For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बसंत नेमा's Blog (27)

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है

 

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है

 

जिन्दगी तू इतनी आसान नही है , जितनी की लोगो से तेरी…

Continue

Added by बसंत नेमा on April 8, 2013 at 1:30pm — 5 Comments

खुली किताब ( OPEN BOOK )

(  ये कविता सूरज को दीपक दिखाने के बराबर है फिर भी मेरी तरफ से  ओबीओ के सम्मान मे एक तुच्छ सी भेट,   )

 

खुली किताब ( OPEN BOOK )

 

ये खुली किताब है बडी अनोखी, है गद्य-पद्य रचना की…

Continue

Added by बसंत नेमा on March 20, 2013 at 5:00pm — 1 Comment

आयो होली का त्यौहार

आयो होली को त्यौहार

रंग सतरंगी लेकर आई एक छैलछबिली नार,

आ के पास कर गई मेरे रंग बिरंगे गाल ।

कि आयो होली को त्यौहार्, कि आयो होली को त्यौहार् ॥.…

Continue

Added by बसंत नेमा on March 14, 2013 at 2:00pm — 8 Comments

हंसबैंड,

हंसबैंड

बिल शोपिंग का देते –देते, जिसकी ढीली हो गई पेंट

फिर भी हंसते हंसते जो , खुद की बजवाये बैण्ड ...

उसको कहते है हंसबैंड, की भईया कहते है हंसबैंड,

भोर भई जब सोते सोते बीबी बोले डार्लिंग,

देखो बाहर सूरज निकला, हो गई है गुड मार्निग.

यदि…

Continue

Added by बसंत नेमा on March 11, 2013 at 11:30am — 5 Comments

घर की मुर्गी या दाल

घर की मुर्गी या दाल

 

देख पडोसी की बीबी, मेरी तबियत भडकी,

मिली नजर उससे तो, मेरी आंख फडकी,

कई दिनो तक रहा, यही सिलसिला…

Continue

Added by बसंत नेमा on February 12, 2013 at 4:00pm — 6 Comments

आर नही अबकी, पार हमे हो जाने दो

शंखनाद हो रण का, अब जंग आखिरी हो जाने दो ।

आर नही अबकी, पार हमे हो जाने दो ।

हमने जिसको अपना समझा, पीठ मे खंजर उसने घोपा है।

आज बता दो उनको की, अब ये आखिरी धोखा है।

अब फूल नही हाथो मे तलवार हमे उठाने दो । आर नही अबकी, पार हमे हो जाने दो…

Continue

Added by बसंत नेमा on January 18, 2013 at 3:30pm — 7 Comments

इंसानो की बस्ती

इंसानो की बस्ती

हर ख्वाहिश हो जाये पूरी, यहाँ किसकी ऐसी हस्ती है,

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

इंसानियत दफन हो गई, हैवानियत सब पे भारी है,

आत्मा है गिरवी सबकी, बेईमानो कि साहूकारी है,

बहता है लहु सडको पर, पानी की बुँदे बिकती है 

लुटता है इंसान वहाँ, जहाँ इंसानो की बस्ती है ।

  

नारी ही नारी की आज, दुश्मन बन के बैठी है,

बच गई कोख मे तो, आग के हवाले…

Continue

Added by बसंत नेमा on January 4, 2013 at 4:30pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service