Comments - माइल नहीं हुआ (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T09:22:22Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1001712&xn_auth=noआ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2020-03-04:5170231:Comment:10018862020-03-04T01:47:21.704Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p><span>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</span></p>
<p><span>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।</span></p> आदरणीय समर कबीर साहब, बहुत बह…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-28:5170231:Comment:10015572020-02-28T10:56:51.337Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, बहुत बहुत शुक्रिया आपके मेहर-ओ-करम का।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, बहुत बहुत शुक्रिया आपके मेहर-ओ-करम का।</p> // ये दिल इबादतों पे क्यूँ मा…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-28:5170231:Comment:10015042020-02-28T09:49:27.615ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>// ये दिल इबादतों पे क्यूँ माइल नहीं हुआ<br/> मुनकिर न था तो क्यूँ भला क़ाइल नहीं हुआ//</p>
<p>जी,अब ठीक है,ऊला में 'क्यों' की जगह "जो" कर लें ।</p>
<p>// ये दिल इबादतों पे क्यूँ माइल नहीं हुआ<br/> मुनकिर न था तो क्यूँ भला क़ाइल नहीं हुआ//</p>
<p>जी,अब ठीक है,ऊला में 'क्यों' की जगह "जो" कर लें ।</p> आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब। ह…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-28:5170231:Comment:10016532020-02-28T08:57:22.883Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब। हुज़ूर मैंने मतले में कुछ रद्द-ओ-बदल की है, अगर आप एक बार देख लें तो बड़ी इनायत होगी:<br/> ये दिल इबादतों पे क्यूँ माइल नहीं हुआ<br/> मुनकिर न था तो क्यूँ भला क़ाइल नहीं हुआ</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब। हुज़ूर मैंने मतले में कुछ रद्द-ओ-बदल की है, अगर आप एक बार देख लें तो बड़ी इनायत होगी:<br/> ये दिल इबादतों पे क्यूँ माइल नहीं हुआ<br/> मुनकिर न था तो क्यूँ भला क़ाइल नहीं हुआ</p> आदरणीय समर कबीर साहब, सादर प्…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-28:5170231:Comment:10017222020-02-28T07:12:15.540Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, सादर प्रणाम। हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ। जी बेहतर है जनाब, मतले पर दोबारा ग़ौर करता हूँ।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, सादर प्रणाम। हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ। जी बेहतर है जनाब, मतले पर दोबारा ग़ौर करता हूँ।</p> जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-28:5170231:Comment:10015492020-02-28T06:14:59.751ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,देखियेगा ।</p>
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,देखियेगा ।</p>