For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सम्बल (लघु कथा) // शुभ्रांशु पाण्डेय

भूख और थकावट से चूर दोनों असहाय भाई-बहन एक-दूसरे से लिपट कर लेट गये.

आज सुबह के भूकम्प में अपने मां-पापा को खो देने के बाद से ये छः वर्षीय भाई ही तो उसका सम्बल था.

दो वर्ष छोटी बहन को ऐसा लग रहा था जैसे अपने भाई के सीने पर सर रख देने से ही उसकी सारी समस्याओं का निदान हो गया हो.

अचानक खयाल आया, उसके भाई के लिये आखिर सम्बल कौन है ?

उसके नन्हे हाथ अनायास भाई के गालों पर फैल गये आँसुओं को साफ़ कर उसके धूल भरे बालों को सहलाने लगे. 

==================

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 728

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on May 21, 2015 at 10:40am

आदरणीय केवल प्रसाद जी, 

प्रोत्साहन के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 21, 2015 at 10:35am

आदरणीय गोपाल नारायण जी, 

कथा पर विचार देने के लिये आभार.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 21, 2015 at 10:31am

आदरणीय मिथिलेश जी, 

प्रस्तुत चित्र ने ही कथा लिखने की प्रेरणा दी थी. प्रोत्साहन देने के लिये घन्यवाद.

सादर.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 21, 2015 at 10:29am

आदरणीया प्राची जी, 

बाल मनोवोज्ञान को समझते हुये सुन्दर विचार दिया है आपने.

पाठक जब कथा के साथ विश्लेषण करता है तो उसके सफ़ल होने का भान होता है.

प्रोत्साहन के लिये आभार.

सादर.

Comment by shree suneel on May 21, 2015 at 2:02am
आदरणीय शुभ्रांशु जी, अत्यंत मार्मिक, संवेदनशील लघु-कथा कही अापने.
अंतिम पंक्तियों ने तो भावुक हीं कर दिया.
बधाई आपको.
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 20, 2015 at 10:34pm

आ0 शुभ्रांशु भाई जी.  दिव्य दृष्टि व गहन भावों की अभिव्यक्ति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें, सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 20, 2015 at 9:11pm

आदरणीय शुभ्रांशु जी

बहुत संवदन शील तंतु को पकड़ा आपने . आपको बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 20, 2015 at 8:50pm

छंदोत्सव में प्रदत्त चित्र को लघुकथा में खूब पिरोया है 

बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 20, 2015 at 10:59am

मुश्किल वक्त अचानक बाल मन को कितना परिपक्व बना देता है..... आपदा का मासूम मन पर क्या असर पड़ा होगा, कैसे दो नन्हे 

बालक एक दूसरे का संबल बने होंगे, इसकी बहुत ही संवेदनशील प्रस्तुति. 

चलचित्र सा पटल पर दौड़ गया हर शब्द के साथ.

बहुत ही सधी और खूबसूरत अभिव्यक्ति आ० शुभ्रांशु जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
10 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service