Comments - ग़ज़ल ( अंधी गली के मोड़ पर.....) - Open Books Online2024-03-29T07:27:40Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1007820&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहब .
आदाबग़ज़…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10084452020-05-25T11:20:18.289Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p style="text-align: left;">आदरणीय समर कबीर साहब .</p>
<p style="text-align: left;">आदाब<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.आपके मार्गदर्शन और स्नेह </p>
<p style="text-align: left;">की मुझे सख्त ज़रूरत है. आपकी इस्लाह पर तुरंत अमल कर आपको सूचित करता हूँ.ईद की मुबारकबाद कुबूल फरमायें.</p>
<p style="text-align: left;">आदरणीय समर कबीर साहब .</p>
<p style="text-align: left;">आदाब<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.आपके मार्गदर्शन और स्नेह </p>
<p style="text-align: left;">की मुझे सख्त ज़रूरत है. आपकी इस्लाह पर तुरंत अमल कर आपको सूचित करता हूँ.ईद की मुबारकबाद कुबूल फरमायें.</p> आदरणीय भाई डा.छोटे लाल सिंह ज…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10084442020-05-25T11:14:50.302Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई डा.छोटे लाल सिंह जी.<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.</p>
<p>आदरणीय भाई डा.छोटे लाल सिंह जी.<br/>ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं सराहना के लिए हृदय से आभार.</p> सारे वदन पर बोझ है मिट्टी लदा…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10083602020-05-25T03:30:12.193Zडॉ छोटेलाल सिंहhttp://www.openbooksonline.com/profile/20ch7d01r75yx
<p>सारे वदन पर बोझ है मिट्टी लदान हैं, हकीकत को बयां करती बहुत ही दमदार गजल आदरणीय गणवीर साहब बहुत बहुत बधाई</p>
<p>सारे वदन पर बोझ है मिट्टी लदान हैं, हकीकत को बयां करती बहुत ही दमदार गजल आदरणीय गणवीर साहब बहुत बहुत बधाई</p> जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-25:5170231:Comment:10082792020-05-25T00:51:13.956ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,देखियेगा ।</p>
<p></p>
<p><span>'हर बार उनसे पूछा है जो बेज़बान है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'उनसे' की जगह "उससे" कर लें ,'उनसे' के कारण रदीफ़ 'हैं' हो रही है,ग़ौर करें ।</span></p>
<p><span>'माज़ूर की हालत का तमाशा बना दिया</span></p>
<p><span>ऊपर चढ़ाई है वहीं नीचे ढलान है'</span></p>
<p><span>इस शैर का ऊला मिसरा बह्र में नहीं है,और शैर का भाव भी स्पष्ट नहीं हुआ,देखियेगा…</span></p>
<p>जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,देखियेगा ।</p>
<p></p>
<p><span>'हर बार उनसे पूछा है जो बेज़बान है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'उनसे' की जगह "उससे" कर लें ,'उनसे' के कारण रदीफ़ 'हैं' हो रही है,ग़ौर करें ।</span></p>
<p><span>'माज़ूर की हालत का तमाशा बना दिया</span></p>
<p><span>ऊपर चढ़ाई है वहीं नीचे ढलान है'</span></p>
<p><span>इस शैर का ऊला मिसरा बह्र में नहीं है,और शैर का भाव भी स्पष्ट नहीं हुआ,देखियेगा ।</span></p>
<p></p> आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी
सा…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-24:5170231:Comment:10082642020-05-24T06:08:54.766Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार.</p>
<p>आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी</p>
<p>सादर अभिवादन</p>
<p>ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिती और सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार.</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-24:5170231:Comment:10084142020-05-24T03:30:43.153Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>