Comments - अहसास की ग़ज़ल -मनोज अहसास - Open Books Online2024-03-28T16:20:36Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1007205&xn_auth=noआदरणीय सालिक गनवीर एवम आदरणीय…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-15:5170231:Comment:10073352020-05-15T15:19:54.853Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय सालिक गनवीर एवम आदरणीय मुसाफ़िर जी ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं हौसला अफजाई के लिए आपका हार्दिक आभार</p>
<p>आदरणीय सालिक गनवीर एवम आदरणीय मुसाफ़िर जी ग़ज़ल पर उपस्थिति एवं हौसला अफजाई के लिए आपका हार्दिक आभार</p> आदरणीय समर कबीर साहब हार्दिक…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-15:5170231:Comment:10072382020-05-15T15:17:44.012Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय समर कबीर साहब हार्दिक आभार</p>
<p>आपकी इस्लाह पर गौर कर रहा हूँ</p>
<p>नुक्ते लगाने के प्रयास भी कर रहा हूँ</p>
<p>आपकी आशाओं पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा हूँ</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब हार्दिक आभार</p>
<p>आपकी इस्लाह पर गौर कर रहा हूँ</p>
<p>नुक्ते लगाने के प्रयास भी कर रहा हूँ</p>
<p>आपकी आशाओं पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा हूँ</p> जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-15:5170231:Comment:10074402020-05-15T14:23:25.315ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'जोड़ कर रखा था नाता जिनसे सालों साल तक'</span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है, 'रखा' को "रक्खा" कर लें ।</span></p>
<p><span>एक बात बार बार से कह चुका हूँ, आज फिर कहता हूँ कि जब तक आप उर्दू शब्दों को ठीक से लिखना नहीं सीखेंगे ग़ज़ल का हक़ अदा नहीं कर सकेंगे,आप भले ही ख़ुश होते रहें कि आप ग़ज़ल कह लेते हैं,शब्दों में नुक़्ते नहीं लगने से ग़ज़ल ऐसी लगती है जैसे बिना नमक मिर्च का भोजन…</span></p>
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'जोड़ कर रखा था नाता जिनसे सालों साल तक'</span></p>
<p><span>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है, 'रखा' को "रक्खा" कर लें ।</span></p>
<p><span>एक बात बार बार से कह चुका हूँ, आज फिर कहता हूँ कि जब तक आप उर्दू शब्दों को ठीक से लिखना नहीं सीखेंगे ग़ज़ल का हक़ अदा नहीं कर सकेंगे,आप भले ही ख़ुश होते रहें कि आप ग़ज़ल कह लेते हैं,शब्दों में नुक़्ते नहीं लगने से ग़ज़ल ऐसी लगती है जैसे बिना नमक मिर्च का भोजन ।</span></p>
<p><span>दूसरी बात ये कि आप मंच पर आई हुई रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रया भी नहीं देते,ये अच्छी बात नहीं है,अगर मंच के सभी सदस्य ऐसा करने लगें तो सोचिए कैसा लगेगा?</span></p> भाई मनोज अहसास
आदाब
एक शानदार…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-15:5170231:Comment:10074272020-05-15T03:56:40.964Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
भाई मनोज अहसास<br />
आदाब<br />
एक शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें.
भाई मनोज अहसास<br />
आदाब<br />
एक शानदार ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें. आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-15:5170231:Comment:10075132020-05-15T01:09:11.427Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>
<p>आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</p>