For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (बह्र -फेलुन) यह ग़ज़ल दुनिया की सबसे छोटी ग़ज़ल है। इसे "गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स" में शामिल किया गया है ।

*जीवन
उलझन ।

* सूने
आँगन ।

* घर-घर
अनबन ।

* उजड़े
गुलशन ।

* खोया
बचपन ।

*भटका
यौवन ।

* झूठे
अनशन ।

* ख़ाली
बरतन ।

* सहमी
धड़कन ।

.
मौलिक और अप्रकाशित ।

Views: 2126

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 29, 2017 at 7:57pm

क्या कहूँ के बस अब मजा आ गया 

ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब 

जिन्दाबाद 

Comment by Mohammed Arif on October 19, 2017 at 10:40pm
बहुत-बहुत आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी । मेरा लेखन सार्थक हो गया ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 19, 2017 at 2:28pm
बहुत बहुत बधाइयाँ आदरणीय ..
Comment by Mohammed Arif on October 15, 2017 at 5:55pm
आदरणीय अजय तिवारी जी आदाब, मेरी विश्व की सबसे छोटी मात्रा (फेलुन) पर अपनी अमूल्य प्रतिक्रिया से सम्मानित करने का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Mohammed Arif on October 15, 2017 at 5:53pm
आदरणीया वंदना जी आदाब, विश्व की सबसे कम मात्रा वाली मेरी ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया देकर सम्मानित करने का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by vandana on October 15, 2017 at 3:29pm

वाह ग़ज़ब की सोच वाकई कमाल आदरणीय बहुत बहुत बधाई 

Comment by Ajay Tiwari on October 15, 2017 at 10:13am

आदरणीय आरिफ साहब,

उपलब्धि के लिए शुभकामनायें.

सादर 

Comment by Mohammed Arif on October 13, 2017 at 11:29pm
आदरणीय मनोज कुमार मिश्रा जी ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया देने और सफल बनाने का बहुत-बहुत आभार ।
Comment by Samar kabeer on October 13, 2017 at 8:33pm
जनाब मनोज साहिब आदाब,आप बेकार की बहस कर रहे हैं,'फेलुन'एक हो या सो ग़ज़ल हो जायेगी,पूरी ग़ज़ल में कथ्य कहीं नहीं भटका, आपने जो फिलबदीह ग़ज़ल कही है उसमें कथ्य नहीं हैं,अपने सृजन पर ध्यान केन्द्रित करें ।
Comment by Mohammed Arif on October 13, 2017 at 8:36am
आदरणीय मनोज कुमार "अहसास"जी आदाब, मेरी विश्व की सबसे छोटी (चार मात्रा) वाली ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया उपरांत पूछना चाहूँगा कि:-
(1) क्या यह ग़ज़ल नहीं ? तो आख़िर क्यों ?
(2) क्या इस ग़ज़ल में कथ्य (कहन) नहीं है क्या ?
(3) क्या यह ग़ज़ल विधान के मापदंडों पर खरी आपको खरी नज़र नहीं आ रही है ? अगर नहीं तो स्पष्ट करें ?
(4) आपको इस ग़ज़ल में शे'र कहाँ नज़र नहीं आ रहे हैं? आपकी नज़रों का धोखा है या कोई और ।
(5) आपको इस ग़ज़ल में शिल्प कहाँ नज़र नहीं आ रहा है ?
(6) गूढ़ संप्रेषणीयता , गहन विचार , ग़ज़ल की गहराई कहाँ नज़र नहीं आ रही है ? ज़रा विस्तार बताना मेरे भाई ।
(7) देश के नामचीन अरज़ी आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब, प्रसिद्ध छंद शास्त्री आदरणीय सौरभ पांडे जी और ओबीओ मंच के अन्य विद्वानजनों की इस ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया क्या बेईमानी है ? क्या इन्होने सोच समझकर प्रतिक्रिया नहीं या केवल आपने ही सोच समझकर अपनी प्रतिक्रिया दी है ?
(8) इस तरह के प्रयोग आपको बेईमानी क्यों लगते हैं ? क्या नये-नये प्रयोग नहीं होना चाहिए ?
आशा है आप मेरे उक्त सारे प्रश्नों का जवाब देंगे । सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
16 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service