Comments - ग़ज़ल मनोज अहसास - Open Books Online2024-03-28T11:17:22Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1001872&xn_auth=noआदरणीय मुसाफ़िर जी हार्दिक आभारtag:www.openbooksonline.com,2020-03-05:5170231:Comment:10017972020-03-05T11:42:20.844Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय मुसाफ़िर जी हार्दिक आभार</p>
<p>आदरणीय मुसाफ़िर जी हार्दिक आभार</p> आदरणीय कबीर साहब महत्वपूर्ण इ…tag:www.openbooksonline.com,2020-03-05:5170231:Comment:10017952020-03-05T11:41:57.074Zमनोज अहसासhttp://www.openbooksonline.com/profile/ManojkumarAhsaas
<p>आदरणीय कबीर साहब महत्वपूर्ण इस्लाह के लिए हार्दिक आभार</p>
<p>सुधार के लिए सदैव प्रयासरत रहने का प्रयास करूंगा</p>
<p>आभार</p>
<p>सादर</p>
<p>आदरणीय कबीर साहब महत्वपूर्ण इस्लाह के लिए हार्दिक आभार</p>
<p>सुधार के लिए सदैव प्रयासरत रहने का प्रयास करूंगा</p>
<p>आभार</p>
<p>सादर</p> आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई…tag:www.openbooksonline.com,2020-03-04:5170231:Comment:10019332020-03-04T02:13:11.775Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । आ. भाई समर जी की बातों का संज्ञान लें ...</p>
<p>आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । आ. भाई समर जी की बातों का संज्ञान लें ...</p> जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल…tag:www.openbooksonline.com,2020-03-03:5170231:Comment:10019272020-03-03T09:43:41.826ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p></p>
<p><span>'कोई अपनी मंजिल पर तन्हा खड़ा है,</span><br></br><span>कोई जिंदगी के भंवर में फंसा है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'पर' को "पे" कर लें,मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है ।</span></p>
<p></p>
<p><span>तेरा सबसे मिलना वो चेहरे बदल कर,<br></br>जमाने में झगड़े का जरिया बना है'</span></p>
<p>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज है,क्योंकि 'जरिया' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "ज़रीआ"122</p>
<p></p>
<p><span>'मुलाकात का कोई वादा नहीं…</span></p>
<p>जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
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<p><span>'कोई अपनी मंजिल पर तन्हा खड़ा है,</span><br/><span>कोई जिंदगी के भंवर में फंसा है'</span></p>
<p><span>इस मिसरे में 'पर' को "पे" कर लें,मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है ।</span></p>
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<p><span>तेरा सबसे मिलना वो चेहरे बदल कर,<br/>जमाने में झगड़े का जरिया बना है'</span></p>
<p>ये मिसरा बह्र से ख़ारिज है,क्योंकि 'जरिया' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "ज़रीआ"122</p>
<p></p>
<p><span>'मुलाकात का कोई वादा नहीं है,</span><br/><span>मगर मेरी उम्मीद मिट जाए कैसे,</span><br/><span>हमें भी यकीनन मिलेंगे कभी वो,</span><br/><span>तलबगारों को तो खुदा भी मिला है'</span></p>
<p><span>इस शैर में शुतरगुरबा दोष है ।</span></p>