Comments - ग़़ज़़ल- फोकट में एक रोज की छुट्टी चली गई - Open Books Online2024-03-29T09:51:10Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1008306&xn_auth=noआदरणीय तेजवीर सिंह जी ग़ज़ल सरा…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-29:5170231:Comment:10085732020-05-29T14:02:20.706ZRam Awadh VIshwakarmahttp://www.openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिये सादर आभार</p>
<p>आदरणीय तेजवीर सिंह जी ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिये सादर आभार</p> हार्दिक बधाई आदरणीय राम अवध…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-29:5170231:Comment:10085702020-05-29T12:29:25.558ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <strong><span> </span>राम अवध विश्वकर्मा<span> </span></strong>जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>खबरे बढ़ा चढ़ा के दिखाना है इनका काम</span><br/><span>तिल का बना दें ताड़ ये अखबार ख्वामखाह</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <strong><span> </span>राम अवध विश्वकर्मा<span> </span></strong>जी।बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>खबरे बढ़ा चढ़ा के दिखाना है इनका काम</span><br/><span>तिल का बना दें ताड़ ये अखबार ख्वामखाह</span></p> आदरणीय लक्ष्मणधामी मुसाफिर जी…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-28:5170231:Comment:10084892020-05-28T04:12:13.873ZRam Awadh VIshwakarmahttp://www.openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>आदरणीय लक्ष्मणधामी मुसाफिर जी सादर नमस्कार</p>
<p>ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मणधामी मुसाफिर जी सादर नमस्कार</p>
<p>ग़ज़ल सराहना एवं उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया</p> आ. भाई राम अवध जी, सादर अभिवा…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-28:5170231:Comment:10087212020-05-28T01:30:09.731Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई राम अवध जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई राम अवध जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहबtag:www.openbooksonline.com,2020-05-26:5170231:Comment:10085282020-05-26T15:15:59.454ZRam Awadh VIshwakarmahttp://www.openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p>धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहब</p>
<p>धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहब</p> सहीह शब्द "बेवज्ह"221 है,रदीफ़…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-26:5170231:Comment:10086362020-05-26T15:10:08.300ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>सहीह शब्द "बेवज्ह"221 है,रदीफ़ "बेसबब" कर सकते हैं ।</p>
<p>सहीह शब्द "बेवज्ह"221 है,रदीफ़ "बेसबब" कर सकते हैं ।</p> धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहब…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-26:5170231:Comment:10086352020-05-26T14:40:02.721ZRam Awadh VIshwakarmahttp://www.openbooksonline.com/profile/RamAwadhVIshwakarma
<p><strong>धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहब जी मैं रदीफ को बदलकर बेवजह कर दूंगा।</strong></p>
<p><strong>धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहब जी मैं रदीफ को बदलकर बेवजह कर दूंगा।</strong></p> //जनाब अमीरुद्दीन खान साहब के…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-26:5170231:Comment:10085222020-05-26T13:08:28.991ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//जनाब अमीरुद्दीन खान साहब के अनुसार खामखा रदीफ में ले सकते हैं?//</span></p>
<p><span>नहीं ले सकते,आपको रदीफ़ बदलना पड़ेगी ।</span></p>
<p><span>//जनाब अमीरुद्दीन खान साहब के अनुसार खामखा रदीफ में ले सकते हैं?//</span></p>
<p><span>नहीं ले सकते,आपको रदीफ़ बदलना पड़ेगी ।</span></p> //जानना चाहता हूँ कि क्या लफ्…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-26:5170231:Comment:10086332020-05-26T13:06:59.054ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p><span>//जानना चाहता हूँ कि क्या लफ़्ज़ ख़ामख़ा लेना दुरुस्त है या नहीं अगर दुरुस्त है तो क्या लफ़्ज़ 'ख़ाह मख़ाह' में दोनों जगह मात्राएं गिराई जा सकती हैं//</span></p>
<p><span>'ख़ामख़ा' कोई शब्द ही नहीं है,और "ख़ाह मख़ाह" में 'ह' </span></p>
<p><span>नहीं गिर सकता ।</span></p>
<p><span>//जानना चाहता हूँ कि क्या लफ़्ज़ ख़ामख़ा लेना दुरुस्त है या नहीं अगर दुरुस्त है तो क्या लफ़्ज़ 'ख़ाह मख़ाह' में दोनों जगह मात्राएं गिराई जा सकती हैं//</span></p>
<p><span>'ख़ामख़ा' कोई शब्द ही नहीं है,और "ख़ाह मख़ाह" में 'ह' </span></p>
<p><span>नहीं गिर सकता ।</span></p> जनाब राम अवध विश्वकर्मा जी, ज…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-26:5170231:Comment:10086302020-05-26T12:02:14.975Zअमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवीhttp://www.openbooksonline.com/profile/0q7lh6g5bl2lz
<p><strong>जनाब राम अवध विश्वकर्मा जी, </strong>जैसा कि उस्ताद मुहतरम ने बताया है कि "इस शब्द को 'ख़ाह मख़ाह' भी लिख सकते हैं,कुछ मिसरों के अंत में एक साकिन की छूट इस बह्र में सहीह है" , 'ख़ाह मख़ाह' का वज़्न 21121 है और आपकी बह्र में गुंजाईश है 212 की यानि 'ख़ाह'-पर 'ह' की छूट और 'मख़ाह' - पर 'ह' की छूट = ख़ामख़ा। मैं उस्ताद मुहतरम से जानना चाहता हूँ कि क्या लफ़्ज़ ख़ामख़ा लेना दुरुस्त है या नहीं अगर दुरुस्त है तो क्या लफ़्ज़ 'ख़ाह मख़ाह' में दोनों जगह मात्राएं गिराई जा सकती हैं। सादर। </p>
<p><strong>जनाब राम अवध विश्वकर्मा जी, </strong>जैसा कि उस्ताद मुहतरम ने बताया है कि "इस शब्द को 'ख़ाह मख़ाह' भी लिख सकते हैं,कुछ मिसरों के अंत में एक साकिन की छूट इस बह्र में सहीह है" , 'ख़ाह मख़ाह' का वज़्न 21121 है और आपकी बह्र में गुंजाईश है 212 की यानि 'ख़ाह'-पर 'ह' की छूट और 'मख़ाह' - पर 'ह' की छूट = ख़ामख़ा। मैं उस्ताद मुहतरम से जानना चाहता हूँ कि क्या लफ़्ज़ ख़ामख़ा लेना दुरुस्त है या नहीं अगर दुरुस्त है तो क्या लफ़्ज़ 'ख़ाह मख़ाह' में दोनों जगह मात्राएं गिराई जा सकती हैं। सादर। </p>