Comments - ग़ज़ल - Open Books Online2024-03-28T17:14:55Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1003096&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहेब। आदाब।…tag:www.openbooksonline.com,2020-03-31:5170231:Comment:10033792020-03-31T13:48:02.221ZAmar Pankaj (Dr Amar Nath Jha)http://www.openbooksonline.com/profile/DrAmarNathJha
<p>आदरणीय समर कबीर साहेब। आदाब।</p>
<p>ख़ुद को मैं ख़ुशकिस्मत समझ रहा हूँ, जानकर कि ग़ज़ल आप तक पहुँची मोहतरम। क़ाफ़िये को लेकर मैं ख़ुद बहुत संतुष्ट नहीं हूँ, मगर करोना के कहर के मद्देनज़र इसे कहने की कोशिश की है। शायद भविष्य में इसे ठीक कर सकूँ। दिल की गहराइयों से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहेब। आदाब।</p>
<p>ख़ुद को मैं ख़ुशकिस्मत समझ रहा हूँ, जानकर कि ग़ज़ल आप तक पहुँची मोहतरम। क़ाफ़िये को लेकर मैं ख़ुद बहुत संतुष्ट नहीं हूँ, मगर करोना के कहर के मद्देनज़र इसे कहने की कोशिश की है। शायद भविष्य में इसे ठीक कर सकूँ। दिल की गहराइयों से शुक्रिया।</p> जनाब 'अमर' पंकज जी आदाब,ग़ज़ल क…tag:www.openbooksonline.com,2020-03-31:5170231:Comment:10031922020-03-31T10:11:02.987ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब 'अमर' पंकज जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,लेकिन पूरी ग़ज़ल में क़वाफ़ी ठीक नहीं हैं,देखियेगा,इस प्रस्तुति पर बधाई ।</p>
<p>जनाब 'अमर' पंकज जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,लेकिन पूरी ग़ज़ल में क़वाफ़ी ठीक नहीं हैं,देखियेगा,इस प्रस्तुति पर बधाई ।</p>