Comments - हमें न चाहत ही चाँद की है न तारों से है लगाव अपना(१०१ ) - Open Books Online2024-03-28T11:01:11Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1007346&xn_auth=noभाई सालिक गणवीर जी इस उत्साह…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-20:5170231:Comment:10077132020-05-20T13:00:17.135Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir" class="fn url">सालिक गणवीर</a> जी <span>इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार एवं नमन | </span></p>
<p>भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir" class="fn url">सालिक गणवीर</a> जी <span>इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार एवं नमन | </span></p> आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तु…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-20:5170231:Comment:10076312020-05-20T12:55:44.666Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी जी<br />
आदाब<br />
एक और उम्दा ग़ज़ल के दिली मुबारकबाद.<br />
उसी को सहला रहे हैं अब तक भरा नहीं है जो घाव अपना.. वाह
आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' बीकानेरी जी<br />
आदाब<br />
एक और उम्दा ग़ज़ल के दिली मुबारकबाद.<br />
उसी को सहला रहे हैं अब तक भरा नहीं है जो घाव अपना.. वाह सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-20:5170231:Comment:10076292020-05-20T12:00:47.250Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p><span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी , <span>इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार एवं नमन | </span></p>
<p><span> </span><a href="http://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh" class="fn url">सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'</a> जी , <span>इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार एवं नमन | </span></p> आद0 गिरधर सिंह गहलोत तुरन्त ज…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-20:5170231:Comment:10077112020-05-20T10:44:41.314Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 गिरधर सिंह गहलोत तुरन्त जी सादर अभिवादन। बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है। बहुत खूब। शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूल फरमाएं</p>
<p>आद0 गिरधर सिंह गहलोत तुरन्त जी सादर अभिवादन। बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है। बहुत खूब। शेर दर शेर मुबारकबाद कुबूल फरमाएं</p> आदरणीय TEJ VEER SINGH जी, इस…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-20:5170231:Comment:10073052020-05-20T10:06:38.964Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय <a href="http://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH" class="fn url">TEJ VEER SINGH</a> जी, इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार | </p>
<p>आदरणीय <a href="http://openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH" class="fn url">TEJ VEER SINGH</a> जी, इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार | </p> हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी स…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-20:5170231:Comment:10076122020-05-20T06:35:23.786ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय<span> </span><a href="http://openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO" class="fn url">गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत '</a> जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>कभी किसी से जुदा हुए तब मिला था ज़ख़्मों का एक तोहफ़ा</p>
<p>उसी को सहला रहे हैं अब तक भरा नहीं है वो घाव अपना</p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय<span> </span><a href="http://openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO" class="fn url">गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत '</a> जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p>कभी किसी से जुदा हुए तब मिला था ज़ख़्मों का एक तोहफ़ा</p>
<p>उसी को सहला रहे हैं अब तक भरा नहीं है वो घाव अपना</p> भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' ज…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-19:5170231:Comment:10074992020-05-19T09:15:21.002Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> जी , इस स्नेहिल और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | </span></p>
<p>भाई <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami" class="fn url">लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'</a><span> जी , इस स्नेहिल और उत्साह बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार एवं नमन | </span></p> आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-19:5170231:Comment:10074942020-05-19T07:14:20.376Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p> आदरणीय Samar kabeer साहेब ,आ…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-18:5170231:Comment:10072862020-05-18T10:12:01.187Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहेब ,आदाब , </p>
<p>आपकी क़ीमती दाद मेरे लिए वाइस-ए-फ़ख्र है मोहतरम | नवाज़िश-ओ-करम का दिल से शुक्रिया | मनमुटाव+अर वस्ल से बह्र तो बैठ रही है , अगर गलत है तो इसे इस तरह पढ़ें | <span>न कोई दिल में है मनमुटाव और नहीं किसी से दुराव अपना =न कोई दिल में किसी से नफ़रत न है किसी से दुराव अपना | </span></p>
<p>आदरणीय <a href="http://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer" class="fn url">Samar kabeer</a> साहेब ,आदाब , </p>
<p>आपकी क़ीमती दाद मेरे लिए वाइस-ए-फ़ख्र है मोहतरम | नवाज़िश-ओ-करम का दिल से शुक्रिया | मनमुटाव+अर वस्ल से बह्र तो बैठ रही है , अगर गलत है तो इसे इस तरह पढ़ें | <span>न कोई दिल में है मनमुटाव और नहीं किसी से दुराव अपना =न कोई दिल में किसी से नफ़रत न है किसी से दुराव अपना | </span></p> जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरं…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-18:5170231:Comment:10072842020-05-18T09:38:22.267ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'न कोई दिल में है मनमुटाव और नहीं किसी से दुराव अपना'</p>
<p>इस मिसरे की बह्र चेक कर लें म</p>
<p>जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p>'न कोई दिल में है मनमुटाव और नहीं किसी से दुराव अपना'</p>
<p>इस मिसरे की बह्र चेक कर लें म</p>