For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – May 2014 Archive (6)

बेमजा यार सफर रोज नई राहों का

2122     112 2     1122    22

**

खार  हूँ  एक  ये  सोचा   है  सभी  ने मुझको

फूल के साथ  जो  देखा  है  सभी  ने  मुझको

**

बंद सदियों  से  पड़ा  था  मैं  किसी  कोने में

खत तेरा जान के  खोला  है सभी ने मुझको

**

भोर सा रास  तुझे  आज   मगर  आया क्यूँ

तम भरी  रात जो बोला  है  सभी ने मुझको

**

दाद  वैसे  तो   मिली  बात  बुरी भी  कह दी

बस तेरी  बात  पे  कोसा  है सभी ने मुझको

**

रूह  की  बात  किसे   यार  लगी  सौदों …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 28, 2014 at 10:30am — 25 Comments

सूरतों के साथ सीरत भी बदलनी चाहिए - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

बाद  इसके  भी  बहस  कुछ  और  चलनी चाहिए

सूरतों   के  साथ  सीरत  भी   बदलनी    चाहिए

**

चल  पड़े  माना  सफर  में  बात  इससे कब बनी

लौटने  को   घर   हमेशा   साँझ   ढलनी  चाहिए

**

आ  ही  जायेगा  भगीरथ  फिर  यहाँ  बदलाव को

आस की  गंगा  तुम्हीं  से फिर निकलनी चाहिए

**

है   जरूरी   देश   को   विश्वास   की   संजीवनी

मन हिमालय  में सभी के वो भी फलनी चाहिए

**

ब्याह की बातें  कहो या  फिर कहो तुम देश की

हाथ से  जादा …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 22, 2014 at 10:30am — 19 Comments

दर्द भूख का यारो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

मौत   बेटियों   को  बस,  दाइयाँ  समझती  हैं

पीर  के  सबब  को  सब  माइयाँ  समझती  हैं

**

सोच  आज  तक  भी जब,  है  गुलाम जैसी ही

मुल्क  की  अजादी  क्या, बेडि़याँ  समझती हैं

**

दो  बयाँ  भले  ही  तुम  देश  की  तरक्की के

हर खबर है सच कितनी सुर्खियाँ समझती हैं

**

आप   के  बयानों  में    खूब   है  सफाई  पर

बेवफा  कहाँ  तक  हो,   पत्नियाँ  समझती हैं

**

दोष  तुम  निगाहों   को  बेरूखी  की  देते  हो

कान …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 16, 2014 at 12:30pm — 11 Comments

माँ के सिवा - ग़ज़ल - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

** मेरे लिए आज मातृ दिवस और माँ की पुण्य तिथि का अद्भुत संयोग है l यह रचना माँ को समर्पित है l

जिंदगीभर  कौन देता  है खुशी माँ के सिवा

ले अॅधेरा  कौन  देता  रौशनी  माँ के सिवा

**

वह लहू  को कर  सुधा हमको हमेशा पोषती

कौन खुद को यूँ गला दे जिंदगी माँ के सिवा

**

बस रहे खुशहाल जग ये सोचकर भगवान भी

क्या बनाता और अच्छा इक नबी माँ के सिवा

**

दे के रिमझिम जिंदगी भर वो तपन हरती रहे

कौन अपनाता बता दे  तिश्नगी  माँ के…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 11, 2014 at 10:00am — 16 Comments

बात करते गाँव की - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

रोज    की   है   बादलों   से   छेड़खानी   आपने

और  गढ़  ली  प्यास  की  कोई  कहानी  आपने

***

चाह  रखते  हो  भगीरथ  सब  कहें  इतिहास में

पर न  खुद से  एक  दरिया  भी  बहानी  आपने

***

बात  करते  गाँव  की  पर कब  उसे  तरजीह दी

गाँव  को  तम  दे   सजाई   राजधानी    आपने

***

आपको दरिया मिली हर प्यास को सच है मगर

खोद  कूआँ  कब   निकाला  यार  पानी  आपने

***

लाख  दुख  मैं  मानता  हूँ  आपने  झेले  मगर

झोपड़ी  का  दुख  न   झेला  …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 6, 2014 at 12:00pm — 14 Comments

आचरण सबको यहाँ अब है नकाबों की तरह - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

2122    2122    2122    212

***

हर खुशी  हमको  हुई  है अब सवालों  की तरह

और दुख आकर मिले हैं नित जवाबों की तरह

***

चाँद  निकला  तो  नदी में  देख छाया  खुश रहे

रोटियाँ  अब हम गरीबों को  खुआबों  की तरह

***

यूं कभी  जिसमें कहाये  यार हम  महताब थे

उस गली में आज क्यों खाना खराबों की तरह

***

एक भी आदत नहीं ऐसी कि तुझको  गुल कहूँ

पास काँटें क्यों रखो फिर तुम गुलाबों की तरह

***

है हमें तो जिन्दगी में साँस-धड़कन यार ज्यों

आप…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 1, 2014 at 9:30am — 13 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी। सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल तक आने व प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार"
1 minute ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Sanjay जी, अच्छा प्रयास रहा, बधाई आपको।"
3 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Aazi ji, अच्छी ग़ज़ल रही, बधाई।  सुझाव भी ख़ूब। ग़ज़ल में निखार आएगा। "
9 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकारें बाक़ी गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
21 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Mahendra Kumar ji, अच्छी ग़ज़ल रही। बधाई आपको।"
23 minutes ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. Euphonic Amit जी, ख़ूब ग़ज़ल हुई, बधाई आपको।  "आप के तसव्वुर में एक बार खो जाए फिर क़लम…"
28 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें गुणीजनों की इस्लाह से और निखर जायेगी"
33 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ अच्छी ग़ज़ल की बधाई स्वीकार करें भाई चारा का सही वज्न 2122 या 2222 है ? "
35 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें सातवाँ थोड़ा मरम्मत चाहता है"
39 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत ख़ूब। समझदार को इशारा काफ़ी। आप अच्छा लिखते हैं और जल्दी सीखते हैं। शुभकामनाएँ"
41 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
49 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी बहुत बहुत शुक्रिया आ ज़र्रा-नवाज़ी का"
49 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service