For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रदीप देवीशरण भट्ट's Blog – October 2018 Archive (6)

"हुक्मनामा"

 

हिम्मत है तो मुझसे आकर द्वंद करो।

वरना यूँ अनर्गल प्रलाप को बंद करो॥

 

छोरे छोरी में जो भेद करे ऐसे।  

गाँव की सगरी ऐसी खाप को बंद करो॥…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 27, 2018 at 2:00pm — 2 Comments

"मन मार्जियां "

जुल्म की ये इंतेहा भी कब तलक।

ज़िंदगी के इम्तेहा भी कब तलक॥

आज़ या कल बिखर ही जाऊंगा।

वक़्त होगा मेहरबाँ भी कब तलक॥

ऐब ही जब ऐब तुझमें हैं भरे मैं ।

तुझमें ढूँडू ख़ूबियाँ भी कब तलक॥…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 23, 2018 at 11:30am — 1 Comment

आस्था "

हर घर में एक राम है रहता।

हर घर में एक रावण भी॥

जैसी जिसकी सोच है रहती।

उसको दिखता वो वैसा ही॥

 

टूट शिला से छोटा टुकड़ा।

लुढ़क रहा मंदिर की ओर॥

कोई देखता उसको पत्थर।

कोई देखता भगवन को॥

 

आस्था और विश्वास जहां हो।

तर्क नहीं देते कुछ काम॥

मानो या न मानो लेकिन।

बनते सबके बिगड़े काम॥

 

धर्म-अधर्म सब अंदर अपने।

पीर पड़े लगे राम को जपने॥

वर्षो से यही रीत चल रही।

इच्छाओं की गति…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 22, 2018 at 5:30pm — 1 Comment

"दीवाना "

मुश्किलों में मुस्कुराना सीख लो।

ज़िंदगी से दिल लगाना सीख लो ॥

शौक़ पीने का तुम्हें माना मगर।  

दूसरों को भी पिलाना सीख लो॥

ढूँढने हैं मायने गर जीस्त के।

तो राग तुम कोई पुराना सीख लो॥…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 20, 2018 at 5:30pm — 2 Comments

"एक शहर का दु:ख"

ये क्या हो रहा मेरे प्यारे शहर को,

कहीं क़त्ल-ओ-गारत कहीं ख़ून के छीटें,

के घायल हैं चंदर कहीं पे सिकंदर,

के हर ओर फैले हुए अस्थि पंजर,

के तुम ही कहो कैसे देखूँ ये मंजर,

के आँखों के सूखे पड़े हैं समंदर ।।…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 12, 2018 at 3:00pm — 3 Comments

-बापू की व्यथा-

आज फिर बापू को हमने याद दिल से कर लिया ।

और सारे साल फिर इनसे किनारा कर लिया ।।

 

फूल चरणों में चढ़ाकर सोचते सब ठीक है ।

रूप बगुले का बशर ने फिर तिबारा कर लिया।।

 

परचम-ए-खादी तिरंगे  में लिपटकर…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 2, 2018 at 9:00am — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
36 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
43 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
43 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
49 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Euphonic Amit जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Dinesh Kumar जी, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई है। "
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service