Comments - पहले जगकर रोज भोर में सूरज ताका करते थे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' - Open Books Online2024-03-29T02:17:31Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1005098&xn_auth=noगज़ल को बार-बार पढ़ा, लुत्फ़ आ ग…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-02:5170231:Comment:10054052020-05-02T01:25:58.507Zvijay nikorehttp://www.openbooksonline.com/profile/vijaynikore
<p>गज़ल को बार-बार पढ़ा, लुत्फ़ आ गया। बधाई, मेरे मित्र लक्ष्मण जी।</p>
<p>गज़ल को बार-बार पढ़ा, लुत्फ़ आ गया। बधाई, मेरे मित्र लक्ष्मण जी।</p> आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अ…tag:www.openbooksonline.com,2020-05-01:5170231:Comment:10056082020-05-01T03:04:30.591Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p> दुनिया जिनको हिरनी जैसी कहती…tag:www.openbooksonline.com,2020-04-30:5170231:Comment:10053902020-04-30T12:46:56.024Zसालिक गणवीरhttp://www.openbooksonline.com/profile/SalikGanvir
दुनिया जिनको हिरनी जैसी कहती फिरती नित्य यहाँ....<br />
शानदार मिसरा, बेहतरीन ग़ज़ल, मुबारकबाद स्वीकारें.
दुनिया जिनको हिरनी जैसी कहती फिरती नित्य यहाँ....<br />
शानदार मिसरा, बेहतरीन ग़ज़ल, मुबारकबाद स्वीकारें. आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर…tag:www.openbooksonline.com,2020-04-29:5170231:Comment:10055092020-04-29T13:52:25.702Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई गिरधारी सिंह जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार ।</p> आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवाद…tag:www.openbooksonline.com,2020-04-29:5170231:Comment:10053592020-04-29T13:50:36.268Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार ।</p>
<p>आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार ।</p> आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, सादर…tag:www.openbooksonline.com,2020-04-29:5170231:Comment:10052732020-04-29T13:48:56.855Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार ।</p>
<p>आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार ।</p> वाह वाह लाजवाब अशआर हुए हैं आ…tag:www.openbooksonline.com,2020-04-29:5170231:Comment:10052702020-04-29T12:55:36.504Zगिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत 'http://www.openbooksonline.com/profile/GIRDHARISINGHGAHLO
<p>वाह वाह लाजवाब अशआर हुए हैं आदरणीय </p>
<p>वाह वाह लाजवाब अशआर हुए हैं आदरणीय </p> हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण ध…tag:www.openbooksonline.com,2020-04-29:5170231:Comment:10054452020-04-29T12:28:55.274ZTEJ VEER SINGHhttp://www.openbooksonline.com/profile/TEJVEERSINGH
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' </span>जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>हमको भाये डाली पर ही खिलते फूल हमेशा पर</span><br/><span>उनको फूल तोड़कर हार पिरोना अच्छा लगता है।७।</span></p>
<p>हार्दिक बधाई आदरणीय <span>लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' </span>जी। बेहतरीन गज़ल।</p>
<p><span>हमको भाये डाली पर ही खिलते फूल हमेशा पर</span><br/><span>उनको फूल तोड़कर हार पिरोना अच्छा लगता है।७।</span></p> आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2020-04-29:5170231:Comment:10054332020-04-29T00:34:36.524Zनाथ सोनांचलीhttp://www.openbooksonline.com/profile/SurendraNathSingh
<p>आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बेहद उम्दा ग़ज़ल, हिंदी शब्दो से सजी। बधाई स्वीकार कीजिये</p>
<p>आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बेहद उम्दा ग़ज़ल, हिंदी शब्दो से सजी। बधाई स्वीकार कीजिये</p>