For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sheikh Shahzad Usmani's Blog – May 2017 Archive (3)

प्रासंगिक अस्तित्व (लघुकथा)/शेख़ शहज़ाद उस्मानी

वह एक गाड़ी में सवार थी, जो अब तेज़ गति पकड़ रही थी। गाड़ी किसी और दिशा में जा रही थी और खिड़की से वह विपरीत दिशा में देख रही थी, जहां से वह चली थी। खिड़की से नज़ारे देखते हुए अचानक लगने वाले ब्रेक के झटकों से वह कभी सहम जाती, तो कभी उसे संभलने का सुखद अहसास सा होता। लेकिन तेज़ हवाएं उसे कभी सुखद लग रहीं थीं, तो कभी उसे झकझोर कर परेशान कर रही थीं। तेज़ हवाएं उससे बातें कर रहीं थीं या वह ख़ुद उनसे मोहित होकर उनसे बातें करना चाह रही थी, किसी को भी समझ नहीं आ रहा था। वह खिड़की बंद नहीं कर पा रही… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 27, 2017 at 2:00am — 4 Comments

टूटा पहिया (लघुकथा)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"ये मैं नहीं, तुम हो जो झुकते, डगमगाते टूट चुकी हो!"

"नहीं, यह सच नहीं! मीडिया और जनता तो यह कहती है कि तुम ही तो हो जिसकी यह हालत हुई है, समझीं!"



काठगाड़ी के आगे का पहिया ग़ायब था और उसी पर वे तीनों स्वयं को पहिया मानकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहीं थीं।

दरअसल ग़रीबी और पर्यावरण-प्रदूषण लटकाये लोकतंत्र की यह काठगाड़ी खींचती भारत-माता बुढ़िया के वेष में सच्चाई जानने के लिए निकल पड़ीं थीं। उनके कानों में मीडिया और जनता के आरोप-प्रत्यारोप भी सुनाई देने लगे।

"इस… Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 20, 2017 at 8:17pm — No Comments

चार महारथी (लघुकथा)/शेख़ शहज़ाद उस्मानी

मोमबत्ती जलाते हुए एक व्यक्ति ने कहा-"लो हम भी निर्भया के नाम आज एक मोमबत्ती जला देते हैं उसकी मम्मी की तरह!"

"तो निर्भया और उसकी मम्मी के नाम हो जाये एक और जाम!" दूसरे व्यक्ति ने अगला पैग बनाते हुए कहा।"

"सालों को रेप और वो सब करना ही था, तो ऐसे करते कि फांसी की सज़ा न हो पाती! गये साल्ले काम से, फांसी की सज़ा कन्फर्म!" अख़बार का मुख्य पृष्ठ लहराते हुए तीसरे व्यक्ति ने नशे में कहा।

पांच साल पहले निर्भया नाम की युवती पर कुछ युवकों ने एक निजी बस में हमला कर निर्ममता से बलात्कार…

Continue

Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 6, 2017 at 10:00am — 10 Comments

Monthly Archives

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"    शिकस्त-ए-नारवा     ------------------ रिवाज के विरुद्ध काम, शायरी का एक ऐब…"
19 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  ग़ज़ल — 212 1222…"
22 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ बधाई स्वीकार करें"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"अच्छी ग़ज़ल हुई आ इस्लाह भी ख़ूब हुई आ अमित जी की"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी आ रिचा अच्छी ग़ज़ल हुई है इस्लाह के साथ अच्छा सुधार किया आपने"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु हार्दिक बधाई आपको ।"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ Sanjay Shukla जी, बहुत आभार आपका। ज़र्रा-नवाज़ी का शुक्रिया।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service