For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बंद किताब ...

ठहरो न !
थोड़ी देर तो रुक जाओ
अभी तो रात की स्याही बाकी है
सहर की दस्तक से घबराते हो
प्यार करते हो
और शरमाते हो
कभी नारी मन के
सागर में उतर के देखो
न जाने कितने गोहर
सीपों में
किसी के लम्स के मुंतज़िर हैं
देहाकर्षण के परे भी
एक आकर्षण होता है
जहां भौतिक सुख के बाद का
एक दर्पण होता है
नशवरता से परे
अनंत में समाहित
अमर समर्पण होता है
पर रहने दो
तुम ये बातें न समझ पाओगे
इक देह बन के आओगे
देह में सिमट जाओगे
आश्वासनों में छुपा
इक दर्द दे जाओगे
अपनत्व के शब्दों में गुंथी
इक बंद किताब दे जाओगे
और मैं
इंतज़ार के अंतिम "वरक़" तक
मर मर के जीती रहूंगी
साँसों के अंतिम छोर तक
तुम में
बैठकर
तुम्हें पढूंगी
तुम्हारे शब्दों में
स्वयं को आत्मसात कर
इक शब्द बन जाऊँगी
सच
कितना अच्छा होगा
तुम्हारे आश्वासनों के साथ बैठी
मैं भी
इक
बंद किताब हो जाऊंगी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2017 at 8:16pm

आदरणीय समर कबीर जी , अपने शीरीं अल्फ़ाज़ों से सृजन के भावों को सम्मान देने का दिल से आभार। सर आपके द्वारा इंगित त्रुटि को मैंने संशोधित कर दिया है। आपका तहे दिल से शुक्रिया। यही बारीकियां है जो आपकी पारखी नज़रों की पकड़ में आती हैं। पुनः शुक्रिया सर।

Comment by Sushil Sarna on November 20, 2017 at 8:16pm

आदरणीय रामानुज जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on November 20, 2017 at 5:38pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत ही शानदार कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'अंतिम वर्क तक' से आपका आशय अगर 'पन्ने'है, तो उसे "वरक़" कर लें ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 20, 2017 at 3:20pm

देहाकर्षण के परे भी 
एक आकर्षण होता है 
जहां भौतिक सुख के बाद का 
एक दर्पण होता है 
नशवरता से परे 
अनंत में समाहित 
अमर समर्पण होता है -- वाह ! सच्चे प्रेम को समर्पित सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई श्री सुशील सरना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service