Comments - ये कैसी बहार है (ग़ज़ल) - Open Books Online2024-03-29T06:06:57Zhttp://www.openbooksonline.com/profiles/comment/feed?attachedTo=5170231%3ABlogPost%3A1001108&xn_auth=noआदरणीय समर कबीर साहब, सादर प्…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-19:5170231:Comment:10010752020-02-19T08:28:48.060Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, सादर प्रणाम। हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ। आपकी उपस्थिति और आशीर्वाद के बाद ही ग़ज़ल मुकम्मल होती है।</p>
<p>आदरणीय समर कबीर साहब, सादर प्रणाम। हौसला-अफ़ज़ाई के लिए बेहद शुक्रगुज़ार हूँ। आपकी उपस्थिति और आशीर्वाद के बाद ही ग़ज़ल मुकम्मल होती है।</p> जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब आ…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-19:5170231:Comment:10010732020-02-19T06:32:23.065ZSamar kabeerhttp://www.openbooksonline.com/profile/Samarkabeer
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p>
<p>जनाब रवि भसीन 'शाहिद' साहिब आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।</p> आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। आपक…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-18:5170231:Comment:10012272020-02-18T10:42:41.445Zरवि भसीन 'शाहिद'http://www.openbooksonline.com/profile/RaviBhasin
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। आपका ग़ज़ल तक आने के लिए और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।</p>
<p>आदरणीय लक्ष्मण भाई, आदाब। आपका ग़ज़ल तक आने के लिए और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।</p> आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिव…tag:www.openbooksonline.com,2020-02-18:5170231:Comment:10010692020-02-18T09:30:28.073Zलक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'http://www.openbooksonline.com/profile/laxmandhami
<p>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । बहुत खूब गजल कही, हार्दिक बधाई।</p>
<p>जाने किधर को ले गई दीवानगी हमें<br/>बैठे हैं कब से ख़ुद का हमें इन्तेज़ार है</p>
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<p>आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन । बहुत खूब गजल कही, हार्दिक बधाई।</p>
<p>जाने किधर को ले गई दीवानगी हमें<br/>बैठे हैं कब से ख़ुद का हमें इन्तेज़ार है</p>
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