आशा करता हूँ भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. सादर
आदरणीय रवि भसीन ' शाहिद' साहिब<br />
सादर अभिवादन<br />
ग़ज़ल पर उपस्थिति और सराहना के लिए ह्दय से आभार. इतनी महत्वपूर्ण जानकारियाँँ एवं मार्गदर्शन के लिए विशेष आभार. टंकन त्रुटियाँँ दुरुस्त कर पुनः प्रेषित करता हूँ. ंं और ँँ के प्रयोग पर मुझे हर बार संदेह होता था ,परंतु अब नहीं होगा. पुनः धन्यवाद. आदरणीय आशा करता हूँ भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. सादर जो बहुत से लोगों को पता *नहीं…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-10:5170231:Comment:10098552020-06-10T19:27:18.533Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<div align="left"><p dir="ltr">जो बहुत से लोगों को पता *नहीं* है,</p>
</div>
<div align="left"><p dir="ltr">जो बहुत से लोगों को पता *नहीं* है,</p>
</div> आदरणीय सालिक गणवीर साहिब, आप…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-10:5170231:Comment:10098522020-06-10T19:14:25.054Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय सालिक गणवीर साहिब, आप को इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर तह-ए-दिल से बधाई। उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब ने हरी झण्डी दिखला दी है, इसलिए मेरा कुछ भी कहना बद-तमीज़ी है। लेकिन फिर भी आपको बताना चाहता हूँ:</p>
<p>आदरणीय, कुछ टंकण त्रुटियाँ इंगित कर रहा हूँ:</p>
<p><br></br>1 फिर, आँखों</p>
<p></p>
<p>2 आदरणीय, उर्दू शाइरी में 'ना' को 2 के वज़्न पर कभी नहीं लिया जाता, इसे 1 के वज़्न पे लेने की आदत डालिये। 'ना' को 'न' लिखना इसलिए ज़ियादा मुनासिब है ताकि लिखते समय याद रहता है कि इसे 1 वज़्न पे लेना है। जैसे…</p>
<p>आदरणीय सालिक गणवीर साहिब, आप को इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल पर तह-ए-दिल से बधाई। उस्ताद-ए-मुहतरम समर कबीर साहिब ने हरी झण्डी दिखला दी है, इसलिए मेरा कुछ भी कहना बद-तमीज़ी है। लेकिन फिर भी आपको बताना चाहता हूँ:</p>
<p>आदरणीय, कुछ टंकण त्रुटियाँ इंगित कर रहा हूँ:</p>
<p><br/>1 फिर, आँखों</p>
<p></p>
<p>2 आदरणीय, उर्दू शाइरी में 'ना' को 2 के वज़्न पर कभी नहीं लिया जाता, इसे 1 के वज़्न पे लेने की आदत डालिये। 'ना' को 'न' लिखना इसलिए ज़ियादा मुनासिब है ताकि लिखते समय याद रहता है कि इसे 1 वज़्न पे लेना है। जैसे पिछली गुफ़्तुगू में आपने ज़िक्र किया था, मैं 'सही' को 'सहीह' इसलिए लिखता हूँ ताकि उसका वज़्न याद रहे।</p>
<p></p>
<p>3 साफ़<br/>'सब' और 'अब' को एक दूसरे के स्थान पे कह कर देखिये।</p>
<p></p>
<p>4 आदरणीय, 'सुबह' को अगर 'सुब्ह' लिखेंगे तो आपको वज़्न याद रहेगा, आपने दुरुस्त वज़्न इस्तेमाल किया है।</p>
<p></p>
<p>5. आपको बिंदु (अनुस्वार) और चन्द्रबिन्दु (अनुनासिक ) के बारे में एक जानकारी देना चाहता हूँ:<br/>बिंदु मतलब आधा 'न' यानी 1 का वज़्न: खंडर (खन 2 डर 2)<br/>चन्द्रबिन्दु मतलब नाक में से 'न' की आवाज़, यानी 0 वज़्न: खँडर (खँ 1 डर 2)<br/>इस हिसाब से आख़िर में जो 'आँ' की आवाज़ है वो हमेशा चन्द्रबिन्दु से ही लिखी जाती है: निशाँ<br/>और लिखने का सहीह तरीक़ा: नाम-ओ-निशाँ<br/> <br/>7. आदरणीय, मेरे हिसाब से सही लफ़्ज़ 'पियाऊ' यानी 122 है, आप आसानी से अपने शे'र में तरमीम कर लेंगे।</p>
<p>/अब पाप का यहाँ पर नामो-निशां नहीं है<br/>सब लोग शहर के अब गंगा नहा चुके हैं/<br/>इज़ाफ़त वाले लफ़्ज़ों को लिखने का सहीह तरीक़ा है: नाम-ओ-निशाँ<br/>इस शे'र पर मेरी विशेष दाद स्वीकार करें आदरणीय, ख़ास तौर पे 'शह्र' के सहीह वज़्न पे, जो बहुत से लोगों को पता है, और जिन्हें बताया जाता है, वो स्वीकार नहीं करना चाहते।</p> आदरणीय समर कबीर साहबआदाब ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-10:5170231:Comment:10099252020-06-10T17:31:22.067Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय समर कबीर साहब<br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय की गहराईयों से आभार. उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. सादर</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब<br/>आदाब <br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय की गहराईयों से आभार. उम्मीद करता हूँ कि भविष्य में भी आपका स्नेह और मार्गदर्शन मिलता रहेगा. सादर</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-06-10:5170231:Comment:10099172020-06-10T09:55:37.237ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>