For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रिय भाई डा० रामदरश मिश्र जी

आज १५ अगस्त... कई दिनों से प्रतीक्षा रही इस दिन की ... डा० रामदरश मिश्र जी का जन्म दिवस जो है । आज उनसे बात हुई तो उनकी आवाज़ में वही मिठास जो गत ५६ वर्ष से कानों में गूँजती रही है। उनका सदैव स्नेह से पूछना , “भारत कब आ रहे हैं ? ” ... सच, यह मुझको भारत आने के लिए और उतावला कर देता है  .. और मन में यह भी आता है कि आऊँगा तो प्रिय सरस्वती भाभी जी के हाथ का बना आम का अचार भी खाऊँगा ... बहुत ही अच्छा अचार बनाती हैं वह ।

कैसे कह दूँ उनके स्नेह से मुझको स्नेह नहीं है, जब उनकी मीठी आग्रह करती आवाज़ दशकों से कानों में इतनी गूँजती रही है कि मानों वह अभी भी गूँज रही है .... १९६५ में तब के उनके दिल्ली के निवास-स्थान में किवाड़ बंद कर कमरे में बैठे उनका अपनी कविताएँ सुनाना, मुझ युवक को तब मेरी कवितायों पर सुझाव देना , और प्रिय भाभी जी का कमरे में हम दोनों के लिए चाए-पकोड़े ले आना ... कुछ भी तो नहीं भूला। भूल सकता भी कैसे, जब उनसे स्नेह इतना मिला हो ।

इन ९४ महत्वपूर्ण वर्षों में भाई डा० रामदरश मिश्र जी ने साहित्य को जो योगदान दिया उसके लिए हिन्दी साहित्य सदैव कृतज्ञ रहेगा । इस १५ अगस्त.. उनके जन्म के पावन दिवस पर उनकी कविताएँ बहुय याद आईं । मेरी आदत रही है, उनकी कविताएँ संग्रहित करने की... १९६२ से यह आदत अभी भी अच्छी लगी है ( जैसे किसी को "पीने" की आदत भली लगती है ) .. तो यह हैं उनकी लिखी बहुत ही पुरानी मेरी प्रिय कुछ पंक्तियाँ 

.........................

ज़िन्दगी का सिन्धु फेनिल दूर जीवन का सहारा

प्राण के बहते स्वरों को मिल न पाता है किनारा

चाहता हूँ ठहर क्षण भर  किसी का प्यार ले लूँ

पर  बह्ती जा रही  तूफ़ान की  गतिमान धारा

...............................

रूप की इस धूप में जब उठ रही कुछ प्यास मन में

शान्त सिन्धु अथाह-सी  तब  कौन छा जाती नयन में

.................................

आज हँस लें  कल उठाएँगे  चिता की धूल राही

जल रहे नीरव डगर पर स्वपन के अभियान सूने

.................................

तेरे उपवन में  कितने मधुमास  सुरभी  लाएँगे

किन्तु सदा के लिए जा रहा मैं पतझार संभाले

...................................

और अब यह उनकी पुस्तक "हँसी ओंठ पर आँखे नम हैं" से उनकी लिखी मेरी प्रिय कविता से कुछ पंक्तियाँ...

कोई आया न, कोई खत, न तार ही आया

लौट आखिर को  मेरा इन्तज़ार ही आया

जिसे भेजा था कहके उनको भेज देना तुम

थका-थका-सा लौट  अपना प्यार ही आया

वे आएँगे, ये यकीन नहीं दिल को हुआ

नहीं  आएँगे,  ये  न एतबार  ही  आया

.................................................................................................

सच, भाई रामदरश जी की कविताएँ प्रसन्न करती हैं, और प्राय: उनके भाव इतने गहरे उतरते हैं कि कुछ उदासी भी छोड़ जाते है, और यह उदासी मुझको प्रिय है, क्यूँकि यह भाई की गहन-सोच-से-उपजी है ।

आज यह जन्म-दिन मुबारक हो, बहुत मुबारक हो, भाई रामदरश मिश्र जी को और उनके पाठकों को भी।

अब एक और जन्म-दिवस .. उनके ९५  वें वर्ष  ... की पावन प्रतीक्षा है ।

,

 --- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)                                                                                                            

Views: 498

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on August 20, 2018 at 4:09pm

आपका हार्दिक आभार, आदरणीया नीलम जी

Comment by Neelam Upadhyaya on August 20, 2018 at 3:49pm

आदरणीय विजय निकोर जी, नमस्कार।  रामदरश मिश्र जी को हमारी तरफ़ से भी जन्म दिन की हार्दिक बधाई तथा सुन्दर प्रस्तुति पर आपको भी हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on August 18, 2018 at 1:16pm

भाई समर जी, आपसे यह सराहना मिलना बहुत ही आनन्दमय है। मार्ग-दर्शन के लिए आभार। शीघ्र ठीक कर दूँगा।

Comment by Samar kabeer on August 18, 2018 at 11:59am

प्रिय भाई विजय निकोर जी आदाब,जनाब रामदरश मिश्र जी के जन्म दिवस पर उनके साथ गुज़ारे पल,याद करके उनको बधाई देने का अंदाज़ बहुत उम्दा लगा,और साथ ही उनकी कवित्ताएँ भी साझा कीं, हमारी तरफ़ से भी उन्हें जन्म दिन की हार्दिक बधाई,और इस शानदार प्रस्तुति पर आपको भी बहुत बहुत बधाई ।

//आज उनसे बात हुई तो उनकी आवाज़ में वही मिठास जो गत ५६ वर्ष से कानों में गूँजता रहा है।//

इन पंक्तियों में 'कानों में गूंजती रही है' कर लें,क्योंकि 'आवाज़' और 'मिठास' दोनों शब्द स्त्रीलिंग हैं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service